निजीकरणः मोदी सरकार का विरोध करते-करते केजरीवाल भी आखिर चल पड़े उन्हीं की राह पर

टीम भारत दीप |
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केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है।
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है।

उन्होंने अपने आप को निजीकरण के लिए तैयार कर लिया है। कभी वह मोदी सरकार द्वारा रेल विभाग में निजीकरण को लेकर काफी विरोध किया करते थे।

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों विपक्षी पाटिर्यो के निशाने पर हैं। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि वह भी मोदी सरकार की राह पर चलने का मन बना रहे है। इसको लेकर विपक्षी दलों ने खुले मंच से उनके निर्णय की आलोचना भी शुरू कर दी है। 

दरअसल मुख्यमंत्री केजरीवाल चाहकर भी कोई रास्ता नहीं तलाश पा रहे हैं। उन्होंने अपने आप को निजीकरण के लिए तैयार कर लिया है। कभी वह मोदी सरकार द्वारा रेल विभाग में निजीकरण को लेकर काफी विरोध किया करते थे। 

अब उनकी मंशा सामने आने के बाद शायद यही कारण है कि अब दिल्ली जल बोर्ड के निजीकरण की बात रखते ही अरविंद केजरीवाल की फजीहत होने लगी है। यद्यपि दिल्ली सरकार ने कई बार इसका विकल्प तलाशने की कोशिश की, लेकिन रास्ता नहीं मिल सका।

दरअसल दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने इसके तमाम लाभ बता दिए। उनका कहना है कि लोगों को सस्ता पानी मिलेगा। इसकी स्वच्छता भी अधिक होगी। किसी प्रकार का आपसी विवाद नहीं होगा। 

इस फैसले के साथ ही दिल्ली में सियासत तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली सरकार पर पहले से ही हमलावर रही है, अब कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल भी मोदी सरकार की तरह निजीकरण की राह पर चल पड़े हैं। 

रेलवे में निजीकरण की बात आने पर अधिकारी कहते रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट का मकसद रेलवे में नई तकनीक लाना, मरम्मत खर्च कम करना, यात्रा समय कम करना, नौकरियों को बढ़ावा देना, सुरक्षा बढ़ाना और यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देना है। अब यही केजरीवाल को पसंद आने लगा है। 

भारतीय रेलवे ने 109 रूटों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों से रिक्वेस्ट फॉर क्वालीफिकेशन यानी आरएफक्यू आमंत्रित कर अपना निर्णय सुना दिया। सरकार का कहना है कि रेलवे अप्रैल 2023 में निजी रेल सेवाएं शुरू कर देगा। प्रोजेक्ट के तहत रेलवे में निजी क्षेत्र के 30 हजार करोड़ रुपये निवेश किए जा रहे हैं। 

उधर यूपी सरकार ने बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए निजीकरण को बढ़ावा दिया है। यहां तक कि सुंदरीकरण के लिए आगरा के ताजमहल और दिल्ली के लाल किला में भी प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी है। अरविंद केजरीवाल के फैसले को पूरी तरह से अध्ययन भले ही न किया गया हो लेकिन विपक्ष ने शोर मचाना शुरू कर दिया है। विपक्ष कह रहा है कि दिल्ली जल बोर्ड के निजीकरण के बाद हजारों कर्मचारी बेरोजगारों की श्रेणी में आ जाएंगे। 


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