आगरा पारस हॉस्पिटल संचालक को कमेटी ने बताया निर्दोष, रिपोर्ट में 16 मौत स्वीकारी, लेकिन कारण यह बताया

टीम भारत दीप |

जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, वायरल वीडियो की रिकाॅर्डिंग कई बार सुनी गई, इसे कई बार देखा भी गया।
जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, वायरल वीडियो की रिकाॅर्डिंग कई बार सुनी गई, इसे कई बार देखा भी गया।

डेथ आडिट कमेटी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 25 26 अप्रैल की रात्रि करीब दो बजे पारस हाॅस्पिटल प्रशासन की ओर से मै. संभव ट्रेडिंग कंपनी के वेंडर को आक्सीजन गैस की असामन्य आपूर्ति के बारे में बात की थी। क्योंकि, हाॅस्पिटल प्रबंधन समय से आक्सीजन की व्यवस्था करना चाहता था।

आगरा। गत दिवस आगरा के पारस अस्पताल संचालक के वीडियो वायरल होने के बाद पूरे देश में यूपी सरकार की फजीहत हुई थी। वह वीडियो थी 'मौत वाली माॅक ड्रिल' इसमें पारस हाॅस्पिटल के संचालक द्वारा स्वीकार किया गया था कि पांच मिनट के लिए आक्सीजन बंद करने से अस्पताल में क्या हुआ था।

मालूम हो कि उस दिन 22 कोरोना संक्रमितों की मौत होना ​कथित रूप से सामने आया था। इसके बाद यूपी सरकार के आदेश में पर डीएम ने एक जांच कमेटी बनाई।जांच  कमेटी ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी. जिसमें पारस हाॅस्पिटल संचालक को क्लीनचिट दी गई है।

जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, पारस हाॅस्पिटल में आक्सीजन की कमी नहीं थी, कई तीमारदार भी खुद आक्सीजन सिलेंडर लेकर आए थे, डेथ आडिट कमेटी ने जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि, वीडियो एक बनाया गया था, जिसे टुकडों में वायरल किया गया था।

इसके पीछे की मंशा क्या थी? यह वीडियो किसने बनाया था? इसकी जांच पुलिस से कराने की सिफारिश की गई है। जांच कमेटी ने 26 अप्रेल से 27 अप्रेल को 16 मरीजों की बात स्वीकारी है, मगर, मरीजों की मौत की गंभीर बीमारियां बताईं हैं।

चार सदस्यीय टीम ने की जांच

मालूम हो कि डीएम प्रभु नारायण सिंह ने पारस हाॅस्पिटल के मामले में चार सदस्यीय डेथ आडिट कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में एसएन मेडिकल काॅलेज के एनास्थेसिया विभाग के एचओडी डाॅ. त्रिलोक चंद पीपल, एसएनएमसी के मेडिसन विभाग के एचओडी प्रो. डाॅ. बलवीर सिंह, एसएनएमसी के फाॅरेंसिक विभाग की सह आचार्य डाॅ. रिचा गुप्ता और उप मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ. पीके शर्मा शामिल थे। कमेटी ने पारस हाॅस्पिटल का निरीक्षण करके तमाम जानकारी जुटाने के साथ ही रिकाॅर्ड से अपनी रिपोर्ट तैयार की है। डेथ कमेटी की ओर से सात बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट की आख्या दी है.

16 मौत कमेटी ने स्वीकारी

डेथ आडिट कमेटी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 25 26 अप्रैल की रात्रि करीब दो बजे पारस हाॅस्पिटल प्रशासन की ओर से मै. संभव ट्रेडिंग कंपनी के वेंडर को आक्सीजन गैस की असामन्य आपूर्ति के बारे में बात की थी। क्योंकि, हाॅस्पिटल प्रबंधन समय से आक्सीजन की व्यवस्था करना चाहता था।

जांच अधिकारी ने पाया कि, पारस हाॅस्पिटल में 25 अप्रेल को 149 सिलेंडर और रिजर्व में 20 सिलेंडर के साथ ही 26 अप्रेल को 121 सिलेंडर और 15 सिलेंडर रिजर्व की आपूर्ति की गई थी, हास्पिटल में भर्ती मरीजों के लिए पर्याप्त आक्सीजन उपलब्ध थी। इसके साथ ही तीमारदार भी आक्सीजन सिलेंडर लेकर हाॅस्पिटल आए थे।

जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, पारस हाॅस्पिटल के संचालक डाॅ. अरिंजय जैन वायरल वीडियो में पांच मिनट की मौत वाली माॅक ड्रिल में 22 मरीज छंटने की बात कह रहे हैं. इसका यह अर्थ निकाला गया कि, माॅक ड्रिल में ये मरीज मर गए. जो असत्य है। आक्सीजन बंद करके कोई माॅक ड्रिल नहीं की गई थी।

न ही किसी की आक्सीजन बंद की गई। न ही ऐसा कोई प्रमाण है, यह प्रचार भ्रामक है। क्योंकि, 26 अप्रैल प्रातः सात बजे 22 मत्यु होनी चाहिए थीं, जो कि नही हुई, हाॅस्पिटल में आक्सीजन उपलब्ध थी, परन्तु भविष्य में आपूर्ति का संकट था, आक्सीजन का असिस्मेंट करना ही माॅक ड्रिल है।

बता दें कि, वायरल वीडियो में पारस हाॅस्पिटल संचालक की ओर से यह भी कहा गया है कि, पैसे ले लो, गाड़ी लेलो, भोपाल-वोपाल जहां से मिले ले लो, कितने पैसे चाहिए, कैसे बचें 96 जिन्दगी, कैरियर बचे, सोने का भाव लगा लो, टैंकर उठाओ आक्सीजन का, कैसे भी मिलता है’  इस वीडियो का अवलोकन किया गया तो यह बात सामने आई कि, पारस हाॅस्पिटल में भर्ती मरीजों की जिन्दगी के प्रति हाॅस्पिटल प्रबन्धन बहुत संवेदनशील था, जो हर सम्भव प्रयास करने की मंशा स्पष्ट कर रहा है।

28 अप्रैल का वीडियो बताया गया

जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, वायरल वीडियो की रिकाॅर्डिंग कई बार सुनी गई, इसे कई बार देखा भी गया। छानबीन में हाॅस्पिटल के संचालक ने जानकारी दी कि, यह वीडियो काफी पुराना है। यह वीडियो सम्भवतः 28 अप्रैल की शाम करीब पांच से छह बजे का है।

इसमें कुछ शब्द मेरे नहीं हैं। यह वीडियो एक आपराधिक षडयंत्रख् और सनसनी पैदा करने के उद्देश्य से बनाया गया था, इतना ही इसे देरी से प्रसारित किया गया। क्योंकि इतने समय के पश्चात सीसीटीवी की रिकोर्डिंग स्वतः नष्ट हो जाती है, हाॅस्पिटल संचालक डाॅ. अरिंजय जैन यह भी जांच कमेटी को बताया कि, मुझे इस बीच तरह तरह के संदेश भिजवाकर ब्लकैमेल किया गया। लेकिन, मैं अपने पिता की मृत्यु के बाद उनके कार्यक्रम में व्यस्त था।

जांच कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मौत वाली माॅक ड्रिल वाले पारस हाॅस्पिटल के वायरल वीडियो की जांच पुलिस को करनी चाहिए। पुलिस की जांच में यह बिंदु शामिल किए जाएं,  यह वीडियो कब की है? पूरे वीडियो में क्या कहा गया है ?

कितने लोगों ने इस वीडियो को अग्रसारित किया अनावश्यक अपने पास किसने वीडियो इतने दिनों तक रखा ? पूरी वीडियो को एक साथ क्यों नहीं सार्वजनिक किया गया ? एक स्थानीय मीडिया कर्मी की भूमिका की विस्तत जाॅच भी आवश्यक है। इसकी जांच पुलिस अलग से करके नियमानुसार कार्रवाई करें।

14 मरीजों की मौत की यह वजह बताई

डेथ डेथ आडिट कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 16 मरीजों की शिकायत मिली हैं। इसमें से 14 मरीज किसी न किसी कोमोर्बिड बीमारी से ग्रसित थे। दो मरीज कोमाॅर्बिड नहीं थे, पारस हाॅस्पिटल के संचालक डाॅ. अरिंजय जैन ने मरीजों को आक्सीजन की कमी का हवाला देकर डिस्चार्ज किए जाने की बात भी सामने आई है।

जब महामारी अपने चरम स्तर पर थी। हाॅस्पिटल प्रबंधन पर इस प्रकार की बातें भम्र पैदा करने का आरोप सिद्ध करती हैं, इसलिए हाॅस्पिटल संचालक के खिलाफ महामारी अधिनियम की गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है।

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