मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट से मिली मंजूरी

टीम भारत दीप |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी ।

कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखा और निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखने की बात कही। इसके अलावा निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाने और निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की भी मंजूरी लेने को कहा।

नईदिल्ली। नए संसद भवन के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़ी आपत्तियों पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया। इस फैसले के बाद मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का रास्ता साफ हो गया।

जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने दो-एक के बहुमत से प्रोजेक्ट ह​री झंडी दे दी। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पेपरवर्क को सही ठहराया। इसके साथ ही कहा कि जमीन का डीडीए की तरफ से लैंड यूज बदलना सही है।

कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखा और निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखने की बात कही। इसके अलावा निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाने और निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की भी मंजूरी लेने को कहा।

 मालूम हो कि लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को पिछली सुनवाई में नए संसद भवन के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी, लेकिन इसके साथ में यह भी निर्देश दिया था कि कोई निर्माण नहीं होगा।

मामले में कोर्ट ने पिछले साल पांच नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में जस्टिस दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना भी थे। सरकार की ओर से भी आश्वासन दिया गया था कि लंबित याचिकाओं पर फैसला आने से पहले वहां पर निर्माण या विध्वंस का कोई कार्य नहीं होगा।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी और भूमि पूजन किया, जो 20 हजार करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा परियोजना का एक हिस्सा है। 

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि इस परियोजना से पैसों की बचत होगी। इस प्रोजेक्ट से सालाना 20 हजार करोड़ की बचत होगी, जिसका भुगतान केंद्र सरकार के मंत्रालयों के लिए किराए के रूप में किया जाता है।

इसने यह भी कहा था कि नए संसद भवन के निर्माण का निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया गया है और परियोजना के लिए किसी भी तरीके से किसी कानून या मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया गया है।

बता दें कि सितंबर, 2019 में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी। इस परियोजना में संसद की नई त्रिकोणीय इमारत होगी, जिसमें एक साथ 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे। इसका निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त, 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसमें केंद्रीय सचिवालय का निर्माण वर्ष 2024 तक करने की योजना है।


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