यूपी का रण: मायावती और औवैसी ने बिगाड़ा सपा -रालोद का खेल, ऐसे पहुंचा रहे भाजपा को फायदा

टीम भारत दीप |

मुस्लिम वोटरों के बंटवारा होने से बीजेपी को फायदा हो रहा है।
मुस्लिम वोटरों के बंटवारा होने से बीजेपी को फायदा हो रहा है।

भी तक पूरे प्रदेश में भाजपा और सपा में सीधी टक्कर मानी जा रही थी, लेकिन पश्चिमी यूपी में मुकाबला त्रिकोणीय होता जा रहा है। मालूम हो कि पश्चिम यूपी में सपा भाजपा के साथ ही बसपा प्रमुख मायावती और औवैसी पूरा दम लगा रहे है, इससे सपा और रालोद गठबंधन को नुकसान हो रहा है, इसका सीधा—सीधा फायदा भाजपा को हो रहा है।

लखनऊ। यूपी का चुनावी रण इस समय लड़ाई के लिए तैयार है।सभी राजनीतिक दल अपने-अपने खिलाड़ी मैदान में उतार रखे है। अभी तक पूरे प्रदेश में भाजपा और सपा में सीधी टक्कर मानी जा रही थी, लेकिन पश्चिमी यूपी में मुकाबला त्रिकोणीय होता जा रहा है।

मालूम हो कि पश्चिम यूपी में सपा भाजपा के साथ ही बसपा प्रमुख मायावती और औवैसी पूरा दम लगा रहे है, इससे सपा और रालोद गठबंधन को नुकसान हो रहा है, इसका सीधा-सीधा फायदा भाजपा को हो रहा है।  आपकों बता दें कि पश्चिमी यूपी की काफी सीटों को मुस्लिम मतदाता काफी प्रभाावित करते है।

इसलिए बसपा और सपा-रालोद गठबंधन ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। कई सीटें ऐसी हैं जहां सपा व बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। रही-सही कसर ओवैसी की पार्टी ने पूरी कर दी है। उनकी पार्टी ने नौ सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों की घोषणा की है। ऐसे में वोटों का बंटवारा तय है।

बसपा ने 14 सीटों पर उतारे मुस्लिम प्रत्याशी

आपकों बता दें कि बसपा प्रमुख मायावती ने 53 सीटाें पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इसमें से 14 सीटोें पर उन्होंने मुस्लिमों को टिकट दिए हैं। बसपा ने बुढ़ाना, चरथावल, खतौली, मीरापुर, सिवालखास, मेरठ दक्षिण, छपरौली, लोनी, मुरादनगर, धौलाना, हापुड़, गढ़ मुक्तेश्वर, शिकारपुर, कोल तथा अलीगढ़ में मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।

आपकों बता दें कि बसपा दलित-मुस्लिम समीकरण बनाकर अपनी राहें आसान करने की रणनीति अपना रही है। इन सभी मुस्लिम बहुल सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन भी मजबूती से ताल ठोक रहा है। वहीं सपा -रालोद का गठबंधन की उम्मीदें भी मुसलमानों पर टिकी हुई हैं। मुस्लिम-जाट समीकरण के सहारे गठबंधन खुद को मजबूत करने की तैयारी में हैं। जातीय समीकरणों के लिहाज से गठबंधन के लिए चिंता की बात यह है कि इन सीटों पर यादव उतनी भारी संख्या में नहीं हैं।

इस तरह बिगड़ रहा समीकरण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चोराथल  से सपा ने पंकज मलिक पर दांव लगाया है। सपा को लग रहा है कि  जाट और मुस्लिम समीकरण यहां रंग ला सकता है। वहीं, बसपा ने पूर्व मंत्री सईदुज्जमा के बेटे सलमान सईद को यहां से टिकट दे दिया है। वे कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हुए हैं। निश्चित रूप से यहां इससे बसपा का समीकरण मजबूत होता नजर आ रहा है। ऐसे ही समीकरण खतौली सीट पर भी बन रहे हैं। 

यहां से रालोद ने राजपाल सिंह सैनी को चुनावी रण में उतारा तो बसपा ने माजिद सिद्दीकी को उतार दिया। मीरापुर से रालोद ने चंदन चौहान को टिकट दिया है, पर यहां भी बसपा ने मोहम्मद शालिम को टिकट दिया है। मीरापुर में मुस्लिमों की खासी संख्या है। ऐसे में यहां भी बंटवारे के आसार बढ़ गए हैं।

मेरठ की सिवालखास सीट पर सपा और रालोद के बीच इस समय मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि सीट रालोद के हिस्से में जा रही है और यहां से जाट प्रत्याशी उतारने की तैयारी है। यहां से भी बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार नन्हे प्रधान को टिकट दिया है तो ओवैसी की पार्टी ने भी सिवालखास से मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है।

मुस्लिम उम्मीदवार दोनों तरफ से मैदान में

मेरठ की दक्षिण सीट पर बसपा ने कुंवर दिलशाद को मैदान में उतारा है। बताया जा रहा है कि सपा ने भी अपने पुराने  मुस्लिम प्रत्याशी को हरी झंडी दे दी है। ऐसे में यहां दोनों के मुस्लिम उम्मीदवार सामने आ सकते हैं। दोनों मुस्लिम उम्मीदवार आने से भाजपा के खेमे में सुकून का माहौल है। अलीगढ़ में सपा और बसपा दोनों के ही मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा ने पहली सूची में एकमात्र अलीगढ़ सीट पर ही अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।

ओवैसी की पार्टी ने उलझाया गणित

बसपा ने लोनी से हाजी आकिल चौधरी को मैदान में उतारा है। यहां ओवैसी की पार्टी ने डॉ. महताब को टिकट दिया है, जबकि रालोद से गुर्जर प्रत्याशी मदन भैया मैदान में हैं। धौलाना सीट पर भी वोटों के बंटवारे की पृष्ठभूमि तैयार हो गई है।

यहां पिछले चुनाव में बसपा से असलम चौधरी लगभग साढ़े तीन हजार वोटों से चुनाव जीते थे। इस बार वे सपा से चुनावी मैदान में उतरे हैं। बसपा ने यहां से मुस्लिम प्रत्याशी वासिद प्रधान को टिकट दिया है। ओवैसी ने भी धौलाना सीट से हाजी आरिफ पर दांव लगा दिया है। उधर, भाजपा ने यहां धर्मेश तोमर पर दांव लगाया है। 

इसी तरह अलीगढ़ की कोल सीट पर भी यही गणित है। यहां से बसपा ने मोहम्मद बिलाल और सपा ने सलमान शाहिद को टिकट दिया है। किठौर सीट पर सपा के शाहिद मंजूर मैदान में आए हैं तो ओवैसी की पार्टी से भी मुस्लिम उम्मीदवार ने ताल ठोका है। बेहट भी ऐसी सीट है, जहां पिछली बार हार-जीत का अंतर पांच हजार वोटों से कम रहा था। यहां से ओवैसी ने अपना प्रत्याशी इस बार उतार दिया है।  
 
फंस गए इमरान मसूद

मुस्लिम वोटों को लेकर इस चुनाव में पूर्व विधायक इमरान मसूद पर भी नजर है। पिछली बार वह नकुड़ सीट पर  भाजपा के धर्म सिंह सैनी से हार गए थे। इस बार धर्म सिंह सैनी सपा में चले गए हैं। इमरान मसूद कांग्रेस छोड़कर सपा में जाने की घोषणा कर चुके हैं। पर, धर्म सिंह सैनी केे कारण इस सीट पर खेल बिगड़ गया। अब सबकी नजर इस पर है कि इमरान किस सीट पर उतरते हैं। इमरान का मुस्लिमों पर खासा प्रभाव है।

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