सरकार की आंकड़े बाजी हाईकोर्ट में हो गई फेल, जज ने जताई नाराजगी

टीम भारत दीप |

सरकार भले ही मृत्यु के आंकड़ो को कम करने में जुटी हुई हो, लेकिन श्मशान घाट  गवाही दे रहे है ।
सरकार भले ही मृत्यु के आंकड़ो को कम करने में जुटी हुई हो, लेकिन श्मशान घाट गवाही दे रहे है ।

हाईकोर्ट में अधिवक्ता अनुज सिंह ने बताया कि सरकार ने सभी अस्पतालों में लेवल 2 और 3 के खाली बेड की संख्या बताने के लिए पोर्टल शुरू किया है लेकिन उसमें गलत जानकारी दी जा रही है। इस पर कोर्ट ने अनुज सिंह को सुनवाई के दौरान ही अदालत में ही फोन करने को कहा।

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश सरकार की सारी आंकड़े बाजी इलाहाबाद हाईकोर्ट में रखी की रखी रह गई। दरअस कोरोना मरीजों के लिए इलाज के अमानवीय हालात का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट कर रही है।

इस क्रम में  27 अप्रैल को सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब मांगा था। ताजा सुनवाई में सरकार कोई जवाब पेश नहीं कर पाई, अतिरिक्त एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने दो दिन का अतिरिक्त समय मांगते हुए कहा कि जवाब के लिए विस्तृत हलफनामा बनाया जा रहा है ताकि उसमें मांगी गई तमाम सूचनाएं शामिल हों। 

हाईकोर्ट में अधिवक्ता अनुज सिंह ने बताया कि सरकार ने सभी अस्पतालों में लेवल 2 और 3 के खाली बेड की संख्या बताने के लिए पोर्टल शुरू किया है लेकिन उसमें गलत जानकारी दी जा रही है।

इस पर कोर्ट ने अनुज सिंह को सुनवाई के दौरान ही अदालत में ही फोन करने को कहा। नंबर डायल किया गया और हाईकोर्ट के सामने अस्पताल ने जवाब दिया कि लेवल 2 और 3 का कोई बेड खाली नहीं है।

जबकि उस समय भी पोर्टल पर खाली बेड दिखाए जा रहे थे। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का यह पोर्टल शक पैदा करता है। सरकार दावा करती है कि प्रदेश में 17614 आइसोलेशन बेड और 5510 आईसीयू बेड हैं औक इनकी कोई कमी नहीं है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही सामने आ रही है। 

इसके अलावा अवैध रूप से जब्त ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन/गोलियां और ऑक्सीमीटर को मालखाने में रखे जाने पर अदालत ने कहा इन वस्तुओं को मालखाने में रखना किसी भी तरह से जनहित में नहीं है क्योंकि ये सभी खराब हो जाएंगे। इस पर गोयल ने कहा कि वह इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष उठाएंगे ताकि इनका उचित उपयोग हो सके और ये बेकार ना जाएं।

हाईकोर्ट ने प्रदेश में चुनाव के दौरान ड्यूटी पर लगाए गए स्टाफ में संक्रमण और मृत्यु के बारे में यूपी चुनाव आयोग से पिछली तारीख पर जवाब मांगा था। इस पर आयोग ने ताजा सुनवाई में बताया कि उसने संबंधित जिलों के डीएम को इन मामलों के सत्यापन के लिए कहा है।

इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि उसने इन मामलों को सही मानते हुए ही न्यायिक नोटिस दिया था, न कि वेरिफिकेशन के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग का ऐसा ढीला रवैया सहा नहीं जाएगा। 

 मालूम हो ​कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की संख्या  के आगे सरकार की सारी व्यवस्था फेल होती जा रही है। परिणाम स्वरूप लोगों की मृत्यु हो रही सरकार भले ही मृत्यु के आंकड़ो को कम करने में जुटी हुई हो, ।

श्मशान घाट और कब्रगाह गवाही दे रहे है कि मौत की संख्या कितनी है, कई श्मशान घाटों पर तो अंतिम संस्कार के लिए जगह तक नहीं बची, परिजनों को इन्तजार करना पड़ रहा है।


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