सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज, सीजेआई बोले, सरकार अपना काम कर रही है

टीम भारत दीप |

वकील विशाल तिवारी ने दिल्ली में हिंसा मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग बनाने की मांग की थी।
वकील विशाल तिवारी ने दिल्ली में हिंसा मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग बनाने की मांग की थी।

दिल्ली में हुई हिंसा की जांच रिटायर्ड जजों से कराने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि सरकार इस मामले में अपना काम कर रही है। जांच में कोई कमी नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार ने इसे काफी गंभीरता से लिया है।

नईदिल्ली। मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों के लिखाफ किसानों ने ट्रैक्टर रैली  गणतंत्र दिवस पर निकाली गई थी। इस रैली में शामिल कुछ लोगों द्वारा जमकर उत्पात मचाया गया था।

यहां कि कुछ उपद्रवियों द्वारा लाल किले पर एक धर्म विशेष और अपने संगठन का झंडा फहराया गया था। इस हिंसा की जांच कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। दिल्ली में हुई हिंसा की जांच रिटायर्ड जजों से कराने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। 

चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि सरकार इस मामले में अपना काम कर रही है। जांच में कोई कमी नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। हमने प्रधानमंत्री का बयान भी सुना है। उन्होंने कहा है कि कानून अपना काम कर रही है। इसलिए सरकार को इसकी जांच करने दीजिए।

आयोग बनाने की थी मांग

वकील विशाल तिवारी ने दिल्ली में हिंसा मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग बनाने की मांग की थी। तिवारी का कहना था कि इस आयोग की अगुआई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें।

इनके अलावा इसमें दो रिटायर जज हाईकोर्ट के होने चाहिए। यह आयोग सबूतों को जुटाए और तय समय में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश करे। तिवारी की याचिका में हिंसा और राष्ट्रध्वज के अपमान के जिम्मेदार व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ दर्ज करने की मांग भी की गई थी।

किसानों को आतंकी न बनाने की याचिका भी खारिज

कोर्ट ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया है जिसमें मीडिया को यह आदेश देने की मांग की गई थी कि वह बगैर किसी सबूत के किसानों को आतंकी न कहें। वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर याचिका में मांगी की थी

इसमें संबंधित अथॉरिटी और मीडिया को निर्देश दिया जाए। अगर कोई बगैर सबूत के किसान संगठनों और आंदोलनकारियों को आतंकी कहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी दावा किया था कि किसानों के प्रदर्शन के दौरान हिंसा की साजिश रची गई थी। कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया है।

फआईआर के खिलाफ कोर्ट पहुंचे थरूर, राजदीप और मृणाल

फेक न्यूज फैलाने और 26 जनवरी को दंगा भड़काने के आरोपों में दर्ज एफआईआर के खिलाफ कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पत्रकार राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन तीनों के खिलाफ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में कई मामले दर्ज हुए है। 

400 से ज्यादा पुलिसकर्मी हुए थे घायल

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर गणतंत्र दिवस पर हजारों की संख्या में किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाली थी। कई जगह उनकी पुलिस से झड़प हुई थी। तोड़फोड़ की गई थी। लाल किले पर धार्मिक झंडा लगा दिया गया था।

इस हिंसा में करीब 400 पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे। किसान संगठन से जुड़े नेताओं का दावा है कि इस हिंसा में आंदोलनकारी किसान शामिल नहीं हैं। यह उन्हें बदनाम करने की साजिश है।


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