विकास दुबे की गिरफ्तारी पर इन आईपीएस के ट्वीट को याद रखे यूपी और एमपी पुलिस

संपादक |
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उज्जैन का वह थाना जहां विकास को ले जाया गया।
उज्जैन का वह थाना जहां विकास को ले जाया गया।

वह यूपी के तीनों बड़े दल भाजपा, बसपा, सपा में रहा है। ऐसे में साफ है कि उसके गॉडफादर हर पार्टी में होंगे ही। विकास से गठजोड़ के लिए सिर्फ पुलिस को दोष देना सही नहीं है।

कानपुर, उत्तर प्रदेश के बिकरु गांव में आठ पुलिस वालों की हत्या का आरोपी सबके सामने सरेंडर कर गया। मध्य प्रदेश की सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन इस नाटकीय गिरफ्तारी की अब तक की रिपोर्ट सारी पोल खोल रही है। 

विकास दुबे की गिरफ्तारी के जो वीडियो आये हैं उससे ये लग ही नहीं रहा कि विकास गिरफ्तार हुआ है। हालात बता रहे हैं कि उसने खुद ही पुलिस की शरण में जाने की राह बनाई है। अब इस राह में उसके हमराह कौन हैं इसका दावा नहीं किया जा सकता लेकिन एक दुर्दांत अपराधी का यूँ भीगी बिल्ली बन जाना समझ से परे है। 

विकास एक अपराधी होने के साथ साथ राजनेता भी है। उनकी मां सरला देवी कह चुकी हैं कि विकास को राजनीति ने ही अपराधी बनाया है। वह यूपी के तीनों बड़े दल भाजपा, बसपा, सपा में रहा है। ऐसे में साफ है कि उसके गॉडफादर हर पार्टी में होंगे ही। विकास से गठजोड़ के लिए सिर्फ पुलिस को दोष देना सही नहीं है। 

फिर भी इस पूरे घटना क्रम में सबसे बड़ा सवाल पुलिस को लेकर ही आता है। अगर यह सफलता है तो भी पुलिस की सफलता है, असफलता है तो भी पुलिस की ही असफलता है। ऐसे में पुलिस को चाहिए कि वह अपने अंदर झांके और जनता को अपनी मौजूदगी का अहसास दिलाने के लिए न्यायोचित निर्णय ले।

इस पर यूपी के आईपीएस नितिन तिवारी का ट्वीट यूपी और एमपी पुलिस को याद रखना चाहिए। आईपीएस नितिन तिवारी ने तीन जून की घटना के बाद अपने ट्वीट में एक लाइन लिखी - 

 

 

इस लाइन के बहुत मायने हैं। प्रत्युत्पन्नमति वाले लोग इसे एनकाउंटर से जोड़ने लगेंगे लेकिन असल में इस एक लाइन के ट्वीट में सभी पुलिसकर्मियों के लिए संदेश है कि उनके साथियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिये। हमारा कानून अपराधी की हत्या की इजाजत नहीं देता बल्कि कानून इतना कमजोर भी नहीं है कि उस अपराधी को उसके किए की सही सजा न दे पाए।

इसलिए पुलिस की जिम्मेदारी है कि विकास दुबे के मामले में अपने किसी भी पक्ष को कमजोर न होने दे। यदि पुलिस ऐसा कर पाती है तो विकास को कानून के चंगुल से कोई नहीं बचा पायेगा और वह अपने अंजाम तक जरूर पहुंचेगा। पुलिस को जरूरत है कि वह अपने ध्येय वाक्य - परित्राणाय  साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम को याद करे और दुष्ट के विनाश के लिए जो भी न्यायोचित है वह कदम उठाने से पीछे न रहे क्योंकि सवाल आपकी जान का भी है। डॉ नवाज़ देवबंदी का शेर है- 

उसके कत्ल पे मैं भी चुप था मेरा नंबर अब आया। 
मेरे कत्ल पे तुम भी चुप हो अगला नंबर आपका है। 

अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचा कर पुलिस अपने साथियों की मौत का बदला तो ले ही सकती है, साथ ही जनता में भी विश्वास जगा सकती है कि राजनीति की ओट में आकर भी किसी अपराधी का अंत वही होता है जो कानून में लिखा है। पुलिस के लिए यह समय कुरुक्षेत्र के मैदान में निराश पड़े अर्जुन की तरह है लेकिन यह समय गांडीव उठाने का है।


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