राम मंदिर को बनाने में लगेंगे इतने वर्ष, कार्ययोजना हो गई तैयार

टीम भारत दीप |

ट्रस्ट के एक सदस्य के मुताबिक एजेंडा समय पर मंदिर निर्माण के साथ मंदिर की मजबूती भी थी।
ट्रस्ट के एक सदस्य के मुताबिक एजेंडा समय पर मंदिर निर्माण के साथ मंदिर की मजबूती भी थी।

राजधानी के नेहरू मेमोरियल में हुई रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़ी भवन निर्माण समिति की बैठक में 40 महीने के अंदर मंदिर निर्माण का लक्ष्य पूरा करने की रूपरेखा तैयार की गई।

अयोध्या। करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़े राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत भूमिपूजन के साथ हो चुकी है। अब इसके बनने का इंतज़ार है। ऐसा कहा जा रह है कि हर हाल में भव्य राम मंदिर का निर्माण जनवरी 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। बृहस्पतिवार को राजधानी के नेहरू मेमोरियल में हुई रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़ी भवन निर्माण समिति की बैठक में 40 महीने के अंदर मंदिर निर्माण का लक्ष्य पूरा करने की रूपरेखा तैयार की गई। 

इस बैठक में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्ट्टियूट (सीबीआरआई), आईआईटी चेन्नई, और लार्सन एंड टर्बो कंपनी के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अगुआई में हुई इस बैठक में राम मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष चंपत राय, सदस्य अनिल मिश्र, गोविंद गिरी के साथ विहिप के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। 

करीब चार घंटे चली इस बैठक में समय में मंदिर निर्माण, 70 एकड़ भूमि के मास्टर प्लान और इस क्षेत्र में होने वाले निर्माण संबंधी मानचित्र का जल्द से जल्द अयोध्या-फैजाबाद विकास प्राधिकरण से स्वीकृति लेने पर चर्चा हुई।बैठक में उपस्थित ट्रस्ट के एक सदस्य के मुताबिक एजेंडा समय पर मंदिर निर्माण के साथ मंदिर की मजबूती भी थी।

मंदिर निर्माण के लिए 60 मीटर खुदाई की गई है। इससे निकली मिट्टी की मजबूती को जांचने का काम सीबीआरआई करेगी। निर्माण के दौरान किस तरह की जरूरतें होगी, इस पर भी विस्तार से चर्चा की गई। अंत में तय किया गया कि मंदिर का निर्माण पहले से तय 36 से 40 महीने के बीच हर हाल में कर लिया जाए।

बैठक में तय किया गया कि निर्माण की मजबूती और समय का पालन सुनिश्चित करने केलिए एक निश्चित समय पर निर्माण समिति और ट्रस्ट की बैठकें आयोजित हो। इन बैठकों में निर्माण और परामर्श से जुड़े सभी पक्षों के प्रतिनिधि तात्कालिक स्थिति की रिपोर्ट के साथ आएं। 

अधिग्रहित 70 एकड़ भूमि में पांच एकड़ में मंदिर और शेष भूमि शोध संस्थान, गुरुकुल सहित श्रद्घालुओं की सुविधा के लिए कई तरह के निर्माण कार्य किए जाएंगे। बैठक में तय किया गया कि इससे संबंधित अलग-अलग तैयार नक्शे की प्राधिकरण से स्वीकृति ले ली जाए।

मंदिर निर्माण के लिए तांबे की पत्तियों का ही इस्तेमाल होगा इसको लेकर पहले ही सहमति बन गई है। ऐसा मंदिर के मजबूती और कम से कम एक हजार साल तक स्थायित्व बरकरार रखने के लिए किया गया है। बैठक में 18 इंच लंबी दस हजार पत्तियों की व्यवस्था पर भी चर्चा हुई। गौरतलब है कि ट्रस्ट ने पहले ही लोगों से तांबे की पत्तियां दान करने की अपील की है।


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