महंगाई का डबल डोज: दूध के बाद गैस हुई महंगी, जानिए​ कितनी चुकानी होगी कीमत

टीम भारत दीप |

घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत अभी भी स्थिर रखी गई है।
घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत अभी भी स्थिर रखी गई है।

कमर्शियल सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी होने से होटल और रेस्टोरेंट चलाने वाले व्यवसायियों की जेब पर ज्यादा असर पड़ने वाला है। दाम में बढ़ोतरी के बाद अब 19 किलो वाला एलपीजी सिलेंडर 1 मार्च यानी आज से अब दिल्ली में 1907 रुपये के बजाय 2012 रुपये में मिलेगा।


नई दिल्ली। मार्च की शुरूआत मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग के लिए महंगाई की मार के साथ शुरू हुआ। पहले अमूल ने दो रुपये प्रति लीटर दूध महंगा किया तो मार्च दूसरी तरह गैस सिलेंडर के दाम में इजाफा हुआ है। यानि मार्च की पहली तारीख को लोगों पर महंगाई का डबल अटैक हुआ। वहीं कमर्शियल गैस का सिलेंडर 105 रुपये महंगा कर दिया गया है।इन दोनों का दाम बढ़ने से निम्न और मध्यम वर्ग पर सीधा असर पड़ेगा। 

मंगलवार से लागू हुईं नई कीमतें

कमर्शियल सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी होने से होटल और रेस्टोरेंट चलाने वाले व्यवसायियों की जेब पर ज्यादा असर पड़ने वाला है। दाम में बढ़ोतरी के बाद अब 19 किलो वाला एलपीजी सिलेंडर 1 मार्च यानी आज से अब दिल्ली में 1907 रुपये के बजाय 2012 रुपये में मिलेगा। कोलकाता में अब 1987 रुपये के बजाय 2095 रुपये में मिलेगा जबकि, मुंबई में इसकी कीमत अब 1857 से बढ़कर 1963 रुपये हो गई है।

घरेलू एलपीजी सिलेंडर के रेट स्थिर

राहत भरी बात ये है कि घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत अभी भी स्थिर रखी गई है। इसमें छह अक्तूबर 2021 के बाद न ही कोई कमी की गई और न ही किसी तरह की कोई बढ़ोतरी। हालांकि इस दौरान कच्चे तेल की कीमत में 102 रुपये डॉलर प्रति बैरल इजाफा हुआ। ऐसे में संभावना व्यक्त की जा रही  है कि आने वाले समय में या कहें तो पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद घरेलू सिलेंडर के दाम में भी बढ़ोतरी की जा सकती है।  

मार्च में यहां भी पड़ेगी मार

हाल ही में जारी रिपोर्टों पर नजर दौड़ाएं तो उम्मीद है दिवाली के बाद से स्थिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद तेज बढ़ोतरी की जा सकती है। बता दें कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतें आठ साल के शिखर पर पहुंच चुकी हैं।

इसके विपरीत तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रखे हुए हैं। इसका बड़ा कारण चुनाव है और विशेषज्ञों की मानें तो कंपनियों ने चुनाव परिणामों के बाद आम आदमी की जेब पर बोझ डालने की तैयारी कर ली है। 

इतना बढ़ेगा पेट्रोल-डीजल

विशेषज्ञों के अनुसार, युद्ध के असर के चलते जल्द ही क्रूड ऑयल के दाम 120 से 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं। यहां आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर का इजाफा होता है तो देश में पेट्रोल-डीजल का दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है।

ऐसे में उत्पादन कम होने और सप्लाई में रुकावट के चलते इसके दाम में तेजी आना तय है और उम्मीद है कि कच्च तेल 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 से 15 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है। 

खाने का तेल-खाद के दाम बढ़ेंगे

अगर रूस और यूक्रेन के बीच यूद्ध लंबा खिंचता है तो पहले से ही महंगाई से परेशान भारत के लिए तो ये जबरदस्त मार से कम नहीं होगा। बता दें कि देश में खाने के तेल का बड़े पैमाने पर यूक्रेन से आयात करता है।

यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत की बात करें तो यहां पिछले कुछ समय से खाने के तेल के दाम पहले से ही आसमान पर है और युद्ध के चलते सप्लाई रुकी तो खाद तेलों का दाम आसमान पर पहुंच जाएगा।   

एसी-फ्रिज के दाम बढ़ेंगे

विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का असर हमें एसी और फ्रिज में भी महंगाई कके रूप में देखने को मिल सकता है। बता दें कि रूस और यूक्रेन निकेल, तांबा और लोहा जैसी धातुओं के प्रमुख वैश्विक उत्पादक देश हैं।

इसके साथ ही ये दोनों देश मेटल उत्पादों से जुड़े आवश्यक कच्चे सामानों का निर्माण और आयात भी बड़े स्तर पर करते हैं। रूस पर प्रतिबंधों के डर ने इन धातुओं की कीमतों को और बढ़ा दिया है। इससे एसी , फ्रिज और वाशिंग मशीन समेत अन्य इलेक्ट्रिक सामानों के दाम में इजाफा हो सकता है। क्योंकि इन उत्पादों के निर्माण में स्टील, एल्यूमिनियम जैसे मेटल्स प्रमुख रूप से काम आते हैं। 

वित्त मंत्री ने जताई है चिंता

गौरतलब है कि सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कृषि क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ने की बात कहते हुए अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि इस यु्द्ध के चलते देश में आवश्यक चीजो के दाम पर असर पड़ सकता है।

सीतारमण ने कहा था कि केंद्र सरकार मूल्यांकन कर रही है और हर घटनाक्रम पर बारीकी से निगरानी करते हुए आयात बिल पर विचार कर रही है। इसके अलावा जापानी रिसर्च एजेंसी नोमुरा ने भी कहा है कि अगर युद्ध आगे बढ़ा तो एशिया में इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर होने वाला है। 

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