69000 शिक्षक भर्तीः उत्तर प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी भर्ती पर विवादों का ग्रहण

टीम भारत दीप |
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बीच काउंसलिंग में रोक का आदेश आने से अभ्यर्थियों के चेहरे पर निराशा छा गई।
बीच काउंसलिंग में रोक का आदेश आने से अभ्यर्थियों के चेहरे पर निराशा छा गई।

उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 69000 हजार पदों पर होने जा रही भर्ती प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी शिक्षक भर्ती है।

उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 69000 हजार पदों पर होने जा रही भर्ती प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी शिक्षक भर्ती है। इससे पहले 72825 शिक्षकों की भर्ती 2011 निकली थी जो दो साल कोर्ट में तारीख पर तारीख के बाद 2013 में शुरू हुई और अब तक पूर्ण नहीं हुई है। गौर करने वाली बात ये है कि 72825 शिक्षकों की भर्ती में भी बीएड डिग्री धारी आवेदक थे। उसके बाद बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक विद्यालय में भर्ती के लिए पहला मौका 69000 भर्ती में मिला है। 72825 भर्ती चयन प्रक्रिया को लेकर अदालत में घिरी रही तो 69000 शिक्षकों की भर्ती में विवाद परीक्षा को लेकर है।


बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में 72825 शिक्षकों की भर्ती के बाद से कोई ऐसी शिक्षक भर्ती नहीं रही जो कम से कम दो साल कोर्ट में फंसी रही हो। बात चाहे 29000 गणित-विज्ञान शिक्षकों की भर्ती की हो, 15000 शिक्षक भर्ती की हो, 16448, 12460 से लेकर 68500 शिक्षक भर्ती ने कोर्ट के दरवाजे जरूर देखे हैं। इनमें से 12460 भर्ती आज भी कोर्ट में फंसी हुई है। अब प्रदेश की दूसरी बड़ी 69000 शिक्षक भर्ती में स्टे लगने के बाद अभ्यर्थियों का इंतजार और बढ़ गया है। 


विवाद की जड़
69000 शिक्षक भर्ती की शुरूआत तय समय पर और आवेदकों के अरमानों के अनुसार हुई। लिखित परीक्षा की घो    षणा से लेकर परीक्षा के आयोजन तक सब तय कार्यक्रम के अनुसार चला। इस भर्ती में लंबे समय के बाद बीएड डिग्री धारकों के शामिल हो जाने से परीक्षा देने वालों की संख्या साढ़े चार लाख के पार पहुंच गई। परीक्षा के अगले दिन ही एक आदेश आया और लिखित परीक्षा में कट ऑफ मार्क्स आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत और अनारक्षित वर्ग के लिए 65 प्रतिशत होने की बात कही गई। यहीं से इस भर्ती ने विवाद का रूख किया। परीक्षार्थियों का एक पक्ष परीक्षा के बाद कट ऑफ मार्क्स को निर्धारित करने को लेकर कोर्ट चला गया और 6 जनवरी 2019 को हुई परीक्षा के बाद पूरे मामले में यथास्थिति बरकरार हो गई। 


सिंगल बेंच ने बदला आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मामले में सुनवाई के बाद कट ऑफ अंक को घटाकर 40 और 45 प्रतिशत क्रमशः कर दिया। सरकार ने इस फैसले के खिलाफ खंडपीठ में याचिका दायर की वहां से करीब एक साल बाद निर्णय सुनाया गया जिसमें कट ऑफ को वही रखा गया जो सरकार ने तय किया था।


लॉकडाउन में भर्ती शुरू
देश एक तरफ कोरोना संकट से जूझ रहा था ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ का यह आदेश आया। यूपी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने लॉकडाउन में ही एक सप्ताह के भीतर भर्ती पूरी करने की घोषणा कर आवेदकों के चेहरे खिला दिए। कोर्ट के फैसले से निराश आवेदकों ने सुप्रीम कोर्ट का भी रूख किया लेकिन सरकार ने वहां पहले ही कैविएट दायर कर भर्ती प्रक्रिया को सुरक्षित रखा। इसके बाद परीक्षा की उत्तरमाला आने के बाद कुछ प्रश्नों के उत्तरों को लेकर विवाद हो गया। परीक्षा में एक दो अंक से असफल रहे अभ्यर्थी दोबारा कोर्ट पहुंचे और 3 जून को कोर्ट ने भर्ती पर स्टे लगा दिया।


इधर काउंसलिंग जारी उधर रोक
69000 शिक्षकों की भर्ती पर जब स्टे का आदेश आया तो काउंसलिंग चल रही थी। पहले दिन काउंसलिंग कराने की होड़ में अभ्यर्थी निजी और किराए के वाहनों से काउंसलिंग स्थल तक पहुंचे। बीच काउंसलिंग में रोक का आदेश आने से अभ्यर्थियों के चेहरे पर निराशा छा गई। अम्बेडकर नगर जिले में काउंसलिंग करा रहे आशीष सिंह ने बताया कि बड़े इंतजार के बाद ये दिन देखने को मिला था। अब फिर से मन उदास हो गया है। न जाने कितना इंतजार करना पड़े।     
 


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