विकास दुबे ने 1997 में लिया था पहला शस्त्र लाइसेंस, विभाग से फाइलें गायब, क्लर्क पर गिरी गाज

टीम भारत दीप |
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जांच में दोषी पाए गए विभाग के क्लर्क विजय रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
जांच में दोषी पाए गए विभाग के क्लर्क विजय रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।

बिकरू कांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे समेत उसके गुर्गों के हथियारों के लाइसेंस की फाइलें गायब कर दी गई हैं। इससे विभाग में हड़कंप मचा गया है।

लखनऊ। इस साल प्रदेश के कानपुर में हुए अब तक चर्चित विकास दुबे कांड को लेकर नया खुलासा हुआ है। बिकरू कांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे समेत उसके गुर्गों के हथियारों के लाइसेंस की फाइलें गायब कर दी गई हैं। इससे विभाग में हड़कंप मचा गया है।  

प्राप्त जानकारी के अनुसार हथियारों के लाइसेंस की फाइलें विभाग से गायब हैं। यह बात सामने आने के बाद जांच में दोषी पाए गए विभाग के क्लर्क विजय रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। अब इस मामले में पुलिस जांच कर रही है। बताते चले कि बीते 2 जुलाई की रात विकास दुबे को गिरफ्तार करने बिकरू गांव गई पुलिस टीम पर फायरिंग की गई थी।

पुलिस वालों पर यह फायरिंग गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों द्वारा थी। इस घटना में तत्कालीन बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा समते 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि 6 अन्य चोटिल हो गए थे। इसके बाद पुलिस ने विकास की तलाश की।

विकास दुबे ने मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित महाकाल मंदिर परिसर सरेंडर किया था। बाद में कानपुर लाते समय रास्ते में उसका एनकांउटर कर दिया गया था। इसके उसके गुर्गों पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। जांचें शुरू हुईं।

इस चर्चित कांड के बाद प्रशासन ने गांव के एक-एक शस्त्र लाइसेंस धारक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके लाइसेंस निरस्त किए थे। जांच में पता चला कि विकास दुबे ने वर्ष 1997 में अपना पहला शस्त्र लाइसेंस बनवाया था। जब जांच अधिकारियों ने इसकी जानकारी असलहा विभाग से प्राप्त करनी चाही तो मालूम चला कि उसकी फाइल ही गायब है।


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