वेज रिवीजन के मुद्दे पर आईबीए से अनबन, बैंक यूनियनों का आरोप मनमानी पर उतर आए

टीम भारत दीप |

नाॅन डीए कंपोनेंट में बढ़ोत्तरी भी किसी प्रकार से फायदेमंद नहीं है।
नाॅन डीए कंपोनेंट में बढ़ोत्तरी भी किसी प्रकार से फायदेमंद नहीं है।

वार्ता में शामिल एक यूनियन का कहना है कि यूनाइटेड फोरम और बैंक यूनियन ने बेसिक पे में 2.5 प्रतिश बढ़ोत्तरी को स्वीकार किया लेकिन 12.5 प्रतिशत को सैलरी के बाकी कंपोनेंट में डिवाइड करने की बात स्वीकार नहीं है।

बैंकिंग डेस्क। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में काम कर रहे कर्मचारियों और अधिकारियों के वेज रिवीजन पर आईबीए से अनबन हो गई है। हाल ही में 22 जुलाई को हुए बाइपरटाइट सैटलमेंट में 15 प्रतिशत वेतन बढ़ोत्तरी की बात कही गई। आरोप है कि बेसिक पे के अलावा बाकी बढ़ोत्तरी को भी आईबीए सैलरी कंपोनेंट में डिवाइड करना चाहता है, यह स्वीकार्य नहीं है। 

बता दें कि हाल ही में आईबीए और वार्ताकार बैंक यूनियनों की वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा हुई थी। इसमें सैलरी कंपोंनेंट में काॅस्ट डिवीजन पर सहमति नहीं बनी। वार्ता में शामिल एक यूनियन का कहना है कि यूनाइटेड फोरम और बैंक यूनियन ने बेसिक पे में 2.5 प्रतिश बढ़ोत्तरी को स्वीकार किया लेकिन 12.5 प्रतिशत को सैलरी के बाकी कंपोनेंट में डिवाइड करने की बात स्वीकार नहीं है। 

उनका कहना है कि इसके नाॅन डीए कंपोनेंट में बढ़ोत्तरी भी किसी प्रकार से फायदेमंद नहीं है। यूनियन का कहना है कि सैलरी में बढ़ोत्तरी की तारीख 1 नवंबर 2017 से निर्धारित है। बेसिक पे में 2.5 प्रतिशत को भी फाइनल किया जा चुका है लेकिन 12.5 प्रतिशत को लेकर हम सहमत नहीं हैं क्योंकि ये भविष्य में होने वाले समझौते को प्रभावित करेगा। 

खबर है कि अगर 12.5 प्रतिशत को लेकर आईबीए और सरकार अपने रूख पर कायम रहते हैं तो बैंककर्मी विरोध-प्रदर्शन भी कर सकते हैं। यूनियन इस मुद्दे पर किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं हैं, वे चाहते हैं भले समय लगे लेकिन दूरगामी फायदा होना जरूरी है। 

इसके अलावा यूनियन का कहना है कि हमारी मांग केवल वेतन बढ़ोत्तरी तक ही सीमित नहीं है। 5 डे बैंकिंग, बैंक अधिकारियों को सुविधाएं, श्रम कानूनों में बदलाव और निजीकरण को वापस लेना भी हमारी मांग में शामिल है। 

हालांकि यूनियन को उम्मीद है कि कोई बीच का रास्ता निकलेगा और कल यानी 15 अक्टूबर को बाइपरटाइट सैटलमेंट साइन होने की उम्मीद है। 

बता दें कि बैंक कर्मचारियों के वेज रिवीजन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में वी बैंकर्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर भी 15 अक्टूबर को ही सुनवाई होनी है। इसमें सरकार से अब तक लिए गए निर्णयों पर जवाब मांगा गया है। ऐसे में आईबीए और सरकार जल्दबाजी में हैं।


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