जलवायु परिवर्तन की चाल बिगाड़ेगी देश का हाल, सूखा पड़ने को लेकर किया गया ये दावा

टीम भारत दीप |
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यह अध्ययन एनपीजे क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
यह अध्ययन एनपीजे क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

यह दावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर में अनुसंधानकर्ताओं के एक अध्ययन में किया है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार मिट्टी की नमी में तेजी से कमी आने से अचानक सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी। बताया गया कि परंपरागत सूखे की तुलना में अचानक सूखा पड़ने से दो-तीन हफ्ते के अंदर एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है।

गांधीनगर। पर्यावरण को लेकर हमारी लापरवाही व अनदेखी यूं ही जारी रही तो भविष्य में हमारे लिए परिणाम सकारात्मक कतई नहीं हो सकते। बहरहाल एक अध्ययन से जो खुलासा हुआ है, वह चौकाने वाला है। दरअसल अध्ययन में दावा किया गया कि जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत में भविष्य में सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी, जिसका फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सिंचाई की मांग बढ़ेगी और भूजल का दोहन बढ़ेगा। यह दावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर में अनुसंधानकर्ताओं के एक अध्ययन में किया है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार मिट्टी की नमी में तेजी से कमी आने से अचानक सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी। बताया गया कि परंपरागत सूखे की तुलना में अचानक सूखा पड़ने से दो-तीन हफ्ते के अंदर एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है।

इस कारण फसल पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ेगी। जानकारी के मुताबिक यह अध्ययन एनपीजे क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार मॉनसून के दौरान पड़ने वाले सूखे में मानव जनित जलवायु परिवर्तन की भूमिका की पड़ताल की गई है।

अनुसंधानकर्ताओं ने भारतीय मौसम विभाग की ओर से एकत्र किए गए मिट्टी के नमूनों और जलवायु अनुमान का उपयोग इस अध्ययन में किया है। गौरतलब है कि अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अध्ययन में इस बात का भी जिक्र किया है कि 1951 से 2016 के बीच सबसे भयंकर  सूखा 1979 में पड़ा था। इस दरम्यान देश का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा इससे प्रभावित हुआ था।

आईआईटी गांधीनगर में सिविल इंजीनियिरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर विमल मिश्रा के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि मानसून में अंतराल से या मानसून आने में देर होने से भारत में अचानक सूखा पड़ने की स्थिति देखी गई है और इसकी वजह से भविष्य में अचानक सूखा पड़ने की स्थिति में तीव्रता बढ़ेगी।
 


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