भोलेनाथ की नगरी बटेश्वर, जहां 200 मंदिरों में कभी होती थी भगवान अर्चना

टीम भारत दीप |

हर मंदिर में शिवलिंग था, प्रमुख शिवलिंग सबसे बड़े मंदिर में है, जहां आज भी नियमित पूजा-पाठ होता है।
हर मंदिर में शिवलिंग था, प्रमुख शिवलिंग सबसे बड़े मंदिर में है, जहां आज भी नियमित पूजा-पाठ होता है।

यहां ऐसी मान्यता है कि यहां के हर पत्थर में भगवान शिव का वास है। एक समय में यहां 200 मंदिर खडे थे लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ विलुप्त होते गए । पुरातत्व विभाग के प्रयासों से 60 मंदिर अपने पुराने रूप में आ गए हैं बाकी 140 से ज्यादा मंदिर पत्थरों के ढेर में तब्दील हैं।

मुरैना- मध्यप्रदेश। आज महाशिवरात्रि यानी भगवान भोलेनाथ की आराधना का दिन है। पूरे देश में आदि पुरुष बाबा भोलेनाथ की अर्चना अलसुबह से ही शुरू हो गई।

वैसे तो देशभर में भगवान शिव के जितने भी मंदिर है, सबकी अपनी खास विशेषता है। इन मंदिरों के बीच बहुत ही ख्याति स्थल है मध्यप्रदेश के मुरैना जिले का बटेश्वर यहां एक -दो नहीं बल्कि दो सौ मंदिरों की श्रृंखला है।

यहां ऐसी मान्यता है कि यहां के हर पत्थर में भगवान शिव का वास है। एक समय में यहां 200 मंदिर खडे थे लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ विलुप्त होते गए । पुरातत्व विभाग के प्रयासों से 60 मंदिर अपने पुराने रूप में आ गए हैं बाकी 140 से ज्यादा मंदिर पत्थरों के ढेर में तब्दील हैं। इन पत्थरों के हर कण में भगवान आदिनाथ के दर्शन उनके अलग-अलग रूप में होते हैं।

आठवी शताब्दी में हुआ था निर्माण

पुरातत्व विभाग के अनुसार 8 से 10वीं शताब्दी के बीच में गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के शासनकाल में बटेश्वर में  200 मंदिरों का निर्माण कराया गया था। हर मंदिर में शिवलिंग था। प्रमुख शिवलिंग सबसे बड़े मंदिर में है, जहां आज भी नियमित पूजा-पाठ होता है।

पुरातत्व विभाग के अनुसार 13वीं शताब्दी में यह मंदिर नष्ट हो गए। इसके पीछे दो तरह के तर्क दिए जाते हैं। एक तर्क मुगल शासकों द्वारा इन मंदिरों को जर्जर करने का है और दूसरा तर्क भूकंप के कारण मंदिर समूहों के ढहने का बताया जाता है।

इस पावन स्थान को 1920 में संरक्षित स्थलों की सूची में शामिल किया गया, लेकिन इसके संरक्षण का काम साल 2005 में पुरातत्व विभाग के अधीक्षक केके मोहम्मद ने शुरू किया और यहां बिखर पड़े पत्थरों को बीन-बीनकर उनसे 60 मंदिरों को उनके पुराने स्वरूप में खड़ा किया गया।

बजट के अभाव में करीब 14 साल पहले जीर्णोद्धार का काम बंद हो गया। इसीलिए 140 से ज्यादा अभी खंडहर व पत्थरों के ढेर में हैं। पहाड़ों के बने मंदिर समूह के बीच एक कुंड है,जिसमें हर समय पानी रहता है। कहा जाता है कि प्राचीन युग इसी कुण्ड के पानी से सभी 200 मंदिरों के शिवलिंग का अभिषेक किया जाता था।

गौरी-शंकर हाथ पकड़ फेरे लेते बस यहीं दिखेंगे

महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर और मां पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन हिंदू समाज में विशेष महत्व का है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मुरैना के बटेश्वरा में दुनिया की इकलौती प्रतिमा है।

इसमें भगवान शिव व पार्वती हाथ पकड़कर पाणिग्रहण संस्कार की रस्में निभा रहे हैं। करीब 20 साल पहले इस प्रतिमा को विदेशी म्यूजियम में भेजने का भी निर्णय हुआ, लेकिन इसे रोक दिया गया।


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