‘दुरंगी नितियां’ के मंचन में दिखा ‘आधी-आबादी’ का दर्द, नाटक ने दिया यह संदेश

टीम भारतदीप |

नाटक दुरंगी नितियां, जिसका मंचन लखनऊ के प्लासियो माॅल में किया गया।
नाटक दुरंगी नितियां, जिसका मंचन लखनऊ के प्लासियो माॅल में किया गया।

तमाम सामाजिक जागरूकता के बावजूद अभी भी अधिकतर परिवार में लड़की के वनस्पति लड़के को ज्यादा तवज्जों मिलती है और लडकियां उपेक्षा का शिकार होती है। वहीं महिलाओं के प्रति आपराधिक प्रवृत्ति भी लगातार बढ़ रही है। इन्हीं सब बिन्दुओं पर केन्द्रित है नाटक दुरंगी नितियां। जिसका मंचन लखनऊ के प्लासियो माॅल में किया गया।

लखनऊ। हम 21वीं सदीं में रह रहे है। बावजूद इसके आज भी हमारे समाज में स्त्री-पुरूष को लेकर पक्षपात-भेदभाव की जो रेखा खींची गई थी वो आज भी कायम है। तमाम सामाजिक जागरूकता के बावजूद अभी भी अधिकतर परिवार में लड़की के वनस्पति लड़के को ज्यादा तवज्जों मिलती है और लडकियां उपेक्षा का शिकार  होती है।

वहीं महिलाओं के प्रति आपराधिक प्रवृत्ति भी लगातार बढ़ रही है। इन्हीं सब बिन्दुओं पर केन्द्रित है नाटक दुरंगी नितियां। जिसका मंचन लखनऊ के प्लासियो माॅल में किया गया। यह नुक्कड़ नाटक स्त्री सुरक्षा, सम्मान व सषक्तिकरण को समर्पित प्रदेश  सरकार के अभियान ‘मिशन शक्ति’ के प्रसार के क्रम में सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी के बैनर तले आयोजित हुआ।

मंचन की शुरूआत  ’जेहि कोखे बेटा जनमल वही कोखे बिटिया’, ’दुरंगी नीतियां’काहे कैला हो बाबूजी..!’ गीत से हुई जिसने लोगों को काफी प्रभावित किया। कथानक के अनुसार घर पर बेटा-बेटी के समान परवरिश ,समान शिक्षा के लिए कहानी में भाई व बहन के बीच घरेलू नोंकझोक में पापा द्वारा बेटी की पढ़ाई बन्द कर दी जाती है, जिसमे माँ इसके विरोध में खड़ी होती है।

जब तब पापा और भाई को गलती का एहसास होता है और बेटी की पढ़ाई शिक्षा आगे बढ़ती है। वहीं मंचन में कालेज जाने वाली लड़कियों  ,महिलाओं व बच्चियों के साथ होती छेड़खानी व इसके खिलाफ उठाए जाने कदमों को लेकर भी समाधान प्रस्तुत करने की बखूबी कोशिश  दिखी।

इस नाटक की महिला पत्र रेवती को, मनचले लड़कों द्वारा छेड़ने और परीक्षा देने हेतु जाने से रास्ते में रोकने पर, महिला पुलिस अधिकारी द्वारा उन्हें सबक सिखाये जाने की कहानी है। कलंक नाम का लड़का जब रेवती को रास्ते में रोक कर अपने बाप के तमंचे से डराता है तो एसपी पुलिस डॉ सीमा एक तमाचा मार कर कहती है ‘ये देख यू पी पुलिस का तमाचा’।

जिसका रोल खुद सीमा मोदी ने किया । लड़कियों को निर्भिक साहसिक रहने के साथ साथ पुलिस व जनता की हेल्प कैसे मिल सकती है ये भी बताया गया। संस्थान की महासचिव डॉ सीमा मोदी ने कहा कि सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी विगत कई वर्षों से रंगमंच के जरिए निःशुल्क कार्यशाला के तहत व सामाजिक कार्यों के माध्यम से गांव , स्कूल , कॉलजों  में  उत्तर प्रदेश के कई जिलों व झारखंड में  महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य करते आ रही है।

कोरोना काल में  नियमो को पालन करते हुए भी कई नुक्कड़ नाटक पेश करते आ रही है। मंचन में सीमा मोदी, अखिलेश त्रिपाठी, नवनीत मिश्रा,रितेश अस्थाना, आशीष सिंह,स्वरिम अंसारी, मोनिस सिद्दीकी, अम्बरीष चतुर्वेदी, सौम्या मोदी, बृजेश चैबे, धीरज कुमार, अतुल पटवा ,माला सिंह,मलिका गुप्ता,समृद्धि सिंह, समर्थ सिंह आदि ने अपने अभिनय से मंचन को जीवंतता प्रदान की। वहीं नेपथ्य में वरिष्ठ रंगकर्मी के.के. अग्रवाल व रितेश अस्थाना ने अहम भूमिका निभाई।
 


संबंधित खबरें