अपने फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी से संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं

टीम भारत दीप |
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मुरादाबाद के खुशाबे अली की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति मो. असलम ने सुनवाई की। 
मुरादाबाद के खुशाबे अली की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति मो. असलम ने सुनवाई की। 

याची के खिलाफ उसकी पत्नी ने आठ सितंबर 2020 को मुरादाबाद के भोजपुर थाने में दहेज उत्पीड़न, मारपीट करने और धमकी देने के अलावा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का मुकदमा दर्ज कराया था। याची के अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी का कहना था कि मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में पीड़िता ने अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने व याची के भाइयों द्वारा दुष्कर्म करने की बात से इंकार किया है।

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला दिया है। यह फैसला पति—पत्नी के रिश्ते से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में संशोधन के पश्चात पंद्रह वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है।एक मामले की सुनवाई के दौरान अपने फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी से संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं।

एक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी की जमानत मंजूर कर ली है। मालूम हो कि मुरादाबाद के खुशाबे अली की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति मो. असलम ने सुनवाई की। 

याची के खिलाफ उसकी पत्नी ने आठ सितंबर 2020 को मुरादाबाद के भोजपुर थाने में दहेज उत्पीड़न, मारपीट करने और धमकी देने के अलावा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का मुकदमा दर्ज कराया था। याची के अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी का कहना था कि मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में पीड़िता ने अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने व याची के भाइयों द्वारा दुष्कर्म करने की बात से इंकार किया है।

आईपीसी की धारा 375 में 2013 में किए गए संशोधन के बाद पंद्रह वर्ष की आयु से अधिक की पत्नी से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने कहा कि धारा 375 में कई संशोधन किए गए हैं। संशोधित धारा की व्याख्या संख्या दो में यदि पत्नी पंद्रह वर्ष से कम आयु की नहीं है तो उसके साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने याची की जमानत मंजूर करते हुए शर्तों के साथ उसे रिहा करने का आदेश दिया है।

फिलहाल कोर्ट का फैसला कानून के सम्मत भले ही ठीक हो,लेकिन एक बार सुर्खियों में जरूर छा गया है। क्योंकि कई मामलों में पत्नी की इच्छा के विरूद्ध संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में माना गया है।

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