corona virus: फिर सताने लगा लॉकडाउन का डर, प्रवासी लौटने लगे घरों की ओर

टीम भारत दीप |

जनरल डिब्बों में तो लोग एक-दूसरे के ऊपर सवार होकर यात्रा कर रहे हैं। पुणे और नागपुर में भी यही हालात हैं।
जनरल डिब्बों में तो लोग एक-दूसरे के ऊपर सवार होकर यात्रा कर रहे हैं। पुणे और नागपुर में भी यही हालात हैं।

हालात यह है कि ट्रेनों की बात तो दूर स्टेशनों पर पैर रखने की जगह तक नहीं बच रही है। जिसकों जैसी सुविधा मिल रही है वैसे ही निकल पड़ रहा है। मुंबई से यूपी—बिहार जाने वाली ट्रेनों की सवारियों की संख्या देखकर इसका आसानी से अंदाजा लगाया जाता सकता है।

महाराष्ट्र। पिछले साल का मई और जून माह हर उस प्रवासी की जेहन में आज भी याद है जो काम की तलाश में घर से दूर गया था, काम धंधा बंद होने के बाद जब घर आने के लिए कोई साधन नहीं मिले तो पैदल ही वह घर के लिए निकल पड़े थे।

अब फिर कोरोना की दूसरी लहर महानगरों में तेज होती जा रही है। इस बार स्थिति और भयावह न हो इसलिए प्रवासी मजदूर सरकार द्वार लॉकडाउन लगाने के पूर्व ही घरों के लिए निकलना शुरू कर दिया है। हालात यह है कि ट्रेनों की बात तो दूर स्टेशनों पर पैर रखने की जगह तक नहीं बच रही है।

जिसकों जैसी सुविधा मिल रही है वैसे ही निकल पड़ रहा है। मुंबई से यूपी-बिहार जाने वाली ट्रेनों की सवारियों की संख्या देखकर इसका आसानी से अंदाजा लगाया जाता सकता है। यह हाल केवल महाराष्ट्र में नहीं है, बल्कि दिल्ली पुणे, बंग्लोर, चेन्नई जैसे हर शहर से ​देखने को मिल रहा है। 

महाराष्ट्र में तेजी से बढ कोरोना संक्रमण के चलते वहां की सरकार काफी चिंतित है, कभी भी लॉकडाउन की घोषणा हो सकती है। हालांकि सरकार नहीं चाहती है कि लॉकडाउन लगाए। हालांकि हालात और बिगड़े तो लॉकडाउन ही एक उपाय बचेगा।

लॉकडाउन डर की वजह  सेएक बार फिर प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है। येमुंबई में लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन से यूपी जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं है। जनरल डिब्बों में तो लोग एक-दूसरे के ऊपर सवार होकर यात्रा कर रहे हैं। पुणे और नागपुर में भी यही हालात हैं। ये ट्रेनें सुपर स्प्रेडर बन सकती हैं और संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है। 

क्षमता से अधिक लोग हो रहे सवार

लोक मान्य टर्मिनल स्टेशन पर ट्रेनों के जनरल डिब्बों में क्षमता से दोगुने लोग सवार होकर यात्रा करने को मजबूर है। ज्यादातर का चेहरा मास्क या कपड़े से ढंका हुआ है  पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन इन स्थितियों में असंभव। सीटों और फ्लोर पर जगह नहीं मिली तो लोग छतों पर चादर बांधकर बैठ गए। यूपी आने वाली ट्रेनों में तो लोग लटककर यात्रा करने को मजबूर हे। 

अधिकांश लोगों की गई नौकरी

 रोजी -रोटी के लिए घस से निकले अधिकांश लोगों की नौकरी चली गई है। ​फिर लॉकडाउन का डर सता रहा है। ऐसे में फिर हाथ न फैलाने पड़े, इसलि लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे है। लोगों का कहना है कि पिछली बार पैदल घर जाना हुआ था, इसलिए इस बार हालात ​खराब होने से पहले घर जाना ही ठीक है।  

जिसे दरवाजे से कोच में घुसने का मौका नहीं मिला वह खिड़की से डिब्बों में घुस रहे है। लोग बस यहीं चाह रहे है कि किसी तरह डिब्बे में बैठने को मिल जाए तो किसी न किसी तरह घर पहुंच जाएंगे। 

रेलवे की अपील- अफवाहों से घबराएं नहीं

इतनी भीड़ जुटती देख रेलवे ने अपील की है, 'ट्रेनों में टिकट की बुकिंग को लेकर फैल रही अफवाहों से घबराएं नहीं। रेलवे गर्मियों की छुट्टियों में अधिक विशेष ट्रेनें चलाती है। लोगों से अपील है कि वे महामारी की चुनौती को ध्यान में रखते हुए स्टेशनों पर भीड़-भाड़ न करें। ट्रेन छूटने से 90 मिनट पहले ही स्टेशन पर पहुंचें। टिकट वालों को ही यात्रा की इजाजत है। कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखें।'

पुणे में भी स्टेशन के बाहर दिखी भारी भीड़

इसी तरह पूर्ण में भी घर लौटने वालों की भीड़ नजर आ रही है। उत्तर भारत की ओर जाने वाली ज्यादातर ट्रेनें फुल चल रही हैं। पुणे के पीआरओ मनोज झवर ने बताया, 'हम सिर्फ कन्फर्म टिकट वालों को ही स्टेशन में एंट्री दे रहे हैं। स्टेशनों के बाहर भीड़ दिखने की यही वजह है। पुणे से कुछ स्पेशल ट्रेनों को शुरू किया गया है, लेकिन वे भी फुल चल रही हैं।'
 


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