अक्टूबर से सौर ऊर्जा से दौड़ेंगी यहां की सभी ट्रेनें, रेलवे को होगी इतनी बचत

टीम भारत दीप |

केबल बिछाने और पैनल लगाने के साथ ही इनवर्टर और ट्रांसफार्मर लगाने का काम भी शुरू किया जाएगा।
केबल बिछाने और पैनल लगाने के साथ ही इनवर्टर और ट्रांसफार्मर लगाने का काम भी शुरू किया जाएगा।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे इसके लिए जंजगिरी में 310 करोड़ रुपये की लागत से 210 एकड़ क्षेत्र में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। पैनल लगाने के लिए कालम खड़े किए जा चुके हैं। केबल बिछाने का काम शुरू होने वाला है। इससे रोजाना करीब 50 मेगावाट बिजली तैयार होगी।

भिलाई-छत्तीसगढ़।  रेलवे लगातार आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ रहा है। वह बहुत जल्द ही डीजल से चलने वाली  ट्रेनों से मुक्ति पाने की जुगत में है।

इसके अलावा अब जगह-जगह अपना सौर ऊर्जा  प्लांट लगा रहा है, इससे आने वाले दिनों में बिजली खरीदने से भी छुट्टी मिलेगी। इस क्रम में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर और और दुर्ग के बीच सभी ट्रेनों का परिचालन आगामी अक्टूबर माह से सौर ऊर्जा से होगा।

210 एकड़ में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट तैयार

 दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे इसके लिए जंजगिरी में 310 करोड़ रुपये की लागत से 210 एकड़ क्षेत्र में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। पैनल लगाने के लिए कालम खड़े किए जा चुके हैं। केबल बिछाने का काम शुरू होने वाला है।

इससे रोजाना करीब 50 मेगावाट बिजली तैयार होगी। इससे रायपुर और दुर्ग के बीच चलने वाली यात्री और मालगाड़ी को मिलाकर करीब 120 ट्रेनें दौड़ेंगी। इससे रेलवे को सालाना साढ़े 14 करोड़ रुपये की बचत होगी।

केबल लगाने का काम शुरू

दुर्ग जिले के भिलाई-चरोदा नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत जंजगिरी मैदान में रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के सहयोग से चेन्नई की सन एडिशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा यह सोलर प्लांट स्थापित किया जा रहा है।

केबल बिछाने और पैनल लगाने के साथ ही इनवर्टर और ट्रांसफार्मर लगाने का काम भी शुरू किया जाएगा। सौर ऊर्जा से बनने वाली बिजली को पावर ग्रिड के माध्यम से रेलवे को आपूर्ति की जाएगी।

रेलवे अभी इतना करता है भुगतान 

वर्तमान में रेलवे छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी को प्रति यूनिट 5.70 से 6.10 रुपये का भुगतान करता है। इस हिसाब से महीने के दो करोड़ रुपये रायपुर डिवीजन के लिए भुगतान करता है।

इस प्लांट के लग जाने से रेलवे को प्रति यूनिट 2.70 रुपये तक की बचत होगी है। आगामी 25 वर्षों के लिए यह सोलर प्लांट स्थापित किया जा रहा है। रेलवे ने इसके लिए 27 वर्षों के लिए अपनी जमीन लीज पर दी है। इससे रेलवे को सालाना करीब साढ़े 14 करोड़ और 25 साल में 360 करोड़ रुपये की बचत होगी।

सोलर प्लांट का इस तरह बन रहा सेटअप

सोलर प्लांट के लिए 27 हजार 600 कालम तैयार किए गए हैं। इन कालम में एक लाख 54 हजार 560 सोलर पैनल लगाए जाएंगे। दस कालम का एक टेबल बनाकर पैनल लगाया जाएगा।

सोलर पैनल से मिलने वाली ऊर्जा को बिजली के रूप में बदलने के लिए चार इनवर्टर लगाए जाएंगे। इनमें 15.8 मेगावाट के तीन और 2.60 मेगावाट का एक इनवर्टर होगा। बिजली के पारेषण और वितरण के लिए चार ट्रांसफार्मर भी लगाए जाएंगे। यहां की बिजली पावर ग्रिड कुम्हारी को भेजी जाएगी और वहां से रेलवे को सप्लाई की जाएगी।

रायपुर रेलमंडल के  सीनियर डीसीएम विपिन वैष्णव ने कहा कि सोलर प्लांट का काम काफी तेजी से चल रहा है। उम्मीद है कि अक्टूबर से प्रोडक्शन भी शुरू हो जाएगा। अभी केबल बिछाने और पैनल लगाने का काम शुरू करेंगे।

देश की पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन 

रेलवे ने सबसे पहले 2017 में देश की पहली सौर ऊर्जा युक्त डीईएमयू डीजल इलेक्ट्रिक मल्टि यूनिट ट्रेन का उद्घाटन किया था। दिल्ली के सराय रोहिल्ला स्टेशन से हरियाणा के फारूख नगर स्टेशन के बीच आवाजाही करनेवाली इस ट्रेन के आठ डिब्बों पर कुल 16 सोलर पैनल लगे हैं।

मेक इन इंडिया अभियान के तहत बने इन सोलर पैनल्स की लागत 54 लाख रुपये आई है। दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि सोलर पैनलों का इस्तेमाल रेलवे में ग्रिड के रूप में हो रहा है।

केरल में चलती है छोटी  ट्रेन

भारत की अपनी तरह की पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली छोटी ट्रेन का  केरल के वेल्ली टूरिस्ट विलेज में चलती हैं। यह ट्रेन विशेष रूप से बच्चों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। पूरी तरह से 60 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं का एक हिस्सा है,जो मनोरम स्थल पर सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक बढ़ाने के लिए उठाए गए है।


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