गणेशोत्सव आज से: चार शुभ मुहूर्त में करें स्थापन,जानिए पूजा अर्चना की आसान विधि

टीम भारत दीप |

गणपति का आशीर्वाद पाने के लिए सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से आराधना करते हैं।
गणपति का आशीर्वाद पाने के लिए सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से आराधना करते हैं।

विद्वानों के अनुसार गणेश जी की मूर्ति मिट्‌टी की होनी चाहिए, क्योंकि मिट्टी में स्वाभाविक पवित्रता होती है। और पूजा अर्चना के बाद मिट्टी की गणेश प्रतिमा पंचतत्व में ​आसानी से ​विलिन हो जाती है। क्योंकि मिट्टी की प्रतिमा में भूमि, जल, वायु, अग्नि और आकाश के अंश मौजूद होते हैं।

लखनऊ।विघ्नाहर्ता श्री गणेशोत्सव शुक्रवार से शुरू हो रहा है। शुक्रवार को ब्रह्म और रवियोग में गणपति की स्थापना होगी। और फिर अनंत चतुर्दशी तक गणेश जी की पूजा —अर्चना का सिलसिला शुरू हो जाएगा। शास्त्रों के मुताबिक भगवान गजानन का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्याह्न काल दोपहर में हुआ था।

जो इस बार दोपहर 12.20 से 01.20 तक है। इसलिए विद्वानों ने इसी समय गणेश प्रतिमा के स्थापना करने का शुभ मुहूर्त बताया है। इसके साथ ही गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना के लिए दिन में 4 शुभ मुहूर्त हैं। पुराणों और ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक सूर्यास्त के बाद मूर्ति स्थापना नहीं की जाती है, लेकिन इस दिन गोधूलि मुहूर्त में गणेश स्थापना शुभ मानी गई है।

शुभ चौघड़िया में स्थापना का समय

सुबह 6.10 से 10.40 तक (चर, लाभ और अमृत)
दोपहर 12.25 से 1.50 तक (शुभ)
शाम 05 से 6.30 तक (चर)

मिट्‌टी के गणेश शुभ

विद्वानों के अनुसार गणेश जी की मूर्ति मिट्‌टी की होनी चाहिए, क्योंकि मिट्टी में स्वाभाविक पवित्रता होती है। और पूजा अर्चना के बाद मिट्टी की गणेश प्रतिमा पंचतत्व में ​आसानी से ​विलिन  हो जाती है। क्योंकि मिट्टी की प्रतिमा में भूमि, जल, वायु, अग्नि और आकाश के अंश मौजूद होते हैं। इसलिए उसमें भगवान का आह्वान और उनकी प्रतिष्ठा करने से कार्य सिद्ध होते हैं।

मिट्टी के गणेश की पूजा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। वहीं प्लास्टर ऑफ पेरिस और अन्य केमिकल्स से बनी मूर्तियों में भगवान का अंश नहीं रहता। इनसे नदियां भी अपवित्र होती हैं। ब्रह्मपुराण और महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि नदियों को गंदा करने से दोष लगता है।

इस रूप के गण​पति ज्यादा फलदायी

पूजा अर्चना के लिए जिस मूर्ति में गणेशजी की सूंड दाईं ओर हो, उसे सिद्धिविनायक स्वरूप माना जाता है। जबकि बाईं तरफ सूंड वाले गणेश को विघ्नविनाशक कहते हैं।

सिद्धिविनायक को घर में स्थापित करने की परंपरा है और विघ्नविनाशक घर के बाहर द्वार पर स्थापित किए जाते हैं। ताकि घर में किसी तरह का विघ्न यानी परेशानियों का प्रवेश न हो सके। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए बाईं ओर मुड़ी हूई सूंड वाले और घर के लिए दाईं सूंड वाले गणपति जी को श्रेष्ठ माना जाता है।

गणपति को यह जरूर चढ़ाएं 

शास्त्रों के अनुसार बौद्धिक ज्ञान के देवता कहे जाने वाले गणपति के आशीर्वाद से मनुष्य  का बौद्धिक विकास होता है। इसीलिए गणपति का आशीर्वाद पाने के लिए सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से आराधना करते हैं।

भक्त गणपति की पूजा करते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हैं, ताकि उनसे कोई गलती न हो जाएं। अक्सर जानकारी न होने के अभाव में वे भगवान गणेशजी को ये कुछ चीजें चढ़ाना भूल जाते हैं। पहला मोदक का भोग और दूसरा दूर्वा (एक प्रकार की घास) और तीसरा घी।

ये तीनों ही गणपति को बेहद प्रिय हैं। इसीलिए जो भी व्यक्ति पूरी आस्था से गणपति की पूजा में ये चीजें चढ़ाता है तो उस व्यक्ति को गणेशजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि

  •   व्रती को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
  • चौकी में लाल आसन के ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
  • गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बांट दें।
  • सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
  • इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।
  • ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
  • गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।
     

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