बीजेपी के सहयोगी संजय निषाद ने दिया चंद्रशेखर को आफर, रावण के हा का इंतजार

टीम भारत दीप |

चंद्रशेखर रावण बीजेपी के खिलाफ हमेशा ही मुखर रहे हैं।
चंद्रशेखर रावण बीजेपी के खिलाफ हमेशा ही मुखर रहे हैं।

निषाद पार्टी के डॉ. संजय निषाद ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि हमारे साथ चंद्रशेखर रावण आ जाएं, हम दोनों के बीच रिश्ते अच्छे हैं। दोनों मिलकर 2022 में सरकार लाएंगे। वो भी दलितों—पिछड़ों के लिए लड़ रहें मैं भी, बीजेपी ने दलितों को टिकट दिया और जगह भी।

लखनऊ। यूपी में हो रहे विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपने आखिरी रणनीति के तहत मैदान में लड़ाई को तैयार है। ऐसे में अब राजनीतिक गठबंधन से अछूते रह गए। चंद्रशेखर उर्फ रावण को बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी ने अपने साथ आने का आफर दे रहे है।

मालूम हो कि गठबंधन के लिए पिछले दिनों भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी, सीटों को लेकर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई लेकिन कुछ तय नहीं हो पाया तो बात वहीं खत्म हो गई

चंद्रशेखर रावण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अखिलेश यादव पर हमला भी बोला था। वहीं अब बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने चंद्रशेखर को बीजेपी के साथ आने का आफर दे दिया है।

निषाद पार्टी के डॉ. संजय निषाद ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि हमारे साथ चंद्रशेखर रावण आ जाएं, हम दोनों के बीच रिश्ते अच्छे हैं। दोनों मिलकर 2022 में सरकार लाएंगे। वो भी दलितों—पिछड़ों के लिए लड़ रहें मैं भी, बीजेपी ने दलितों को टिकट दिया और जगह भी।

2022 में हमारी सरकार बन रही है और दलित भी आ रहे हैं तो चंद्रशेखर रावण भी आ जाएं। हालांकि संजय निषाद के इस बयान को लेकर अभी तक भीम आर्मी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन ये बात जरूर है कि चंद्रशेखर रावण बीजेपी के खिलाफ हमेशा ही मुखर रहे हैं।

बीजेपी के खिलाफ बोलते रहते है रावण

मालूम हो कि रावण समय-समय पर वो बीजेपी पर हमला बोलते रहे हैं, हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप और उसकी मौत को लेकर चंद्रशेखर रावण ने बीजेपी पर करारा हमला बोला था।

कई बार वो ये भी कहते सुने गए हैं कि वो बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे, इन सब के बीच संजय निषाद के बयान को लेकर उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है और वो क्या फैसला लेते हैं ये वक्त बताएगा। फिलहाल अभी यह साफ है कि भीम आर्मी सपा के साथ गठबंधन में नहीं रहेगी

क्योंकि चंद्रशेखर ने अखिलेश के खिलाफ बयान देते हुए कहा था कि अखिलेश यादव ने हमें बुलाकर अपमानित किया। हमने उन्हें बड़ा भाई माना और सपा से गठबंधन की करने कोशिश की लेकिन नही हो सका। उन्हें दलित वोट तो चाहिए लेकिन दलित नेता नहीं।

राजनीति में किसी भी दल का चरित्र नहीं होता, यह दल अपने भले के लिए अपना चरित्र समय के साथ बदल लेते है, जैसे सपा-बसपा गठबंधन, सपा कांग्रेस गठबंध, भाजपा और महबूबा मुक्ति की पार्टी का गठबंधन। इन लोगों ने सत्ता के लिए गठबंधन किया और अपनी विचार धारा को ताक पर रख दिया। 

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