प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण से लोगों को जोड़ने गांव - गांव घूमेंगीं तीन लाख टोलियां

टीम भारत दीप |
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मंदिर निर्माण में आप तन-मन -धन से मदद कर सकते हैं।
मंदिर निर्माण में आप तन-मन -धन से मदद कर सकते हैं।

इस समय प्रभु का मंदिर निर्माण कार्य प्रगति पर है। मंदिर निर्माण में धन या श्रम की कमी न आए इसके लिए विस्तृत योजना तैयार की गई है। इसके अंतर्गत 15 जनवरी से तीन लाख टोलियां देशभर के गांव में घूमकर आपसे मंदिर निर्माण में सहयोग मांगेंगी।

अयोध्या। भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या इन दिनों दीपों की रोशनी से झि​लमिला रही है। तीन दिवसीय दीपोत्सव में मानव साक्षात प्रभु राम का दरबार धरती पर फिर एक बार सज गया है।

मंदिर निर्माण में धन या श्रम की कमी न आए  इसके लिए विस्तृत योजना तैयार की गई है। इसके अंतर्गत 15 जनवरी से तीन लाख टोलियां देशभर के गांव में  घूमकर  आपसे  मंदिर निर्माण में सहयोग मांगेंगी इसके लिए आप आर्थिक सहयोग दे सकते है या खुद पहुंचकर श्रम कर सकते है।  

इस समय मंदिर निर्माण के लिए नींच खोदी जा रही है। जहां मंदिर का निर्माण होना है वहां 280 फीट की गहराई तक पथरीली जमीन अभी नहीं मिली है। ऐसे में मजबूत नींव के लिए आईआईटी रुड़की और अन्य बड़ी संस्थानों के वैज्ञानिकों के अलावा 40 संगठनों से जुड़े हजारों एक्सपर्ट इस मुश्किल का हल खोज रहे हैं।

इसके अलावा एक्सपर्ट विक्रमादित्यकाल की वास्तुकला पर रिसर्च कर रहे हैं, क्योंकि इसी स्थान पर विक्रमादित्य का बनाया मंदिर 2500 साल तक मजबूती से खड़ा रहा था।मंदिर निर्माण में लगने वाले एक-एक पत्थर की गिनती होगी। इसके लिए कारसेवक पुरम में हर पत्थर पर नंबर अंकित किए जा रहे हैं।

फिलहाल नींव टेस्टिंग के लिए 12 ट्रक में 30 नंबर तक के पत्थर कारसेवक पुरम से मंदिर तक पहुंच चुके हैं। रामजन्म भूमि ट्रस्ट के वरिष्ठ ट्रस्टी कमलेश्वर चौपाल बताते हैं कि अयोध्या में मिट्‌टी की जांच के साथ लाेड टेस्टिंग का काम चल रहा है,।

क्योंकि नीचे पथरीली जमीन नहीं होने पर मंदिर धंसने का खतरा रहेगा।मंदिर निर्माण के लिए कारसेवकपुरम में पत्थरों का सुपरविजन संभालने वाले चंद्रशेखर सोमपुरा बताते हैं कि मंदिर की नींव से लेकर एक फ्लोर बनने तक का 75 हजार घन फीट पत्थर तैयार है।

बाकी दो फ्लोर के लिए लगने वाला लगभग सवा तीन लाख घन फीट पत्थर भी समय के साथ तैयार हो जाएगा। राजस्थान के सागबाड़ा में पत्थर निकालने पर लगातार काम चल रहा है।

सोमपुरा बताते हैं कि हर पत्थर का हिसाब रखा जा रहा है। हर छोटे-बड़े पत्थर पर नंबर लिखा गया है, जिससे पता रहे कि मंदिर निर्माण में कितने पत्थर लगे। अभी पिलर के लिए जो 12 ट्रक पत्थर गए हैं वाे 30 नंबर तक के हैं।

पिलर का पत्थर जहां 25 घन फीट का तो अन्य पत्थर 10 और 5 घन फीट के भी हैं। मंदिर में सीमेंट का उपयोग नहीं होता है। कमलेश्वर चौपाल के अनुसार मंदिर निर्माण की लड़ाई में  साथ रहे आरएसएस, वीएचपी जैसे 40 संगठनों के मार्गदर्शक मंडलों के बीच हमने नींव की समस्या की बात रखी थी।

इन संगठनों में कई संत भी हैं जो लगातार हमारा मार्गदर्शन करते हैं। जो संगठन हमारे साथ हर स्थिति मे खड़े रहे, वो सभी अभियान शुरू कर रहे हैं। ट्रस्ट के सदस्य ने बताया कि मंदिर निर्माण में तन- मन- धन से लोगों को  जोड़ने के लिए विस्तृत अभियान चलेगा।  
 


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