मध्य प्रदेश के इस शहर में रावण दहन की जगह होगी महापूजा, तैयारी तेज

टीम भारत दीप |
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विदिशा के रावण गांव में बिना लंकापति के दर्शन किए नवदंपति गृहप्रवेश तक नहीं करते।
विदिशा के रावण गांव में बिना लंकापति के दर्शन किए नवदंपति गृहप्रवेश तक नहीं करते।

रावण के मंदिर का निर्माण करने वाले महेश गौहर का कहना है कि दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व माना जाता है लेकिन रावण बुरा व्यक्ति नहीं था। वह महान विद्वान और प्रकांड विद्वान था।

इंदौर।देशभर में दशहरा पर लंकापति रावण , कुंभरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते है। लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में दशहरा पर रावण का दहन न करके महापूजा की तैयारी की जा रही है। 


कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए वैसे तो सरकार ने किसी भी प्रकार के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने पर प्रतिबंध लगा दिया।  इसके बाद भी शहर भर में दशहरे पर छोटे पुतले का दहन किया जाएगा। इससे अलग परदेशीपुरा स्थित रावण मंदिर में रावण की महापूजा की तैयारियां चल रही है।

हर साल की तरह इस बार भी विजया दशमी पर 25 अक्टूबर को रावण का पूजन होगा। इस अवसर पर यज्ञ-हवन के साथ लंकापति महाभोग लगाया जाएगा। मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की कतार भी लगेगी।रावण के मंदिर का निर्माण करने वाले महेश गौहर का कहना है कि दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व माना जाता है लेकिन रावण बुरा व्यक्ति नहीं था।

वह महान विद्वान और प्रकांड विद्वान था। देश की संस्कृति भी रावण के देवतुल्य रूप को सामने नहीं लाती। मंदिर में रावण के 10 सिर के ऊपर नागदेव फन फैलाए हुए हैं। रोजाना यहां आरती होती है। पूरे विधान से रावण का पूजन किया जाता है। यहां आने वाले रावण भक्तों का कहना है कि रावण को बुराई का प्रतीक मानना गलत है। श्रीराम ने अपने विजय का हवन करवाने के लिए रावण को ही बुलाया था।

इसी प्रकार मंदसौर में रावण की पूजा-अर्चना कर दशहरा मनाया जाता है और प्रतीकात्मक वध किया जाता है। क्योंकिग मंदसौर रावण का ससुराल था, और यहां की बेटी, रावण से ब्याही गई थी, इसलिए यहां दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण के पुतले का दहन करने की बजाय उसे पूजा जाता है।

इसी तरह विदिश जिले के नरहट तहसीली के रावण गांव में भी रावण के पुतले का दहन नहीं होता।यहां लोग हर शुभ कार्य से पहले रावण की पूजा अर्चना करते है। यहां के लोगों का मानना है कि बिना रावण की पूजा के कोई भी कार्य सफल नहीं होता। यहां तक कि नवदंपति भी रावण का दर्शन कर गृहप्रवेश करते है। 

इसी प्रकार राजस्थान के जोधपुर शहर के किला परिसर स्थिति अमरनाथ महादेव मंदिर में भी में रावण की पूजा—अर्चना की जाएगी। इसके अलावा देशभर में होने वाले रावण दहन पर शोक मनाया जाएगा। यहां के लोगों का मानना है कि रावण एक ​विद्वान व्य​क्ति था उसने सीता के अपहरण के बाद भी कभी बुरी नजर से नहीं देखा था। यहां पर 2008 में रावण की प्रतिमा स्थापित की गई थी। तभी से उसकी पूजा अर्चना की जाती है। 
 


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