वित्त मंत्री का बयान:बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत को SBI जैसे चार-पांच और बैंकों की जरूरत

टीम भारत दीप |

IBA की 74वीं सालाना आम बैठक का आयोजन।
IBA की 74वीं सालाना आम बैठक का आयोजन।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) की 74वीं सालाना आम बैठक (AGM) को संबोधित करते हुए कही। वित्त मंत्री ने कहा कि देश की इकोनॉमी एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है और जिस प्रकार इंडस्ट्री नई चीजों को अपना रही है, उससे कई चुनौतियां पैदा हुई हैं। उन्होंने कहा कि इससे यह बात भी सामने आई है कि भारत को ना सिर्फ अधिक संख्या में बल्कि ज्यादा बड़े बैंकों की जरूरत है।

नई दिल्ली। भारत को SBI जैसे चार—पांच और बड़े बैंकों की जरूरत है। दरअसल यह बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) की 74वीं सालाना आम बैठक (AGM) को संबोधित करते हुए कही। वित्त मंत्री ने कहा कि देश की इकोनॉमी एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है और जिस प्रकार इंडस्ट्री नई चीजों को अपना रही है, उससे कई चुनौतियां पैदा हुई हैं।

उन्होंने कहा कि इससे यह बात भी सामने आई है कि भारत को ना सिर्फ अधिक संख्या में बल्कि ज्यादा बड़े बैंकों की जरूरत है। जानकारी के मुताबिक IBA की बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) जैसे 4 या 5 और बैंकों की जरूरत है।

इकोनॉमी और इंडस्ट्री में हाल में आए बदलावों की पृष्ठभूमि में जिस प्रकार से वास्तवकिताएं बदली हैं, उन्हें पूरा करने के लिए हमें बैंकिंग का विस्तार करने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने कहा कि आज बैंकों का बही-खाता ज्यादा साफ-सुथरा है। ऐसे में वो बाजार से पैसा उठा सकते हैं, इससे सरकार पर बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन का बोझ कम होगा।

उन्होंने कहा कि बैंकों को तेज-तर्रार बनने की जरूरत है। उन्हें प्रत्येक इकाई की जरूरत को समझना होगा जिससे 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल किया जा सके। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि आगामी राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी को ‘बैड बैंक’ नहीं कहा जाना चाहिए, जैसा अमेरिका में कहा जाता है।

उनके मुताबिक कई जिलों में आर्थिक गतिविधियों का स्तर काफी ऊंचा है, मगर बैंकिंग उपस्थिति काफी कम है। वहां वे अपनी मौजूदगी को बढ़ाने के प्रयासों को और बेहतर करें। उन्होंने बैंकों से कहा कि उनके पास विकल्प है कि वे यह तय कर सकते हैं कि गली-मोहल्ले में छोटे स्तर के मॉडल के जरिए कहां बैंकिंग मौजूदगी दर्ज कराने की जरूरत है।

वित्त मंत्री के मुताबिक अगर हम कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों को देखें तो भारत का बैंकिंग सेक्टर काफी यूनिक नजर आता है, जिसने डिजिटलीकरण को सफलतापूर्वक अपनाया है।

महामारी के दरम्यान कई देशों के बैंक अपने ग्राहकों तक पहुंच नहीं पा रहे थे, वहीं भारतीय बैंकों के डिजिटलीकरण की बदौलत हमें DBT और डिजिटल मैकेनिज्म के जरिए छोटे, मझोले और बड़े अकाउंट होल्डर्स को पैसे ट्रांसफर करने में मदद मिली।

कोरोना के कारण जान गंवाने वाले बैंककर्मियों को दी गई श्रद्धांजलि
अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण जान गंवाने वाले बैंककर्मियों को श्रद्धांजलि दी। वित्त मंत्री ने AGM को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना के समय में बैंकों के विलय के काम को पूरा करना बैंकर्स के लिए बड़ी चुनौती रही।

यह काम ऐसे समय में हुआ जब बैंक कोरोना महामारी के काल में बैंक देश के सुदूर इलाकों के लोगों को मदद पहुंचाने में लगे हुए थे। कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए बैंककर्मियों की सराहना करती हूं कि विलय से ग्राहकों को किसी तरह की असुविधा नहीं हुई।
 


संबंधित खबरें