इलाहाबाद हाईकोर्ट से बैंककर्मियों की इस यूनियन को मिली बड़ी ‘संजीवनी‘

टीम भारत दीप |
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हाईकोर्ट ने 4 महीने में निर्णय करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने 4 महीने में निर्णय करने का आदेश दिया है।

एसोसिएशन का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंक इंडियन बैंक एसोसिएशन और अन्य मौजूदा यूनियन के दबाव में वी बैंकर्स को चेक आॅफ की सुविधा नहीं दे रहे थे।

बैंकिंग डेस्क। बैंककर्मियों के बड़े संगठन के रूप में उभर रहे वी बैंकर्स एसोसिएशन को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सदस्यता मामले में बड़ी राहत दी है। एसोसिएशन ने चेकआॅफ की सुविधा को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने केंद्रीय श्रमायुक्त को इस मामले में उनकी अपील पर चार महीने में निर्णय लेने का आदेश दिया है। 

वी बैंकर्स एसोसिएशन की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया है कि सार्वजनिक बैंक के कर्मियों के खाते में से सदस्यता शुल्क को काटकर सीधे यूनियन के खाते में जमा करना ही चेक आॅफ सुविधा कहलाता है। एसोसिएशन का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंक इंडियन बैंक एसोसिएशन और अन्य मौजूदा यूनियन के दबाव में वी बैंकर्स को चेक आॅफ की सुविधा नहीं दे रहे थे। 

वी बैंकर्स एसोसिएशन ने केंद्रीय श्रम मंत्री से मिलकर बैंककर्मियों की एचआरएमएस के माध्यम से आॅनलाइन सदस्यता का आदेश पारित कराया था। इसका भी आईबीए और अन्य यूनियन द्वारा काफी विरोध किया गया। उनका कहना था कि कौन यूनियन का सदस्य है, ये तय करना यूनियन का अधिकार है न कि कर्मचारी का। 

वी बैंकर्स से जुडे एक बैंककर्मी ने नाम ना छापे जाने की शर्त पर बताया कि बैंककर्मी मौजूदा यूनियनों की सरकार से मिलीभगत से काफी परेशान हैं। हाल ही में बैंककर्मियों की वेतनवृद्धि के मुद्दे पर भी यूनियनों ने सरकार की सहूलियत वाले ही निर्णय पारित कराए। 

अधिकतर यूनियन में ऐसे पदाधिकारी हैं जो बैंक से रिटायर हैं, ऐसे में बैंककर्मियों की वर्तमान समस्याओं से उनका कोई वास्ता नहीं है। वे केवल अपनी कुर्सी के लालच में बैंककर्मियों की अधिकारों का सौदा करते जा रहे हैं। 

वी बैंकर्स हाल ही में बैंककर्मियों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है। इससे घबराकर कानपुर के श्रमायुक्त कार्यालय में आईबीए और अन्य युनियन द्वारा यह कहकर वी बैंकर्स का विरोध किया गया कि इनका बैंक में कोई सदस्य नहीं है। 

अब हाईकोर्ट ने केंद्रीय श्रमायुक्त को वी बैंकर्स की अपील पर 4 महीने में निर्णय करने का आदेश दिया है। साथ ही इसमें लिखा है कि दूसरे पक्षों को भी सुना जाए। ऐसे में वी बैंकर्स को पूरी उम्मीद है कि राष्ट्रीयकृत बैंक प्रबंधन और विविध प्रावधान 1970 और केंद्र सरकार के विभिन्न दिशा निर्देशों के क्रम में उनको चेकआॅफ की सुविधा मिलना तय है। 

ऐसे में अब बैंककर्मी बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी ये यूनियन के खाते में शुल्क जमा कर इसके सदस्य बन सकेंगे। इससे बैंक यूनियन में आईबीए की एकाधिकारिता खतरे में पड़ना तय माना जा रहा है। 


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