घर से तिरंगा लेकर निकले किसानों ने किया राष्ट्र का अपमान, लालकिले पर फहराया अपना झंडा

टीम भारत दीप |
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हाथापाई के बाद पुलिस हट गई और वहां हजारों किसान जमा हो गए। इसके बाद ये सभी लाल किले में दाखिल हुए।
हाथापाई के बाद पुलिस हट गई और वहां हजारों किसान जमा हो गए। इसके बाद ये सभी लाल किले में दाखिल हुए।

जिस तरह से आज किसानों ने देश के सबसे बड़े पर्व पर ट्रैक्टर परेड के नाम पर देश की राजधानी में तांडव मचाया है उसने लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया है। दिल्ली में दाखिल हुए किसानों का बड़ा जत्था मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे लालकिले पर पहुंच गया।

नईदिल्ली। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने देश के सबसे  बड़े  गणतंत्र दिवस पर जमकर उत्पात मचाया।

किसानों का इतने दिन का धैर्य आज लोकतंत्र के इतिहास में धब्बा बन गया। घर से लोकतंत्र की हिमाकत करने वाले किसान ने लाल किले पर अपना झंडा फहराकर लोकतंत्र का अपमान कर किया है।  

मालूम हो कि हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को लोकतंत्र का पर्व मनाया जाता है। इस साल किसानों की अरातकता की वजह से यह पर्व अपनी गरिमा को खो दिया है। जिस तरह से किसान शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे और सरकार भी उनके प्रदर्शन को पूरा सम्मान दे रहीं थी वह एक लोकतंत्र की शान थी।  

जिस तरह से आज किसानों ने देश के सबसे  बड़े  पर्व पर ट्रैक्टर परेड के नाम पर देश की राजधानी में तांडव मचाया है उसने लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया है।  दिल्ली में दाखिल हुए किसानों का बड़ा जत्था मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे लालकिले पर पहुंच गया।

खालसा पंथ का फहराया झंडा

लाल किले पर दाखिल होने के साथ ही किसानों ने जमकर उत्पात मचाया है। किसानों के समूह में से एक युवक एक पोल पर चढ़ कर खालसा पंथ और किसान संगठन का झंडा बांध आया, जहां प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराते रहे हैं।

लाल किले पर किसानों की भीड़

 ट्रैक्टर परेड के रूप में हजारों की संख्या में किसान तय रूट छोड़कर लाल किले की तरफ मुड़ गए।हजारों की संख्या में किसान तय रूट छोड़कर लाल किले की तरफ मुड़ गए।

मालूम हो किसान तय रूट तोड़कर लाल किले की तरफ बढने लगे। सिंघु बॉर्डर से जो किसान दिल्ली में दाखिल हुए, वही रूट तोड़कर लाल किले की ओर बढ़ गए। संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से उन्हें आउटर प्वाइंट की तरफ जाना था, लेकिन उधर ना जाकर वो लाल किले की तरफ मुड़ गए।

मुबारका चौक पर कुछ किसानों को पुलिस ने रोका भी, लेकिन हाथापाई के बाद पुलिस हट गई और वहां हजारों किसान जमा हो गए। इसके बाद ये सभी लाल किले में दाखिल हुए। लाल किले के बाहर किसानों ने अपने ट्रैक्टर खड़े कर दिए।

 बैरिकेड्स किसानों ने हटाए

लाल किले पर पुलिस प्रदर्शनकारियों को समझाती रही कि तिरंगा उतारकर अपने झंडे लगाना ठीक नहीं है, लेकिन वो नहीं माने। इस दौरान तिरंगा किसान संगठनों के झंडों के अलावा वाम दलों का झंडा भी नजर आया।

इस हिंसक और उग्र आंदोलन पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम जानते हैं कि कौन परेशानी खड़ी करने की कोशिश कर रहा है। ये उन राजनीतिक दलों के लोग हैं, जो आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं।


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