बरेली में दहशत फैलाने वाली बाघिन आई काबू में अब किशनपुर के जंगल में दहाड़ेगी

टीम भारत दीप |

बरेली की रबर फैक्ट्री  में सेंसर कैमरों से रोजाना बाघिन की निगरानी हो थी। - फोटो सोशल मीडिया से
बरेली की रबर फैक्ट्री में सेंसर कैमरों से रोजाना बाघिन की निगरानी हो थी। - फोटो सोशल मीडिया से

डॉक्टरों की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज कर दिया। बेहोश बाघिन को पिंजरे में रखा गया है। यह लखीमपुर खीरी की किशनपुर सेंचुरी से पीलीभीत-बहेड़ी होते हुए यहां आ गई थी। अब इसे दुबारा मैलानी क्षेत्र के किशनपुर छोड़ा जाएगा। शाम तक टीम उसे लेकर पहुंचेगी। उसके शरीर के धारियों के आधार पर उसकी पहचान की गई है।

बरेली।  बरेली के गांवों में  बीते 15 महीने से दहशत का बड़ा कारण बनी चार वर्षीया बाघिन को शुक्रवार को वन विभाग की टीम ने अपने काबू में कर लिया। बंद पड़ी रबर फैक्ट्री के जंगल में ठिकाना बनाये बाघिन को शुक्रवार को ट्रेंकुलाइज कर लिया गया।

बरेली में गुरुवार सुबह को बाघिन की लोकेशन खाली टैंक के पास मिली थी, जिसके बाद चारों ओर जाल लगा दिया गया था। शुक्रवार सुबह तक वह जाल में नहीं फंसी तो शासन से अनुमति लेकर डॉक्टरों की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज कर दिया। बेहोश बाघिन को पिंजरे में रखा गया है।

यह लखीमपुर खीरी की किशनपुर सेंचुरी से पीलीभीत-बहेड़ी होते हुए यहां आ गई थी। अब इसे दुबारा मैलानी क्षेत्र के किशनपुर छोड़ा जाएगा। शाम तक टीम उसे लेकर पहुंचेगी। उसके शरीर के धारियों के आधार पर उसकी पहचान की गई है।

रबर फैक्ट्री को बनाया था ठीकाना 

इससे पहले गुरुवार को बरेली के रबड़ फैक्ट्री के टैंक में कैद बाघिन की दहाड़े पूरी रात गूंजती रहीं। शातिर दिमाग बाघिन ने पिंजरे की ओर एक भी कदम नहीं बढ़ाया। उसे एहसास हो गया है, यदि उसने टैंक से निकलने की कोशिश की तो सीधे पिंजरे में ही जाएगी। वह तीन मीटर ही अपनी जगह से हिली। बाघिन बेहद नाराज व आक्रमक थी। उसका गुस्सा उसकी दहाड़ से प्रतीत हो रहा था।

यहां पर रबर फैक्ट्री में 15 महीने से राज करने वाली बाघिन के व्यवहार पर पहले ही अध्ययन हो चुका है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून की टीम ने अध्ययन में यही पाया था, बाघिन बहुत ही शातिर है। इंसानों पर हमला करने की वजह है, वह चहल कदमी होते ही छुप जाती है।

बिग कैट प्रजाति के जानवर छुपने के बाद अचानक हमला करते हैं। कभी भी बाघिन ने हमला नहीं किया। बाघिन विशेषज्ञ की टीम को पहले से ही भांप गई थी। रेस्क्यू टीमों की नजर से बचने के प्रयास में थी। बाघिन ने यही सोचा, वह अपने सुरक्षित स्थान टैंक में पहुंच गई है। अब उसे कोई खतरा नहीं, लेकिन जैसे ही वहां जाल लगाया गया। टैंक के मुख्य गेट पर पिंजरा रखा गया। उसके बाद से बाघिन और भी आक्रमक हो गई।

सेंसर कैमरे से हो रही थी निगरानी

बरेली की रबर फैक्ट्री के परिसर में सेंसर कैमरों से रोजाना बाघिन की निगरानी हो थी। वन विभाग ने एक वीडियो भी उपलब्ध कराया। जिसमें बाघिन टैंक के अंदर बैठी है। बेहद ही आक्रमक दिख रही है। वह पिंजरे की ओर नहीं बढ़ी। यही वजह है, उसने पिंजरे में रखे जानवर का शिकार नहीं किया।

बाघिन को एहसास हो गया था कि यदि टैंक से बाहर निकलेगी तो सीधे पिंजरे में ही जाएगी। वह एक कदम भी वहां से नहीं हिली। गुरुवार को जब विशेषज्ञों ने उसकी फोटो और वीडियो बनाने का प्रयास किया तो बस सिर्फ तीन मीटर को हिली। इसके बाद से वह उसी स्थान पर बैठी है। जहां पर वैज्ञानिकों ने उसे टैंक के अंदर देखा था।

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