पैदल घर आने वाले मजदूरों को लौटने के लिए ​मिल रहा ट्रेन का टिकट और त्योहारी तोहफे का आफर

टीम भारत दीप |

लॉकडाउन की वजह से लौटे मजदूरों को बुला रहे कंपनी मालिक।
लॉकडाउन की वजह से लौटे मजदूरों को बुला रहे कंपनी मालिक।

अब जब कोरोना वायरस का प्रभाव कम हो रहा है तो उद्योग धंधों के मालिकों को इन मजदूरों की जरूरत सताने लगी है। ऐसे में कंपनियों के मालिक उन्हें दीपावली का तोहफा और आने के टिकट और रहने की व्यवस्था जैसे कई लालच देकर बुला रहे है।

झांसी। बुंदेलखंड देश में अपने पिछड़ेपन के​ लिए जाना जाता है। यहां पर कोई रोजगार के साधन नहीं होने से यहां की अधिकांश आबादी मजदूरी पर निर्भर है।

कोरोना वायरस की वजह से देश में लगाए गए लॉकडाउन के कारण यहां के लोग बड़ी संख्या में महानरों से लौटे थे। पूरे के पूरे महानगर खाली हो गए थे। इस कारण वहां के उद्योग धंधे प्रभाावित हो रहे है।  


अब जब कोरोना वायरस का प्रभाव कम हो रहा है तो उद्योग धंधों के मालिकों को इन मजदूरों की जरूरत सताने लगी है। अधिकतर मजदूर लॉकडाउन का जो दंश झेलकर घर पहुंचे थे वे अब वापस नहीं जाना चाहते है।

ऐसे में कंपनियों के मालिक उन्हें दीपावली का तोहफा और आने के टिकट और रहने की व्यवस्था जैसे कई लालच देकर बुला रहे है। मजदूरों से कहा जा रहा है दीपावली से पहले आ जाओं साथ में त्योहार मनाएंगे।

मजदूरों को भी पर्याप्त मजदूरी गांव में नहीं मिलने के कारण पलायन मजबूरी बनती जा रही है। पहले फसल कटाई और मनरेगा से काम चल रहा था।झांसी रेलवे स्टेशन पर मिले कुशीनगर के महबूब अहमद ने बताया कि वह केरल में एक फैक्टरी में काम करता था।

काफी समय से गांव में था लेकिन अब ठेकेदार ने एसी कोच का टिकट भेजा और रहने की व्यवस्था करने की बात की है तो आज वापस जा रहा है।संतकबीरनगर के विनोद यादव का कहना है कि वह 20 लोग वापस आए थे।

अब सभी से कहा जा रहा है कि दीपावली से पहले आएंगे तो बोनस भी मिलेगा। कपड़े भी मिलेंगे। बच्चों को गिफ्ट दिए जाएंगे। लिहाजा परिवार के साथ वापसी कर रहे हैं। गोरखपुर के अमन कुमार का कहना है कि अब कारोबारियों को भी पता चल गया है कि मजदूर के बिना कुछ हो नहीं सकता।

कपड़ा मिल में वह 20 साल से काम कर रहा है। हुनरमंद मजदूर मिलना आसान नहीं है। इसलिए मालिकों को उनके पुराने श्रमिक याद आ रहे है। ऐसे में उन्हें बुलाने ट्रेनों का टिकट तो भेज ही रहे है। कुछ मालिक तो ट्रेन में टिकट न मिलने पर बसें भेज रहे है। प्रदेश से हजारों की संख्या  में रोज वापस काम पर लौट रहे है। 


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