आम बजट: झटकों के साथ कई बड़े ऐलान, सेहत—सड़क पर जोर

भारत दीप टीम |

कोरोना वैक्सीन के लिए बड़े पैकेज का ऐलान
कोरोना वैक्सीन के लिए बड़े पैकेज का ऐलान

खासकर नौकरी—पेशा वाले मध्यम वर्गीय लोगों को। लेकिन बजट में ऐसा कोई खास बड़ा ऐलान नहीं किया गया। इस बजट से जहां कुछ लोगों को फायदा मिला है तो वहीं कुछ लोगों के हाथ खाली रह गए हैं। कुल मिलाकर इस बजट में थोड़ी खुशी भी मिली तो थोड़ा गम भी मिला है।

दिल्ली। आम बजट—2021: कोरोना संकट काल में जूझ रही अर्थव्यवस्था को मजबूत करने व आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की नी​यत से सोमवार,1 फरवरी को मोदी सरकार ने अपना आम बजट प्रस्तुत किया। यह बजट केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने टैबलेट के जरिए लोकसभा में पेश किया। ऐसा माना जा रहा ​था कि संकट से जूझ रही देश की आम जनता को मोदी सरकार इस बजट के जरिए खास राहत दे सकती है। खासकर नौकरी—पेशा वाले मध्यम वर्गीय लोगों को। लेकिन बजट में ऐसा कोई खास बड़ा ऐलान नहीं किया गया। इस बजट से जहां कुछ लोगों को फायदा मिला है तो वहीं कुछ लोगों के हाथ खाली रह गए हैं। कुल मिलाकर इस बजट में थोड़ी खुशी भी मिली तो थोड़ा गम भी मिला है। बहरहाल मोदी सरकार ने इस बजट के ​जरिए कोरोना संकट के दौर में जूझ रही अर्थव्यस्था को मजबूत बनाने के लिए कई प्रयास किए है। इन प्रयासों के तहत कहीं राहत मिली है तो कहीं झटका भी लगा है।

राहत देने वाले ऐलान

कोरोना वैक्सीन के लिए बड़े पैकेज का ऐलान
इस बजट की सबसे अच्छी बात यह है कि कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने की दिशा में मोदी सरकार ने इस बजट में बड़ा ऐलान किया है। सरकार ने कोरोना वैक्सीन के लिए भारी भरकम पैकेज का ऐलान किया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैंने 2021-22 के लिए कोविड-19 टीकों के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है। उन्होंने जरूरत पड़ने पर और धन देने की प्रतिबद्धता भी जताई। उनके मुताबिक भारत पहले ही कोविड-19 के दो टीकों के इस्तेमाल की मंजूरी दे चुका है और देश में जल्द ही दो और टीकों को टीकाकरण अभियान में शामिल किया जा सकता है।

बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाई, अब 74 फीसदी
मोदी सरकार ने बीमा सेक्टर में एफडीआई की सीमा को बढ़ा दिया है। सरकार ने विदेशी कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करने की एक बड़ी कोशिश की है। सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) की सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने और रक्षोपाय के साथ विदेशी भागीदारी तथा नियंत्रण की अनुमति के लिए बीमा अधिनियम-1938 में संशोधन का प्रस्ताव किया। आम बजट 2021-22 पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि नए ढांचे के अन्तर्गत ज्यादातर निदेशक और बोर्ड और प्रबंधन स्तर के अधिकारी निवासी भारतीय होंगे। कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होंगे।

सोना-चांदी व लेदर प्रोडक्ट होंगे सस्ते
बजट में सोना-चांदी को लेकर सरकार ने बड़ा ऐलान किया। सरकार ने सोना-चांदी से कस्टम ड्यूटी को घटाया है। बताया जा रहा है कि अब सोना-चांदी सस्ता होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट प्रस्तावों में सोने और चांदी पर आयात शुल्क में भारी कटौती करने की घोषणा की है। वित्त मंत्री सीतारमण ने सोने और चांदी पर आयात शुल्क में 5 फीसदी की कटौती की है। फिलहाल सोने पर 12.5 फीसदी आयात शुल्क चुकाना पड़ता है। इस प्रकार से अब सोने पर सिर्फ 7.5 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी अदा करनी होगी। वहीं चुनिंदा लेदर को कस्टम ड्यूटी से हटा दिया गया है। ऐसे में अब लेदर के प्रोडक्ट्स भी सस्ते होंगें।

अब डिजीटल होगी जनगणना
बजट में मोदी सरकार के बड़े ऐलान के तहत देश में पहली बार डिजिटल तरीके से जनगणना होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने आगामी जनगणना के लिए 3,726 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं और पहली बार देश में डिजिटल जनगणना की जाएगी। वित्त मंत्री ने 2021-22 के लिए आम बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार एक राष्ट्रीय भाषा अनुवाद पहल पर भी काम कर रही है।

75 की उम्र से अधिक वाले पेंशनधारियों का इनकम टैक्स नहीं
मोदी सरकार ने बड़ा ऐलान अपने बजट में किया है। बजट में 75 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को बड़ी राहत दी है। इस आयु सीमा के लोगों को अब इनकम टैक्स भरने की जरूरत नहीं होगी। वित्त मंत्री सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के अपने बजट भाषण में यह घोषणा भी की कि केवल पेंशन और ब्याज आय वाले 75 साल से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अब आवश्यकता नहीं होगी। उनके मुताबिक ब्याज का भुगतान करने वाले बैंक अपनी ओर से कर की कटौती कर लेंगे। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर आकलन मामलों को फिर से खोले जाने की समय सीमा छह साल से घटा कर तीन साल कर दी। साथ ही कर धोखाधड़ी से जुड़े ऐसे गंभीर मामलों में जहां छिपायी गयी आय 50 लाख रुपये या उससे अधिक है, यह अवधि 10 साल कर दी गई है।

झटका देने वाले ऐलान

डिजल-पेट्रोल पर बढ़ाया गया से
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर 2.50 रुपये और डीजल पर 4 रुपये का कृषि सेस लगाने का ऐलान किया। बताया गया कि इसका असर उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा और ये सेस कंपनियों को देना होगा। लेकिन आशंका जताई जा रही है कि बाद में कंपनियों की मनमानी की कीमत उपभोक्ताओं को चुकानी पड़ सकती है।

टैक्स पेयर्स को कोई राहत नहीं
बजट से कोरोना संकट के दौर में अर्थिक तंगी से जूझ रहे टैक्स पेयर्स को कुछ छूट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन उनके हाथ इस बजट में खाली रह गए। इस बजट में उन्हें कुछ नहीं मिला। मध्यम वर्ग और नौकरी-पेशा वालों के लिए न तो कोई अतिरिक्त टैक्स छूट दी गई और न ही टैक्स स्लैब में कोई बदलाव किया गया।

मोबाइल फोन हो जाएंगे महंगे
इस बजट के बाद अब मोबाइल खरीदने की चाह रखने वालों को झटका लगा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोबाइल उपकरण पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि मोबाइल उपकरण पर अब कस्टम ड्यूटी 2.5 फीसदी तक लगेगा। आंकड़ों की मानें तो पिछले 4 साल में सरकार ने इन मोबाइल प्रोडक्ट्स पर औसतन करीब 10 फीसदी तक इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई है। ऐसे में माना जा रहा है कि मोबाइल फोन और मंहगे हो जाएंगे।

रोजगार के लिए कोई ठोस कारगार रणनीति नहीं
मोदी सरकार के इस बजट में इन्फ्रास्ट्रक्टर और हाईवे निर्माण को लेकर तो बड़े ऐलान किए हैं। लेकिन रोजगार के लिए सरकार ने कोई ठोस कारगार रणनीति प्रस्तुत नहीं की है। बजट में बंगाल से लेकर असम तक में राजमार्गों का निर्माण करने की बात बताई गई । इस काम से भले ही काफी लोगों को रोजगार मिलेगा, मगर बजट में रोजगार सृजन को लेकर न तो कोई स्पष्ट और प्रत्यक्ष तौर पर बात की गई है और न ही इसे लेकर कोई ठोस रोडमैप दर्शाया गया है।

किसानों के लिए कुछ खास नहीं
बीते करीब दो माह से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए ऐसा माना जा रहा था कि सरकार किसानों के लिए कोई बड़ा ऐलान कर सकती है। लेकिन इस बजट में खेती-किसानी पर कोई खास तवोज्जों दिया गया नहीं दिखता है। वहीं माना जा रहा था कि बजट में पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम में मिलने वाले पैसे को बढ़ाया जा सकता है, मगर ऐसा नहीं हुआ। पीएम किसान योजना के तहत अभी हर साल 6,000 रुपए मिलते हैं और ऐसी माना जा रहा था कि इसमें 3,000 रुपए का इजाफा हो सकता है। मगर ऐसा नहीं हुआ। अब तक इस योजना का लाभ 11 करोड़ 52 लाख किसान उठा रहे हैं।

 


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