BOB-PNB या स्माॅल पीएसबी, बैंकों में प्राइवेटाइजेशन की शुरूआत आखिर कहां से

टीम भारत दीप |
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प्राइवेट बैंक कहीं ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्राइवेट बैंक कहीं ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अपने बजट भाषण के दौरान कहा था कि सरकार आईडीबीआई के साथ दो और बैंकों में प्राइवेटाइजेशन की शुरूआत करने जा रही है।

बैंकिंग डेस्क। अपने बजट भाषण में वित्तमंत्री की घोषणा के बाद देशभर के बैंकिंग सेक्टर में हलचल है। वित्तमंत्री ने बिना नाम लिए दो बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा कर अटकलों की शुरूआत कर दी है। 

ऐसे में आर्थिक विशेषज्ञ और मीडिया भी एक राय नहीं हो पा रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार प्राइवेटाइजेशन की शुरूआत स्माॅल पीएसबी से कर सकती है, तो वहीं मीडिया के एक धड़े ने बैंक आॅफ बड़ौदा और पीएनबी का नाम इसमें लाकर नई बहस को जन्म दे दिया है। 

आपको बता दें कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अपने बजट भाषण के दौरान कहा था कि सरकार आईडीबीआई के साथ दो और बैंकों में प्राइवेटाइजेशन की शुरूआत करने जा रही है। इस पर आर्थिक विशेषज्ञों ने अपनी राय दी कि सरकार प्राइवेटाइजेशन की शुरूआत छोटे कैपिटल वाले पब्लिक सेक्टर बैंक से कर सकती है। 

इसमें उन्होंने सबसे पहला नाम पंजाब और सिंध बैंक व बैंक आॅफ महाराष्ट्र का लिया। इसके समर्थन में उनका तर्क था कि सरकार ने जिन बैंकों को बीते साल हुए मर्जर से बाहर रखा है, वे ही इस काम आएं। साथ ही उनका कहना ये भी था कि स्माॅल पीएसबी के जरिए सरकार अपने कदम का परीक्षण भी कर सकती है जिससे जोखिम की संभावना कम से रहे।

वहीं मीडिया के एक धड़े ने बैंक आॅफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक का नाम इस सूची में उछाल कर खलबली मचा दी है। हालांकि इन दो बैंकों का प्राइवेटाइजेशन क्यों होगा, इसके कोई ठोस तर्क उन्होंने नहीं दिए हैं। इसके साथ ही वे स्माॅल पीएसबी थ्योरी को भी मानकर चल रहे हैं। 

ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर ऊँट किस करवट बैठेगा। भारत दीप ने जब दोनों प्रकार की खबरों की पड़ताल की और अपने आर्थिक विशेषज्ञों से चर्चा की तो सामने आया कि स्माॅल पीएसबी वाली थ्योरी में ही ज्यादा दम दिखाई दे रहा है। इसमें सबसे बड़ा तर्क ये है कि सरकार ने जब मर्जर की शुरूआत की थी तो सबसे पहले बीओबी में ही विजया बैंक और देना बैंक को शामिल किया था। 

इसके अलावा बीओबी ही पब्लिक सेक्टर ऐसा बैंक है जिसमें सरकार की हिस्सेदारी सबसे कम है। पीएनबी को लेकर कहा जा रहा है कि सरकार जो बैड बैंक का कन्सेप्ट लेकर आई है, उसका फायदा पीएनबी जैसे बैंक को ही मिलेगा। 

इस सबके बीच भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रहमण्यम का बयान बैंक आॅफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक के कर्मचारियों को राहत की सांस दे सकता है। सुब्रहमण्यम का कहना है कि इंदिरा गांधी सरकार ने 14 बैंकों को राष्ट्रीयकृत बैंकों का दर्जा दिया था। आज देश का लक्ष्य इनकी संख्या चार तक सीमित करने का है।

सुब्रहमण्यम का कहना है कि यूं तो बैंको के राष्ट्रीयकरण में कई फायदे थे लेकिन हम आज तक उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों की तुलना में प्राइवेट बैंक कहीं ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि पीएसबी की संख्या 4 या इससे कम ही रखी जाए। बाकी को प्राइवेट की ओर ले जाया जाए। 

मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि पीएसबी और प्राइवेट सेक्टर बैंक में सबसे बड़ा अंतर निर्णय लेने का है। पीएसबी में निर्णय लेना एक दुखदायी कदम साबित होता है।   


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