सुल्तानपुर में बड़ी लापरवाही, जिंदा को बता दिया मृत, फिर ऐसे लौटी सास, जानिए पूरा मामला

टीम भारत दीप |

हालांकि करीब 7 घंटे बाद इलाज के दौरान रोगी की मौत हो गई।
हालांकि करीब 7 घंटे बाद इलाज के दौरान रोगी की मौत हो गई।

युवक की मौत के बाद उसके घर में मातम पसर गया। परिजन शव लेकर घर आए और उसे चिलर पर रख दिया। लेकिन अचानक शव के ऊपर पड़ी चादर में हिलने लगी तो घर वाले हैरत में पड़ गए। उन्हें संदेह हुआ तो तत्काल पड़ोस के डॉक्टर को बुलाया गया। चेकअप हुआ तो पल्स और ऑक्सीजन लेवल दोनो ठीक था।

सुल्तानपुर। इस समय कोरोना संक्रमण से संक्रमित मरीतों की संख्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। ऐसे में लोगों की जान बचाने वाले धरती के भगवान भी कई ऐसी ग​लतियां कर रहे है, जिसे मरने वाले के परिजन इतनी आसानी से नहीं भूला पा रहे है।

ऐसी ही एक लापरवाही उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में को मिलीं। यहां एक जीवित इंसान को धरती के भगवान ने मृत घोषित कर दिया। युवक की मौत के बाद उसके घर में मातम पसर गया।  परिजन शव लेकर घर आए और उसे चिलर पर रख दिया। लेकिन अचानक शव के ऊपर पड़ी चादर में हिलने लगी तो घर वाले हैरत में पड़ गए।

उन्हें संदेह हुआ तो तत्काल पड़ोस के डॉक्टर को बुलाया गया। चेकअप हुआ तो पल्स और ऑक्सीजन लेवल दोनो ठीक था। रोते हुए परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। तत्काल एंबुलेंस बुलाई गई और चिलर से उठाकर उस व्यक्ति को इलाज के लिए लखनऊ ले जाया गया। हालांकि करीब 7 घंटे बाद इलाज के दौरान रोगी की मौत हो गई।

अस्पताल में नहीं मिली ऑक्सीजन 

कोतवाली नगर क्षेत्र में दरियापुर मोहल्ले के रहने वाले अब्दुल माबूद (50 साल) को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। अब्दुल के भाई की पत्नी शाहेदा बानो बताती हैं कि जेठ को ऑक्सीजन की जरूरत थी।

इसलिए गुरुवार की दोपहर करीब दो बजे उन्हें सरकारी अस्पताल लेकर गए। बहुत कहने के बाद 3-4 इंजेक्शन लगाया गया। इसके बाद भी मरीज को उलझन थी। आक्सीजन की डिमांड की गई तो डाक्टर ने ऑक्सीजन सिलेंडर खाली नहीं होने की बात कहकर किनारा कर लिया।

महिला शाहेदा ने आगे बताया कि, मरीज को राहत नहीं मिली तो उन्हें सरकारी अस्पताल से निकालकर प्राइवेट में लेकर के गए। वहां उनकी प्लस रेट बैठ गई थी, ऑक्सीजन लेवल भी डाउन हो गया था।

प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया। कहा वहां लेकर जाओ जहां ऑक्सीजन मौजूद हो। मजबूरन फिर से सरकारी अस्पताल लेकर जाना पड़ा। जहां चेस्ट पर पंप करने के बाद जब कोई हरकत नहीं हुई तो डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

फ्रीजर में रख दिया शव

डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद घर वाले शव को लेकर घर आ गए। शाम होने की वजह से अंतिम संस्कार एक दिन बाद यानि शुक्रवार को होना था। घर वालों ने रिश्तेदारों को मौत की खबर कर दी गई।

शव को सुरक्षित रखने के लिए उसे फ्रीजर में रख दिया गया। रात करीब 11:30-11:45 पर उसकी बेटी सना अख्तर उसी चिलर यानि फ्रीजर के पास बैठी। उसने बताया कि धीरे-धीरे चादर हिल रही थी। उसने अपनी मां को यह बताया इसके बाद जब चेक किया गया तो सांस चल रही थी।

मृतक के भाई माशूक बताते हैं कि, मेरी भतीजी ने बताया कि पापा हिल रहे हैं। मैंने तुरंत चिलर को हटाकर पंच किया तो दिल की धड़कन महसूस हुई, फिर मुंह से हवा दिया। तब तक डॉक्टर आ गए थे, उन्होंने चेक किया तो प्लस चल रही थी। फौरन एंबुलेंस बुलाकर उन्हें लखनऊ भेजा गया। लेकिन शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे मौत हो गई।

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एससी कौशल ने कहा कि अभी मामला मेरे संज्ञान में नही है। आपके माध्यम से जानकारी हुई है जांच करा रहे हैं। जो भी डाक्टर ड्यूटी पर था उससे बड़ी चूक हुई है।

जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।लापरवाही चाहे जहां हुई हो, लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही से एक बीमार को समय पर इलाज नहीं मिल सका और उसे फ्रीजर में रखे जाने की वजह से मौत हो गई। 


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