अनामिका शुक्ला कांडः अभी सिर्फ प्यादे फंसे हैं, बाजीगरों की बू तक नहीं

टीम भारत दीप |
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पुलिस ने जब महिला से पूछताछ की तो पता चला वह अनामिका शुक्ला है ही नहीं।
पुलिस ने जब महिला से पूछताछ की तो पता चला वह अनामिका शुक्ला है ही नहीं।

उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग एक बार फिर चर्चा में है। इस बार भी मसला भर्ती का ही है लेकिन न कोर्ट है, न पुलिस, न धरना, न राजनीति। बस खेल है ऐसा जो बड़े-बड़ों ने खेला।

उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग एक बार फिर चर्चा में है। इस बार भी मसला भर्ती का ही है लेकिन न कोर्ट है, न पुलिस, न धरना, न राजनीति। बस खेल है ऐसा जो बड़े-बड़ों ने खेला। लेकिन, वो कहते हैं ना कि सांच को आंच नहीं, इसी चक्कर में सारा खेल खुल गया। अभी सिर्फ प्यादे फंसे हैं, बाजीगरों की तो बू तक नहीं आ रही लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी। कयामत का दिन तो आना ही है। 


बता दें कि देशभर में गरीब बालिकाओं को शिक्षित और पोषित बनाने के लिए भारत सरकार ने देश के हर ब्लाॅक में एक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय स्थापित करने की योजना 2004 में शुरू की थी। इसी के तहत उत्तर प्रदेश के 786 ब्लाॅक में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संचालित हैं। इन स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक की बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा, भोजन और आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इन विद्यालयों में अध्यापन के लिए शिक्षिकाओं की भर्ती जिला स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से की जाती है। इन शिक्षिकाओं को एक साल के लिए संविदा के आधार पर तैनाती मिलती है और इसी के अनुरूप वेतन के स्थान पर मानदेय दिया जाता है। एक पूर्णकालिक शिक्षिका को करीब 20000 रूपये प्रतिमाह मानदेय के मिलते हैं। 

 

बागपत जनपद के बड़ौत ब्लाॅक में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में कार्यरत विज्ञान की अध्यापिका अनामिका शुक्ला उस समय चर्चा में आ गई जब आनलाइन सर्विस रिकार्ड फीडिंग के दौरान इन्हीं के नाम वाले कई रिकार्ड सामने आए। एक के बाद एक परतें खुलती गईं तो पता चला 25 जिलों में अनामिका शुक्ला नाम की शिक्षिका की तैनाती है जिनके सर्विस रिकार्ड समान है। यह पता चलते ही बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में सभी जिलों में जांच शुरू की गई।


कासगंज की अनामिका अनामिका नहीं
पूरे प्रदेश में हल्ला मचते ही कासगंज जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक युवक अनामिका शुक्ला नाम की अध्यापिका का इस्तीफा लेकर पहुंचा। बीएसए अंजली अग्रवाल ने तुरंत पुलिस को सूचना देकर युवक और उसके साथ आई अनामिका शुक्ला को धर दबोचा। पुलिस ने जब महिला से पूछताछ की तो पता चला वह अनामिका शुक्ला है ही नहीं। उसका नाम तो प्रिया जाटव है और वह तो केवल अनामिका शुक्ला नाम से नौकरी कर रही है। इस खुलासे ने तो पूरे मामले में नया पेंच ला दिया। कासगंज के साथ ही शामली, बागपत सहित कई जिलों में अनामिका शुक्ला नाम की अध्यापिका के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है। फिर भी असली अनामिका शुक्ला गिरफ्त में नहीं है। 


असली अनामिका बेरोजगार
गोंडा के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास 9 जून को एक महिला पहुंची। महिला ने दावा किया कि उसका नाम अनामिका शुक्ला है और उसी के डाक्यूमेंट को इस्तेमाल कर घोटाला किया गया। अपने पति के साथ पहुंची महिला ने बीएसए को सभी दस्तावेज दिखाए। महिला ने बताया कि उसने 2017 में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में नौकरी के लिए आवेदन किया था। उसका आज तक चयन नहीं हुआ लेकिन उसे तो पता भी नहीं उसके नाम से कितनों ने नौकरी पा ली। 


1 करोड़ से अधिक का भुगतान
बताया जा रहा है कि अनामिका शुक्ला के नाम से खाते में अब तक करीब 1 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है। हालांकि विभाग ने मामला खुलते ही खाता सीज करा दिया लेकिन अब खाते में मात्र 7000 रूपये ही हैं। 


विभाग थपथपा रहा अपनी पीठ
बेसिक शिक्षा विभाग में आए दिन हो रहे नए बवालों के बाद मंगलवार 9 जून को बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने प्रेसवार्ता की। इस दौरान उनके साथ महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी भी मौजूद रहे। इस दौरान महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने बताया कि विभाग ने मिशन प्रेरणा के तहत प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत सभी शिक्षकों की सर्विस बुक आॅनलाइन मानव संपदा पोर्टल पर फीड कराई है। इसी के तहत अनामिका शुक्ला नाम से हुए फर्जीवाड़े का पता चला है। बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा किसी भी फर्जी शिक्षक को बख्शा नहीं जाएगा।        


कितनी अनामिका, बाजीगर कौन
अनामिका शुक्ला कांड के खुलासे के बाद सभी के सामने सवाल है कि इतना बड़ा फर्जीवाड़ा बिना किसी विभागीय मिलीभगत के नहीं हो सकता है। इसमें किस स्तर तक अधिकारी शामिल हैं। इसका खुलासा होना अभी बाकी है। जिला स्तर पर होने वाली तैनाती जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान यानी डायट के प्राचार्य की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है जिसमें जिलाधिकारी द्वारा नामित एक जिला स्तर का अधिकारी भी होता है। इसके साथ ही सवाल ये भी है कि अभी यूपी में ऐसी कितनी अनामिका शुक्ला और हैं।   


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