भगवान भास्कर की महाआराधना शुरू: खरना कल, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे व्रती

टीम भारत दीप |

अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देंगे और बृहस्पतिवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य  देंगे।
अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देंगे और बृहस्पतिवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे।

सोमवार को व्रति नहाय-खाय के दौरान चावल, चने की दाल और लौकी (घीया) की सब्जी खा कर व्रत की शुरूआत करेंगें।दूसरे दिन खरना की तैयारी भी शुरू करेंगे। भगवान भास्कर के चार दिनों के इस अनुष्ठान को लेकर राजधानी दिल्ली से लेकर यूपी एमपी और बिहार में पहले से जमकर तैयारी की गई है।

नईदिल्ली। भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व आज से शुरू हो जाएगा। भगवान भास्कर की आराधना करने वाले व्रति नहाय खाय के साथ चार दिनों के इस पर्व को शुरू करेंगे। मंगलवार को व्रत के दूसरे दिन रसियाव-रोटी का प्रसाद ग्रहण कर निर्जला उपवास शुरू करेंगे और अगले दिन अस्तांचल होते भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे।

 इस तरह  शुरू होता है महापर्व 

प्रचलित मान्यता के अनुसार सोमवार को व्रति नहाय-खाय के दौरान चावल, चने की दाल और लौकी (घीया) की सब्जी खा कर व्रत की शुरूआत करेंगें।दूसरे दिन खरना की तैयारी भी शुरू करेंगे। भगवान भास्कर के चार दिनों के इस अनुष्ठान को लेकर राजधानी दिल्ली से लेकर यूपी एमपी और बिहार में पहले से जमकर तैयारी की गई है।

बिहार के रहने वाले अधिकांश प्रवासी इस अवसर पर अपने घर पहुंचते है, और जो नहीं पहुंच पाते है वह वहीं रहकर अपना त्योहार मनाते है।  देश की राजधानी दिल्ली में स्वच्छता के माहौल में पूर्वांचल बाहुल्य क्षेत्र पूरी तरह से छठमय हो गया है। अनाधिकृत कॉलोनी ही नहीं अपार्टमेंट, फ्लैट्स में रहने वाले पूर्वाचल वासियों के घरों में छठी मइया के गीतों से भक्ति की बयार बहने लगी है।  

घरों के छत पर ही बनेगा घाट

इस साल भी कोविड की वजह से एहतियातन घरों के छत, बाल्कनी, पार्क में ही नदी का घाट बनेगा। दरअसल यह पर्व बहते हुए पानी के श्रोत वाले घाट पर करने की परंपरा है। लेकिन इस बार भी यमुना घाट पर पर्व मनाने की इजाजत नहीं मिलने की वजह से घरों के छत पर ही इस पर्व को मनाने की तैयारी हे। इसके साथ ही पार्क व छोटे-छोटे सीमेंटेड तालाब में पानी का जमाव करके भी अपार्टमेंट, सोसायटी, आवासीय परिसर में भी बनाए गए है। व्रती बुधवार की शाम को पहुंच कर पानी में सूप लेकर खड़ी होंगी और अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देंगे और बृहस्पतिवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य  देंगे।

दिल्ली के कई इलाकों में लोग छठ घाट पर नहीं पहुंचने की स्थिति में घरों की छतों पर हौज बनाकर उनमें पानी भरकर छोटे-छोटे समूहों में छठ पूजा करने की तैयारी में है। कई इलाकों में छतों को भी केला के पत्ते से खासतौर पर सजाया जा रहा है।

प्लास्टिक व रबर के बड़े हौजनुमा ट्यूब भी इस मकसद से बाजार में खूब बिक रहे है। अनधिकृत कॉलोनी में रहने वाले व कई अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को छत की उपलब्धता नहीं होने पर गलियों व घरों के बाहर ही पूजा-अर्चना करेंगे। आपकों बता दें कि महिलाओं के साथ ही पुरुष भी इस व्रत को करते है। 

बाजारों में बढ़ी रौनक

इस पर्व में छठ व्रती पूरी पवित्रता का ख्याल रखते हैं। नहाय खाय के बाद पूजा सामग्री की खरीदारी भी शुरू होती है। आस्था के महापर्व को लेकर घरों से लेकर बाजार तक रौनक बढ़ने लगी है। भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के लिए दिल्ली के पूर्वांचल बाहुल्य इलाके में बांस से बने सूप और दउरा की दुकानों पर खरीदारी शुरू भी हो गई है।

आजादपुर में बांस के बने सूप व दउरा ट्रकों में भरकर पहुंच रहे है। इस पर्व में इस्तेमाल होने वाले छिलका सहित नारियल, गागल और गन्ना विशेष रूप से मंगाया जा रहा है। वहीं कुम्हार इस पूजा में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के हाथी और मिट्टी के कोशी तैयार करने में जुटे है। भजनपुरा, वजीराबाद पुश्ता, उत्तम नगर, पालम समेत कई जगह बाजार भी लग गया है।

मान्यता के अनुसार छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएं यह व्रत रखती हैं। पति और बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए महिलाएं इस पर्व को व्रत रखती हैं। 

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