क्या सच में देश में मडरा रहा ब्लैक आउट का खतरा,पढें कोयले के स्टॉक पर रिपोर्ट

टीम भारत दीप |

देश की बिजली की मांग का 70 फीसद कोयले से बनी बिजली से ही पूरा होता है।
देश की बिजली की मांग का 70 फीसद कोयले से बनी बिजली से ही पूरा होता है।

मीडिया रिपोर्टस के अनसुार पंजाब में तीन, केरल में चार और महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर स्टेशन बंद हो चुके हैं। सभी कोयले की कमी के कारण बंद हुए हैं। संभावित बिजली संकट के डर से, कर्नाटक और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से अपने राज्यों में कोयले की आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध किया है।

नई दिल्ली। देश में ब्लैक आउट का अंदेशा बढ़ता जा रहा है। इसके पीछे सरकार चाहे जो तर्क दे रहीं हो, लेकिन विभिन्न राज्यों से मिल रहे आंकड़े जो चित्र बना रहे है उसके अनुसार देश को देर-सबेर ब्लैक आउट का दंश झेलना पड़ेगा।

कई प्रदेश सरकारें तो अपने नागरिकों से बिजली बचाने का आग्रह करने लगी है। यह भी सबसे बड़ा सच है कि देश में कोयले का पर्याप्त स्टॉक है, बस जरूरत है सही मैनेजमेंट की। मिस मैनेजमेंट की वजह से यह स्थिति हुई है। 

मीडिया रिपोर्टस के अनसुार पंजाब में तीन, केरल में चार और महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर स्टेशन बंद हो चुके हैं। सभी कोयले की कमी के कारण बंद हुए हैं। संभावित बिजली संकट के डर से, कर्नाटक और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से अपने राज्यों में कोयले की आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध किया है।

महाराष्ट्र के ऊर्जा विभाग ने नागरिकों से बिजली बचाने की अपली की है। केरल सरकार ने भी चेतावनी दी है कि उन्हें लोड-शेडिंग का सहारा लेना पड़ सकता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पीएम से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया ताकि कोयले और गैस को बिजली की आपूर्ति करने वाले संयंत्रों की तरफ मोड़ा जा सके।

केंद्रीय मंत्री बोलें नहीं कोई कमी

इस बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार को बयान जारी करते हुए कहा कि दिल्ली में बिजली की कोई कमी नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आगे भी कोयले की आपूर्ति बनी रहेगी।

आरके सिंह ने कहा कि देश प्रतिदिन कोयले की औसत आवश्यकता से चार दिन आगे है और इस मुद्दे पर एक अनावश्यक दहशत पैदा की जा रही है। राज्य निश्चित रूप से घबराते दिख रहे हैं। केंद्र का मानना ​​है कि चिंता करने की जरूरत नहीं है।

यह वास्तविक स्थिति

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, देश थर्मल प्लांटों में कोयले के भंडार की अभूतपूर्व कमी का सामना कर रहा है, जिससे बिजली संकट पैदा हो सकता है।

5 अक्टूबर को बिजली उत्पादन के लिए कोयले का उपयोग करने वाले 135 ताप संयंत्रों में से 106 क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल चरण में थे। यानी उनके पास अगले 6-7 दिनों के लिए ही स्टॉक था।

कोयले का पर्याप्त भंडारण

इस विषय में हमने देश के ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा से चर्चा की उनके अनुसार कोयले की कमी के पीछे कुछ बड़े और अहम कारण हैं। इनमें ज्यादा बारिश का होना, बारिश की वजह से कोयले की ढुलाई बाधित होना।

कोयला खनन के लिए आधुनिक तकनीक का न होना और कोयले को लेकर होने वाले मैनेजमेंट में आई दिक्‍कत है। हालांकि वो ये भी मानते हैं कि देश में कोयले का पर्याप्‍त भंडार है, लेकिन कुछ समस्‍याओं के चलते इसकी कमी सामने आ रही है।

70 फीसद बिजली कोयले से मिलती है

मालूम हो कि कि देश की बिजली की मांग का करीब 70 फीसद कोयले से बनी बिजली से ही पूरा होता है। हालांकि भारत की खदानों से निकलने वाले कोयले की क्‍वालिटी बहुत अच्‍छी नहीं होने की वजह से विदेशों से भी कोयला आयात किया जाता है। इनमें मुख्‍य रूप से अमेरिका, इंडोनेशिया और आस्‍ट्रेलिया है। हाल के कुछ समय में इंडोनेशिया से आने वाले कोयले की कीमत ढाई गुना से भी अधिक हो गई है। 

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