वैज्ञानिकों ने बनाई अनोखी किट, किसान खुद ही कर सकेंगे अपनी मिट्टी की पहचान

टीम भारतदीप |

नववर्ष में यह किट किसानों को तोहफे के तौर पर दी जाएगी।
नववर्ष में यह किट किसानों को तोहफे के तौर पर दी जाएगी।

किट आने से उनको मिट्टी की जांच के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा और न ही रिपोर्ट आने का इंतजार करना पड़ेगा। बड़ी बात तो यह है कि यह किट हाईस्कूल पास कोई भी व्यक्ति चला सकता है। किट के जरिए मिट्टी में मौजूद जिप्सम की जांच आसानी से की जा सकेगी।

लखनऊ। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अनोखी किट तैयार ​की है जिससे किसान खुद ही अपनी मिट्टी की पहचान कर सकेंगे। दरअसल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पुरानी जेल रोड स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र की ओर से एक अनोखी किट तैयार की गई है। इस जीवाईपी किट के जरिए किसान खुद ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता जांच सकेंगे।

बताया जा रहा है कि किट आने से उनको मिट्टी की जांच के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा और न ही रिपोर्ट आने का इंतजार करना पड़ेगा। बड़ी बात तो यह है कि यह किट हाईस्कूल पास कोई भी व्यक्ति चला सकता है। किट के जरिए मिट्टी में मौजूद जिप्सम की जांच आसानी से की जा सकेगी। नए साल से किसानों को यह किट मिलने लगेगी।

मात्र 30 मिनट हो जाएगी पहचान
ऊसर भूमि में सुधार के लिए मृदा परीक्षण में 15 से 20 दिन का समय लगता है, जबकि इस किट से मात्र 30 मिनट में लवणता को दूर करने के लिए जिप्सम की मात्रा की जनकारी हो जाएगी। पुरानी जेल रोड स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र के अध्यक्ष डॉ.विनोद कुमार मिश्रा के मुताबिक इस किट के उत्पादन के लिए दिल्ली के एग्रीइनोवेट इंडिया के माध्यम से एक निजी कंपनी को जिम्मा दिया गया है। फिलहाल किट की कीमत ज्यादा है। उत्पादन बढ़ने पर किट की कीमत कम की जाएगी।  नववर्ष में यह किट किसानों को तोहफे के तौर पर दी जाएगी।

मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मिलेगी मदद
बहरहाल पूरे देश में 67 लाख हेक्टेयर भूमि ऊसर है, जबकि प्रदेश में 13.7 हेक्टेयर भूमि ऊसर होने से कोई उत्पादन नहीं हो पाता। प्रयोगशालाओं की संख्या कम होने के कारण रिपोर्ट आने में ही समय अधिक लग जाता है। इस नई किट से किसानों को जिप्सम के प्रयोग की मात्र की जानकारी हो सकती है और ऊसर भूमि में शीघ्र सुधार हो सकता है। क्योंकि जिप्सम ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाता है। ऐसे में पता चलने पर ऊसर में अतिरिक्त जिप्सम डालकर उसे उपजाऊ बनाया जा सकता है।

किट का प्रयोग हाईस्कूल पास व्यक्ति भी आसानी से कर सकेगा
ऊसर भूमि में जिप्सम की मात्रा की जानकारी हाईस्कूल पास युवक आसानी से लगा लेगा। इसके लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं पड़ेगी। करनाल केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा.प्रबोध चंद्र शर्मा, वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा, डा.अतुल कुमार सिंह, डा.यशपाल सिंह और कंपनी के निदेशक शेखर पांडेय की मौजूदगी में बुधवार को तकनीक को हस्तांतरित किया गया है।


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