पेट्रोल-डीजल पर कृषि सेस का मतलब ग्राहकों पर बोझ बढ़ना नहींः धर्मेंद्र प्रधान

टीम भारत दीप |
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सरकार इतना कृषि से जुड़ी योजनाओं पर खर्च करेगी।
सरकार इतना कृषि से जुड़ी योजनाओं पर खर्च करेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021 में घोषणा की कि पेट्रोल पर ढाई रूपये और डीजल पर चार रूपये का कृषि सेस लगाया जाएगा।

व्यापार डेस्क। मोदी सरकार 2.0 के दूसरे आम बजट में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एग्रीकल्चर सेस यानी कृषि उपकर लगाने का निर्णय लिया है। इस खबर से आम लोगों में यह धारणा बन गई कि अब पेट्रोल और डीजल के दाम फिर से बढ़ने वाले हैं। 

इस मुद्दे पर एक टीवी न्यूज चैनल से वार्ता में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि वाहन ईंधन पर सेस का मतलब तेल के दाम बढ़ना नहीं है। तेल के दाम कम या ज्यादा जो भी हैं वे वर्तमान तरीके से ही होंगे। अब केवल सरकार को होने वाली आय का एक हिस्सा कृषि पर खर्च किया जाएगा। 

बता दें कि सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021 में घोषणा की कि पेट्रोल पर ढाई रूपये और डीजल पर चार रूपये का कृषि सेस लगाया जाएगा। इसकी घोषणा के साथ ही देशवासी इसे अपनी जेब से जोड़कर देखने लगे। लोगों को लगा कि इस प्रकार सीधे-सीधे पेट्रोल और डीजल के दाम ढाई रूपये और चार रूपये तक बढ़ जाएंगे। 

बजट के बाद एक टीवी न्यूज चैनज से वार्ता में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कृषि उपकर का कोई असर दैनिक उपभोक्ता पर नहीं पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल से होने वाली आय में से सरकार इतना कृषि से जुड़ी योजनाओं पर खर्च करेगी। इसका कोई असर आम आदमी की जेब पर नहीं पड़ेगा।

वर्तमान में तेल की लगातार बढ़ती कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि बीते दिनों में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़े हैं तो घटे भी हैं। यह बाजार आधारित प्रक्रिया है। सरकार की हिस्सेदारी इसमें सिर्फ कर लगाने की है। तेल की कीमतों से जो भी आय हो रही है, उसे हम जनकल्याणकारी कार्याें में खर्च कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बाद अब एकदम से वैश्विक मांग बढ़ने के कारण तेल की कीमतों में उछाल आया है। भारत अपने उपभोग का 80 प्रतिशत इन देशों से आयात करता है। 

सेस की आवश्यकता
सेस यानी उपकर को अतिरिक्त कर के रूप में देखा जाता है। इसका मतलब है कर पर एक और कर। आम तौर पर इसकी आवश्यकता तब पड़ती है जब सरकार अपनी आय में से कुछ धन ऐसे कार्याें पर खर्च करना चाहती है जिनकी डायरेक्ट टैक्स में भागीदारी बहुत कम है या वे जनकल्याणकारी हैं। ऐसे में सरकार डायरेक्ट टैक्स से होने वाली आय पर सेस लगाकर अपनी आय को बढ़ाने का कार्य करती है। 


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