मस्जिद बनाने वाले ट्रस्ट में अयोध्या वालों का नाम साफ, सामने आई ये प्रतिक्रिया

टीम भारत दीप |
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इकबाल अंसारी समेत हाजी महबूब को भी शामिल नहीं किया गया है।
इकबाल अंसारी समेत हाजी महबूब को भी शामिल नहीं किया गया है।

यहां तक की इसमें से मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे हामिद अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी समेत हाजी महबूब को भी शामिल नहीं किया गया है।

अयोध्या। राम जन्म भूमि विवाद खत्म होने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या के रौनाही में मस्जिद बनाने के लिए बनाए गए ट्रस्ट में किसी भी अयोध्या वासी का नाम नहीं है। यहां तक की इसमें से मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे हामिद अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी समेत हाजी महबूब को भी शामिल नहीं किया गया है। 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिले के रौनाही में दी गई पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बुधवार को इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से ट्रस्ट की घोषणा कर दी। लेकिन ट्रस्ट में अयोध्या के किसी शख्स का नाम नहीं है। इस उपेक्षा से मुस्लिम समाज दुखी है। हालांकि प्रमुख पक्षकार इकबाल अंसारी समेत हाजी महबूब ने कहा कि ट्रस्ट बनाने में न ही उनसे कोई बात हुई है न ही वे लोग इसमें शामिल होना चाहते हैं। 

पांच अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या में रामंदिर के लिए भूमि पूजन करने आ रहे हैं। इससे सात दिन पहले लखनऊ में बुधवार को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से मस्जिद बनाने के लिए ट्रस्ट की घोषणा कर दी। 15 सदस्यीय इस ट्रस्ट में बाबरी मस्जिद के लिए पुश्त दर पुश्त लड़ाई लड़ने वाले पक्षकारों को कोई जगह नहीं दी गई है।

बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी कहते हैं कि मस्जिद बनाने के लिए घोषित ट्रस्ट में अयोध्या के किसी मुसलमान को जगह नहीं दी गई है। यही नहीं रौनाही के धन्नीपुर में जहां मस्जिद बनेगी वहां के लोगों की भी उपेक्षा की गई है। वे कहते हैं कि श्रीरामजन्मभूमि पर अब भव्य मंदिर बनने जा रहा है। 

हिंदू-मुस्लिम विवाद पूरी तरह समाप्त हो गया है। ऐसे में वे मस्जिद बनाने वाले ट्रस्ट में शामिल होने के लिए कतई तैयार नहीं हैं। बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे हाजी महबूब का कहना है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को कोर्ट से अधिकार मिला है, वे जिसको चाहे रखें या न रखें। हमारा कोई मतलब नहीं है। धन्नीपुर में मस्जिद बनाने में उनका कोई इंट्रेस्ट नहीं है।

ये लोग किए गए शामिल
फैज आफताब जो मेरठ के व्यवसायी सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य हैं। बोर्ड के चेयरमैन के हर फैसले में उनका साथ दिया है। सैयद मोहम्मद शोएब, वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं। ट्रस्ट में सरकारी नुमाइंदगी के तौर पर इन्हें शामिल किया गया है। ये मुख्य रूप से हरदोई जिले के निवासी हैं। अदनान फारुख शाह, गोरखपुर से हैं और वक्फ बोर्ड के सदस्य हैं। चेयरमैन ज़ुफर फारूकी के वफादारों में से हैं। इन्होंने उनके हर फैसले का समर्थन किया है। जुनैद सिद्दीकी, लखनऊ से वक्फ बोर्ड के सदस्य हैं। ये भी बोर्ड के चैयरमैन के करीबियों में से हैं। हर फैसले पर अपना समर्थन दिया है।

अतहर हुसैन, लखनऊ से समाज सेवी हैं। अयोध्या में विवादित जमीन हिन्दू पक्षकारों को देने के पक्ष में रहे। अयोध्या विवाद को आपसी सहमति से हल करने के लिए बुद्धिजीवियों की मध्यस्थता कमेटी के सदस्य रहने के साथ ही मौलाना सलमान नदवी से श्री श्री रविशंकर की मुलाकात करवाने में अहम भूमिका निभाई थी। शेख सैदुज्जमां, बांदा के रहने वाले है। सुन्नी वक्फ की सबसे बड़ी संपत्ति के मुतवल्ली हैं। बोर्ड के चेयरमैन के काफी खास मुतवल्लियों में हैं। 

इमरान अहमद, लखनऊ से हैं। समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं। पार्टी के टिकट पर लखीमपुर से 2012 में चुनाव भी लड़ चुके हैं। अयोध्या में विवादित जमीन हिन्दू पक्षकारों को देने के पक्ष में रहे। अयोध्या विवाद को आपसी सहमति से हल करने के लिए बुद्धिजीवियों की मध्यस्थता कमेटी के सदस्य रहे हैं। इस कमेटी में वक्फ बोर्ड के चेयरमैन भी शामिल थे। मोहम्मद राशिद, लखनऊ से समाजसेवी हैं। अयोध्या में विवादित जमीन हिन्दू पक्षकारों को देने के पक्ष में रहे। अयोध्या विवाद को आपसी सहमति से हल करने के लिए बुद्धिजीवियों की मध्यस्था कमेटी के सदस्य रहे हैं।


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