मां सोचती थी बेटा ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा, खेल रहा था गेम, कर्ज न चुकाने पर दोस्त ने ली जान

टीम भारत दीप |

पुलिस ने चवन को गिरफ्तार कर कस्टडी में रखा तो मैसेज आने बंद हो गए, इसके बाद शक गहरा गया।
पुलिस ने चवन को गिरफ्तार कर कस्टडी में रखा तो मैसेज आने बंद हो गए, इसके बाद शक गहरा गया।

लक्षेंद्र को मोबाइल गेम की लत इस कदर हो गई थी कि वह पड़ोस में रहने वाले अपने दोस्त चवन खूंटे से उधार लेकर गेम के फीचर्स खरीदने लगा। एक साल में वह करीब 75 हजार रुपये उधार ले चुका था। चवन पैसे मांगता, तो वह टाल देता था।

छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में 17 साल के एक लड़के ने ऑनलाइन गेम के चक्कर में फंसकर 75 हजार रुपये का कर्ज अपने दोस्त से ले लिया। इसी कर्ज को चुका ने पाने के आउ दोस्त ने उसकी जान ले ली।  

जानकारी के अनुसार उसने अपने दोस्त से फ्री फायर गेम में गन के अपडेट्स और बाकी फीचर्स खरीदने के लिए पैसे लिए थे और लौटा नहीं पाया। इससे नाराज हुए उस दोस्त ने शराब पिलाकर ब्लेड से उसका गला काट दिया।

मां के साथ अकेले रहता था नाबालिग

दोस्त के हाथ मारे गए नाबालिग का नाम लक्षेंद्र है। उसके पिता जम्मू में नौकरी करते हैं और वह मां के साथ रायगढ़ में रह रहा था। कोरोना के कारण लक्षेंद्र की ऑनलाइन क्लास चल रही थीं।

वह मोबाइल पर गेम खेलता तब मां को लगता की वह ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है, क्योंकि उन्हें मोबाइल की ज्यादा समझ ही नहीं है। मां को बस इतना पता था कि कोरोना की वजह से क्लास नहीं चल रही है बच्चे घर पर ही मोबाइल के जरिए पढाई कर रहे है। इसलिए वह ज्यादा टोकाटाकी भी नही करती थी, उसे नही पता था कि उसका बच्चे से सवाल न करना उसके लिए सजा बना जाएगी

ऑनलाइन  गेम की लगी लत

लक्षेंद्र को मोबाइल गेम की लत इस कदर हो गई थी कि वह पड़ोस में रहने वाले अपने दोस्त चवन खूंटे से उधार लेकर गेम के फीचर्स खरीदने लगा। एक साल में वह करीब 75 हजार रुपये उधार ले चुका था।

चवन पैसे मांगता, तो वह टाल देता था। 10 मार्च को चवन और लक्षेंद्र साथ में घर से बाहर घूमने के लिए निकले दोनों ने जमकर शराब पी। वहां भी चवन ने पैसे मांगे तो लक्षेंद्र ने मना कर दिया। इस पर चवन ने गुस्से में आकर ब्लेड से उसका गला काट डाला। लक्षेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई।

हत्या के बाद बनाई अपहरण की कहानी

चवन ने लक्षेंद्र की हत्या करने के बाद लाश छिपा दी और उसके फोन से खुद के मोबाइल पर एक मैसेज किया कि लक्षेंद्र का अपहरण हो गया है और अपहरणकर्ता पांच लाख देने पर उसे छोड़ेंगे।

पुलिस को यह बात बताई गई। पुलिस चार दिनों तक बच्चे को जिंदा सोचकर लगातार खोजबीन करती रही। लेकिन, जब सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो आखिरी बार लक्षेंद्र चवन के साथ ही दिखा। इससे पुलिस का शक चवन पर गया।

मैसेज आने बंद हुए तो पुलिस का शक गहराया

लक्षेंद्र के गायब होने के बाद उसके फोन से लगातार अपहरणकर्ता के मैसेज आ रहे थे, लेकिन जब पुलिस ने चवन को गिरफ्तार कर कस्टडी में रखा तो मैसेज आने बंद हो गए। इसके बाद चवन पर पुलिस का शक गहरा गया। सख्ती से पूछताछ करने पर उसने जुर्म कबूल कर लिया।


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