लॉकडाउन है जनाब, लेकिन न हों परेशान, घर पर ऐसे पढ़ें ईद की नमाज़

टीम भारत दीप |
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जिस तरह ​नफिल की नमाज़ पढ़ते हैं उसी तरह ये नमाज़ भी पढ़ सकते हैं।
जिस तरह ​नफिल की नमाज़ पढ़ते हैं उसी तरह ये नमाज़ भी पढ़ सकते हैं।

लॉकडाउन के साथ—साथ सोशल डिस्टेंसिंग का भी मसला लोगों के सामने है। इस वजह से हम इस ख़बर में आपको बताएंगे कि बकरीद की नमाज़ आप घर पर कैसे पढ़ सकते हैं।

जौनपुर। कोरोना काल में ऐसी कौन सी चीज़ है जिसपर असर न पड़ा हो। लोगों की रोज़ी—रोटी से लेकर त्योहार तक इससे ख़ूब प्रभावित हुए हैं। ईद हो या फिर कांवड़ यात्रा हर एक त्योहार की रौनक कोरोना वायरस ने छीन ली है। अब आने वाले शनिवार यानि 1 अगस्त को ईद उल अज़हा का पर्व मानाया जाएगा। ऐसे में ईदगाहों में नमाज़ होना मुमकिन नहीं लग रहा है। ऐसा इसलिए कि लॉकडाउन के साथ—साथ सोशल डिस्टेंसिंग का भी मसला लोगों के सामने है। इस वजह से हम इस ख़बर में आपको बताएंगे कि बकरीद की नमाज़ आप घर पर कैसे पढ़ सकते हैं।

वीकली लॉकडाउन में है बकरीद
बकरीद 1 अगस्त को होगी। यूपी की बात की जाए तो यहां शनिवार और रविवार लॉकडाउन रहता है। ऐसे में घरों से निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी रहती है। हां ये ज़रूर है कि इमरजेंसी में आप घर से निकल सकते हैं। अब ऐसे में बकरीद उसी हो रही है तो ज़ाहिर है कि ईदगाह में नमाज़ नहीं हो पाएगी। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी भीड़ पर पाबंदी है। जब​कि ईदगाह में उस दिन हज़ारों की भीड़ होती है। कोरोना काल में मुसलमान इस वजह से भी परेशान हैं कि वो नमाज़ कैसें पढ़ें। 

सुन्नी इस तरह पढ़ें बकरीद की नमाज़
क़ारी अताउल्लाह शाह ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से ईदगाहों में नमाज़ सोशल डिस्टेंसिंग और प्रशासन की इजाज़त के साथ पढ़ी जा सकती है। हालांकि लोग घरों पर भी नमाज़ पढ़ सकते हैं। इसके लिए उन्हें दो या चार रकत नफिल की नीयत करनी होगी। ईद—उल—अज़हा की नीयत करने की ज़रूरत नहीं है। जिस तरह ​नफिल की नमाज़ पढ़ते हैं उसी तरह ये नमाज़ भी पढ़ सकते हैं। हालांकि घर पर जमात के साथ सामूहिक ये नमाज़ नहीं पढ़ सकते हैं। अगर किसी को नमाज़ के तरीका समझने में कोई दिक्कत आ रही है तो वो 9621128712 नंबर से बने इस्लामिक ग्रुप से जुड़कर अपनी उलझन सुलझा सकता है। 

शिया ऐसे पढ़ें नमाज़
ईद—उल अज़हा की नमाज़ अगर शिया समुदाय के लोग घर पर पढ़ना चाहें तो आसानी के साथ पढ़ सकते हैं। मौलाना बाक़िर मेहदी आब्दी ने बताया कि दो रकत ईद—उल—अज़हा की नीयत करके सुबह की नमाज़ की तरह पढ़ सकते हैं। हालांकि पहली रकात में पांच बार दुआए कुनूत और दूसरी रकात में 4 बार पढ़ना होगा। इस नमाज में जो खास कुनूत है अगर किसी को नहीं आता है तो वो दुआए कुनूत की जगह सलवात से भी काम चला सकता है। बाकिर मेहदी  ने कहा कि नमाज़ न पढ़ने से बेहतर है कि घर पर ही नमाज़ अदा कर लें। महिलाएं भी इसी तरीके से घर पर नमाज़ अदा कर सकती हैं। 

ईद—उल फ़ित्र पर क्या हुआ था
ईद—उल फ़ित्र के मौके पर भी लॉकडाउन था। सरकारों ने कहीं भी सामूहिक नमाज़ की इजाज़त नहीं थी। इस वजह से अधिकतर लोगों ने नमाज़ अपने घरों पर ही पढ़ी थी। यही अब बकरीद में भी करना होगा। ताकि कोरोना वायरस से ख़ुद को और अपनों और ख़ुद को बचाया जा सके। गौरतलब है कि इन पहले लॉकडाउन से ही अधिकतर शहरों में शिया समुदाय के लोग जुमे की नमाज़ अदा नहीं कर रहे हैं क्योंकि ये नमाज़ सामूहिक ही अदा की जा सकती है। वहीं सुन्नी समुदाय के लोग चार—पांच लोगों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ जुमे की नमाज़ अदा कर रहे हैं। 


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