यूपी में ताज़ियादारी से पाबंदी हटी, कल्बे जवाद ने खत्म किया धरना

टीम भारत दीप |
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सड़क और चौक पर ताजिये नहीं रखे जा सकेंगे।
सड़क और चौक पर ताजिये नहीं रखे जा सकेंगे।

इमामबाड़ों में हो रही मजलिसों में पांच व्यक्ति शामिल हो सकेंगे। हालांकि सड़क किनारे और इमाम चौक पर ताजिया रखने की इजाजत नहीं होगी। आशूरा के दिन ताजिया उठाने को लेकर फैसला बाद में होगा।

लखनऊ। कोविड 19 के चलते प्रदेश में ताजियादारी और मजलिसों पर रोक सरकार ने हटा ली है। मौलाना कल्बे जवाद नकवी के धरना—प्रदर्शन के बाद सरकार ने उनकी तरफ से रखी मांग को मान लिया। अब घरों में ताजिया रखा जा सकेगा। जबकि इमामबाड़ों में हो रही मजलिसों में पांच व्यक्ति शामिल हो सकेंगे। हालांकि सड़क किनारे और इमाम चौक पर ताजिया रखने की इजाजत नहीं होगी। आशूरा के दिन ताजिया उठाने को लेकर फैसला बाद में होगा। 

मौलाना के प्रतिनिधि शमील शम्शी ने बताया कि सरकार ने राजधानी समेत पूरे प्रदेश में अजादारी करने की पाबंदी को हटा दिया है। घर में ताजिया रखने पर हुई एफआईआर को भी वापस करने का आश्वासन दिया है। मजलिस मेें अभी पांच लोग ही मौजूद रहेंगे। इसके अलावा सड़क और चौक पर ताजिये नहीं रखे जा सकेंगे। 

उन्होंने बताया कि यौमे आशूर में ताजियों के दफनाने को लेकर बाद में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि परेशानी होने पर जिले के पुलिस विभाग के मुखिया से शिकायत कर सकते हैं। निगरानी के लिए सचिव गृह को नियुक्त किया है। शमील ने बताया कि उनकी ग्रह सचिव से वार्ता हुई है।

इससे पहले अजादारी पर पाबंदी के विरोध में मौलाना कल्बे जवाद की अगुवाई में शिया धर्म गुरुओं ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया था। मौलाना ने आरोप लगाया था कि पुलिस घरों में भी ताजिया नहीं रखने दे रही है। कहा था कि इस तरह का अत्याचार बंद न हुआ तो गिरफ्तारी देंगे। इस दौरान पश्चिम डीसीपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी भी कल्बे जवाद से मिलने पहुंचे थे।

धरने से पहले मौलाना कल्बे जवाद चौक स्थित इमामबाड़ा गुफरानमआब में पत्रकारों से मुखातिब हुए थे। मौलाना ने सरकार पर जुल्म करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार ने शिया समुदाय के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की है जो डब्ल्यूएचओ और केंद्र सरकार की कोविड गाइडलाइन के खिलाफ है। 

मौलाना ने कहा कि हमने सरकार से 40 से 50 लोगों के साथ मजलिस करने की इजाजत मांगी थी, लेकिन सिर्फ पांच लोगों को मजलिस में शामिल होने की इजाजत दी गई। उन्होंने कहा कि इमामबाड़ा में काफी जगह होती है। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मजलिस हो सकती है।

उनका आरोप था कि कोरोना में हर तरह की पाबंदी सिर्फ पुराने लखनऊ के लिए है। नए लखनऊ में पूरी छूट दी जा रही है। मौलाना ने बताया कि बदायूं में घर में ताजिया रखने को लेकर पुलिस मुकदमे लिखने की बात कह रही है। इस तरह की खबरें पूरे प्रदेश से आ रही हैं। 

मौलाना ने सरकार से मांग रखी कि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मजलिसों को पढ़ने और ताजियों को रखने की इजाजत दे। धरने में मुख्य रूप से मौलाना फिरोज हैदर, मौलाना रजा हुसैन, मौलाना अब्बास नासिर सईद, मौलाना हबीब हैदर शामिल हुए। धरने को समर्थन देने मौलाना मीसम जैदी भी गुफरानमआब इमामबाड़ा पहुंचे थे।

मौलाना मौलाना सैफ अब्बास ने धरने का समर्थन किया था। उनका कहना था कि कोविड गाइडलाइन को हर कोई मान रहा है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर उत्पीड़न न किया जाए। इमामबाड़ों की क्षमता के हिसाब से मजलिस की अनुमति दी जाए। ताजिया से लोगों का रोजगार भी जुड़ा है, मुहर्रम के दस दिन की कमाई से कई लोगों का कई महीने का खर्च भी निकलता है।


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