गुजरात में हार के बाद हार्दिक पटेल बोले, मेरा सही इस्तेमाल नहीं हो रहा

टीम भारत दीप |

यदि कांग्रेस उन प्रत्याशियों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारती तो उन्हें इतनी बड़ी कामयाबी नहीं मिलती।
यदि कांग्रेस उन प्रत्याशियों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारती तो उन्हें इतनी बड़ी कामयाबी नहीं मिलती।

हार्दिक ने आगे कहा कि यदि अहमद पटेल होते तो बीजेपी को बिना लडे 219सीटें नहीं जीतने देते। मालूम हो कि सूरत में 120 सीट में से बीजेपी को 93 आप को 27 और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला है। वहीं पूरे गुजरात की बात करें तो भाजपा को 480 और कांग्रेस को केवल 21सीटों पर जीत नसीब हुई है।

गुजरात। कांग्रेस में फिर कलह। हर बार की तरह इस बार भी बयानबाजी तेज। एक -दूसरे पर आरोप लगा रहे नेता। गुजरात निकाय चुनाव में मिली हार के बाद सामने आई असंतोष ।

हार के बाद के युवा नेता हार्दिक पटेल बोले, पार्टी के मिसमैनेजमेंट की वजह से हुई दुर्गति। हार्दिक ने आरोप लगाया कि हमारी कमजोरियों की वजह से भाजपा को हुआ फायदा। मालूम हो कि निकाय चुनाव में बीजेपी को 219 सीटों पर बिना लड़े जीत हासिल हुई है।  

यदि कांग्रेस उन प्रत्याशियों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारती तो उन्हें इतनी बड़ी कामयाबी नहीं मिलती। मालूम हो कि हार्दिक पटेल को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। उनके नेतृत्व में निकाय चुनाव लड़ा गया था। हार्दिक पटेल अपने को पटेलों का नेता के रूप में पेश कर रहे है। पटेलों के गढ में कांग्रेस को इस बार बुरी तरह से मात मिल है। 

हार्दिक का आरोप उनकी नहीं हुई कोई सभा

युवा नेता हार्दिक पटेल ने हार के बाद कहा कि चुनाव में उनका भरपूर्ण इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। चुनाव के दौरान उनकी एक भी सभा नहीं कराई गई। आम सभा नहीं होने से चुनाव में करारी हार का सामना करना पडा ।

हाार्दिक ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव में 10 दिन में 27 आम सभी अपने दम पर की । हार्दिक ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ नेता नहीं चाहते कि मैं आगे बढूं ।

हार्दिक ने आगे कहा कि यदि अहमद पटेल होते तो बीजेपी को बिना लडे 219सीटें नहीं जीतने देते। मालूम हो कि सूरत में 120 सीट में से बीजेपी को 93 आप को 27 और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला है। वहीं पूरे गुजरात की बात करें तो भाजपा को 480 और कांग्रेस को केवल 21सीटों पर जीत नसीब हुई है। 

बिहार चुनाव के बाद भी उठे से बगावत के स्वर

मालूम हो कि कांग्रेस पार्टी के बिहार में खराब प्रदर्शन के बाद भी विरोध के स्वर फूंटे थे । वहां तो कई नेताओं ने सीधे-सीधे पार्टी हाईकमान में बदलाव की मांग तक कर चुके थे। लेकिन हर हार के बाद एक दो बयानबाजी के बा एक बैठक फिर मामला शांत हो गया।कोई बडी कार्रवाई नहीं होने कारण पार्टी लगातार रसातल में धंसती जा रही है। 


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