श्मशान में आखिरी दर्शन के समय बेटा बोला यह तो मेरे पिता नहीं है, फिर मचा हड़कंप

टीम भारत दीप |

परिवार वाले वापस अस्पताल पहुंचे,पीएम हाउस में रखे शवों को दिखाकर पहचान कराई गई
परिवार वाले वापस अस्पताल पहुंचे,पीएम हाउस में रखे शवों को दिखाकर पहचान कराई गई

समाधिया कॉलोनी के बीएसएनएल से सेवानिवृत 62 वर्षीय छोटे लाल कुशवाह चार दिन पहले संक्रमित पाए गए थे। परिजनों ने उन्हें सुपर स्पेशियलिटी में इलाज के लिए भर्ती कराया था। शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात को उनकी मौत की सूचना परिजनों को दी गई।

ग्वालियर-मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में जिला अस्पताल  प्रबंधन की लारपरवाही का मामला सामने आया है। यहां कोरोना संक्रमित की मौत के बाद परिजनों को दूसरे की बॉडी दे दी।

परिजन जब अंतिम संस्कार से पहले अंतिम दर्शन की इच्छा जताई तो दाह संस्कार करा रहे कर्मचारियों ने जैसे ही प्लास्टिक कवर हटाया तो वहां हड़कंप मच गया। क्योंकि शव देखते ही बेटा बोला यह तो मेरे पिता जी नहीं है।

इसके बाद शव को वापस डेड बॉडी बैग में पैक किया गया। जो लोग अंतिम संस्कार करने पहुंचे थे, वह वापस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पहुंचे और अस्पताल प्रबंधन को सारी कहानी बताई इसके बाद दो घंटे परेशान होने के बाद सही व्यक्ति का शव मृतक के परिजनों के सुपुर्द किया गया।

समाधिया कॉलोनी के बीएसएनएल से सेवानिवृत 62 वर्षीय छोटे लाल कुशवाह चार दिन पहले संक्रमित पाए गए थे। परिजनों ने उन्हें सुपर स्पेशियलिटी में इलाज के लिए भर्ती कराया था। शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात को उनकी मौत की सूचना परिजनों को दी गई।

शव बदलने की सूचना पर  हाथ पैर फूल गए

मौत की सूचना मिलने पर घर वाले रविवार सुबह शव को लेने अस्पताल पहुंचे पर कोविड प्रोटोकोल के चलते शव प्रशासन की देखरेख में लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम पहुंचाया गया। जहां पर शव का अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों की चिता सजाई गई और शव को डेड बॉडी बैग के साथ वहां पर रख दिया गया।

मृतक के बेटे ने जब पिता के अंतिम दर्शन की इच्छा जताई तो बैग खोला गया। बैग में रखे शव को देख बेटे ने कहा कि यह उनके पिता नहीं है। इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन को दी गई तो सभी के हाथ पैर फूल गए। परिवार वाले वापस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल पहुंचे। पीएम हाउस में रखे शवों को दिखाकर पहचान कराई गई । बेटे ने अपने पिता के शव की पहचान की तब शव का अंतिम संस्कार हो सका।

इससे पहले भी बदल चुका शव

एक साल पहले भी जेएएच में शव बदलने का मामला सामने आ चुका है। इसके बाद भी जेएएच प्रबंधन ने उस घटना से कोई सबक नहीं लिया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यूडीएस कंपनी के कर्मचारियों को शव पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है।

यदि गड़बड़ी हुई तो इस विषय में बात की जाएगी और लापरवाही की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।वहीं शव बदले जाने से घर वाले दोहरा गम झेलते है।


संबंधित खबरें