हाथरस की बेटी को मिला इंसाफः 23 दिन में दुष्कर्मी मामा को मिली उम्रकैद की सजा

टीम भारत दीप |

कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने वीरेंद्र के गुनाह को साबित कर दिया।
कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने वीरेंद्र के गुनाह को साबित कर दिया।

2 जनवरी को मासूम के साथ दुष्कर्म किया था। हाथरस गेट थाना क्षेत्र निवासी महिला मायके में थी। इसी गांव का रहने वाला वीरेंद्र महिला की डेढ़ साल की बेटी को खिलाने के बहाने साथ ले गया।जब वह काफी देर तक वापस नहीं लौट, परिजनों ने बच्ची व वीरेंद्र की तलाश की। कुछ देर बाद वीरेंद्र बच्ची को गोद में लिए हुए लौटा। बच्ची के प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था।

हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस की एक मासूम बेटी कोर्ट से मात्र 23 दिन में इंसाफ मिल गया। शनिवार को जिला सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सिर्फ 23 दिन में दुष्कर्म के आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाकर एक नजीर पेश की है।

आरोपी ने डेढ़ साल की रिश्ते में भांजी के साथ दुष्कर्म किया था। आरोपी पर कोर्ट ने एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश प्रतिभा सक्सेना ने कहा, ऐसे में यदि अभियुक्त के साथ उदारता बरती गई तो छोटी बच्चियों का समाज में रहना मुश्किल हो जाएगा।

अगर इस तरह के हैवान आजाद होकर समाज में घुमेंगे तो कोई भी मां अपनी छोटी और अबोध बच्ची को अपने भाई को गोद खिलाने के लिए भी नहीं देगी।

2 जनवरी को किया था दुष्कर्म

आपकों बता दें कि आरोपी ने 2 जनवरी को मासूम के साथ दुष्कर्म किया था।  हाथरस गेट थाना क्षेत्र निवासी महिला मायके में थी। इसी गांव का रहने वाला वीरेंद्र महिला की डेढ़ साल की बेटी को खिलाने के बहाने साथ ले गया।

जब वह काफी देर तक वापस नहीं लौट, परिजनों ने बच्ची व वीरेंद्र की तलाश की। कुछ देर बाद वीरेंद्र बच्ची को गोद में लिए हुए लौटा।  बच्ची के प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था। वीरेंद्र ने बच्ची को उसके परिजनों को सौंपा और मौके से फरार हो गया। इसके बाद महिला ने बेटी के साथ हुए दुष्कर्म की वारदात की एफआईआर  लिखाई थी। 

14 जनवरी को दाखिल हुई थी चार्जशीट

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा। वहीं जांच में दुष्कर्म की पुष्टि भी हुई। 14 जनवरी को आरोपी वीरेंद्र के खिलाफ धारा 376 और पाक्सो अधिनियम के तहत जिला सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में चार्जशीट दाखिल की।

16 जनवरी को सुनवाई के दौरान वीरेंद्र ने खुद पर लगाए गए सभी आरोपों से इंकार कर दिया और जांच कराए जाने की मांग की। लेकिन कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने वीरेंद्र के गुनाह को साबित कर दिया।

कोर्ट ने यह टिप्पणी की

न्यायाधीश प्रतिभा सक्सेना ने कहा कि पीड़िता महज डेढ़ साल की है। जिसे अपने साथ किसी भी कृत्य के परिणाम व प्रकृति की जानकारी नहीं है। उसने अपने प्राकृतिक जीवन को भली भांति जीना भी प्रारंभ नहीं किया है।

ऐसे में यदि अभियुक्त के साथ उदारता का  दिखाई गई तो इससे समाज में अपराध और अराजकता की भावना प्रबल होगी और छोटी बच्चियों का समाज में निर्भय होकर रहना दुष्कर हो जाएगा। संभवतः कोई भी मां अपनी छोटी और अबोध बच्ची को अपने भाई को गोद खिलाने के लिए भी नहीं देगी।


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