असम के विधायक रूपज्योति कुर्मी ने पार्टी छोड़ने का किया एलान, राहुल को बताया अकुशल नेता

टीम भारत दीप |

मालूम हो कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच में तनातनी चरम पर पहुंच चुकी हैं ​।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच में तनातनी चरम पर पहुंच चुकी हैं ​।

रूपज्योति कुर्मी ने कहा कि इस बार असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास जीतने का अच्छा मौका था। इस बारे में उन्होंने आलाकमान को भी अवगत कराया था, लेकिन पार्टी ने एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करके सब गड़बड़ कर दिया। कुर्मी ने आरोप लगाया कि आलाकमान अभी तक बुजुर्ग नेताओं को ही प्राथमिकता देता रहा है। युवाओं की बात वह नहीं सुनना चाहते हैं।

असम। अपने अस्तीत्व के लिए संघर्ष कर रही देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी इस समय दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है। इसका मुख्य कारण युवा नेताओं को​ जिम्मेदारी नहीं देना। मध्यप्रदेश ग्वालियर से शुरू हुआ असंतोष और युवाओं की पार्टी छोड़ने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद यूपी के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने हाथ का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। अभी राजस्थान का बवंडर शांत भी नहीं हुआ कि इस बीच असम विधायक रूपज्योति कुर्मी ने पार्टी छोड़ने का एलान किया है।

रूपज्योति कुर्मी का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी युवाओं की आवाज सुन नहीं रही । रूपज्योति कुर्मी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस आलाकमान युवाओं को नहीं सुनना चाहते हैं, इसलिए सभी राज्यों में पार्टी की स्थिति बिगड़ती जा रही है।  रूपज्योति कुर्मी ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी नेतृत्व करने में असमर्थ हैं, अगर वह कांग्रेस की कमान संभालते हैं तो पार्टी आगे नहीं बढ़ेगी। 

पार्टी में बुजुर्ग नेताओं को मिलती है प्राथमिकता

रूपज्योति कुर्मी ने कहा कि इस बार असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास जीतने का अच्छा मौका था। इस बारे में उन्होंने आलाकमान को भी अवगत कराया था, लेकिन पार्टी ने एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करके सब गड़बड़ कर दिया। कुर्मी ने आरोप लगाया कि आलाकमान अभी तक बुजुर्ग नेताओं को ही प्राथमिकता देता रहा है। युवाओं की बात वह नहीं सुनना चाहते हैं।इसलिए पार्टी दिन प्रतिदिन पतन की ओर जा रही है। 

पंजाब का मामला सुलझाया

इससे पहले पंजाब में बगावत को​ किसी तरह से हाईकमान ने संभाला है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच में तनातनी चरम पर पहुंच चुकी हैं ​। जिसे लेकर आलाकमान ​किसी तरह दोनों के बीच समझौता कराने के प्रयास में जुटी है। कुछ ऐसे ही हालात राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही है।यहां भी पावर को लेकर दोनों एक -दूसरे को नीचा दिखाने के प्रयास में हमेशा कूटनीति चलते रहते है। 

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