किसान आन्दोलन: किसानों ने धरना स्थल पर सोलर पैनल लगाकर निकाला बिजली समस्या का तोड़

टीम भारत दीप |
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किसानों ने निकाला बिजली समस्या का तोड़।
किसानों ने निकाला बिजली समस्या का तोड़।

सरकार द्वारा किसान आंदोलन को खत्म करने की कोशिशों के तहत गाजीपुर बॉर्डर के धरनास्थल पर टेंट हटाकर बिजली-पानी तक काट दिए गए थे। इसके बावजूद किसान वहीं डटे रहे और अब उन्होंने इसका तोड़ निकालते हुए धरनास्थल पर बिजली की व्यवस्था करने के लिए सोलर पैनल और सोलर इन्वर्टर लगाने शुरू कर दिए हैं। बताया गया कि मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए कई जगहों पर चार्जिंग प्वॉइंट भी बनाए हैं।

दिल्ली। दिल्ली में चल रहे किसान आन्दोलन के दौरान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद गुरुवार को सरकार द्वारा किसान आंदोलन को खत्म करने की कोशिशों के तहत गाजीपुर बॉर्डर के धरनास्थल पर टेंट हटाकर बिजली-पानी तक काट दिए गए थे।

इसके बावजूद किसान वहीं डटे रहे और अब उन्होंने इसका तोड़ निकालते हुए धरनास्थल पर बिजली की व्यवस्था करने के लिए सोलर पैनल और सोलर इन्वर्टर लगाने शुरू कर दिए हैं। बताया गया कि मोबाइल फोन चार्ज करने लिए कई जगहों पर चार्जिंग प्वॉइंट भी बनाए हैं।

बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अपील के बाद यहां पर एक बार फिर से किसानों की संख्या निरन्तर बढ़ने लगी है। वहीं 26 जनवरी के बाद ऐसा लग रहा था कि अब आंदोलन लगभग समाप्त हो गया है,

लेकिन गुरुवार शाम गाजीपुर बॉर्डर पर डटे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का भावुक वीडियो टीवी चैनलों पर चलने के पश्चात्  माहौल तेजी से बदल गया और किसानों का फिर से धरनास्थलों पर लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है।

गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के समर्थक किसानों की भीड़ बढ़ने लगी है। मेरठ, बागपत, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मुराबादाबाद एवं बुलंदशहर जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से भारी संख्या में किसान यहां आंदोलन में शामिल होने के लिए यूपी गेट पहुंचे हैं। राकेश टिकैत के नेतृत्व में बीकेयू सदस्य पिछले साल 28 नवंबर से यहां पर धरने पर बैठे हैं।

वहीं बताया गया कि गाजीपुर बॉर्डर पर अब भी काफी संख्या पर पुलिस बल तैनात है और हालात पर नजर बनाए रखने के लिए लगातार ड्रोन कैमरों से नजर रखी जा रही है। पुलिस के मुताबिक कोई आपराधिक तत्व आंदोलन में शामिल होकर माहौल न बिगाड़ दे, इसके लिए ऐसा किया जा रहा है।

बताते चले कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।

वहीं केन्द्र सरकार इन तीनों कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है। वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों की आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे। 
 


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