गृहक्लेश ने किया बर्बाद, 24 घंटे में देवरानी-जेठानी ने फांसी लगाई, घर में मातम

टीम भारत दीप |

यह बात नैना को चुभ गई और उसने मौका मिलते ही बुधवार की सुबह 8 बजे फांसी लगा ली।
यह बात नैना को चुभ गई और उसने मौका मिलते ही बुधवार की सुबह 8 बजे फांसी लगा ली।

बसंतपुरा गांव में एक ही परिवार की देवरानी और जेठानी के बीच कहासुनी हो गई। इसके बाद बुधवार की सुबह 8 बजे देवरानी ने घर की पाटौर में फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद सभी लोग जेठानी को कसूरवार ठहराने लगे। आरोपों से दुखी होकर जेठानी ने भी खेत पर पहुंचकर पेड से रस्सी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली।

श्योपुर-मध्यप्रदेश। घर में होने वाला कलह पूरे घर को बर्बाद कर देता है। कुछ ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के श्योपुर में देखने को मिला।

यहां घर में शुरू हुए विवाद ने 24 घंटे के अन्दर देवरानी और जेठानी को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया। पहले देवरानी फिर जेठानी ने फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली।

 श्योपुर अगरा थाना क्षेत्र के बसंतपुरा गांव में एक ही परिवार की देवरानी और जेठानी के बीच कहासुनी हो गई। इसके बाद बुधवार की सुबह 8 बजे देवरानी ने घर की पाटौर में फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली। इसके  बाद सभी लोग जेठानी को कसूरवार ठहराने लगे।

आरोपों से दुखी होकर जेठानी ने भी खेत पर पहुंचकर पेड से रस्सी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। मामले की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंची। अगरा थाना पुलिस ने मर्ग कायम कर मृतका के शव को पीएम के लिए अस्पताल भिजवा दिया। 

जानकारी के अनुसार अगरा थाना क्षेत्र के बसंतपुरा गांव निवासी 35 वर्षीय महिला नैना बाई पत्नी सोनेराम आदिवासी की उसकी परिवार की 60 वर्षीय जेठानी रामपति पत्नी काशीराम आदिवासी के बीच मंगलवार की शाम किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई।

यह बात नैना को चुभ गई और उसने मौका मिलते ही बुधवार की सुबह 8 बजे फांसी लगा ली। इस घटना के बाद मृतका के परिजन रामपति को कसूरवार ठहराने लगे और उससे कहासुनी करने लगे।

जिसके बाद बुधवार की रात रामपति किसी को बताए बिना खेत पर चली गई और वहां पेड़ पर फंदा बांधकर झूल गई। सुबह होने पर जब ग्रामीणों ने पेड़ पर शव लटका देखा तो मामले की जानकारी पुलिस को दे दी। 

डॉक्टर ने किया पीएम करने से इन्कार 

विजयपुर के सामुदायिक अस्पताल में ड्यूटी पर मिले चिकित्सक बसंत शाक्य ने मृतिका के शव का पीएम करने से इनकार कर दिया। अस्पताल में उस दौरान कोई अन्य चिकित्सक नहीं था। इसके चलते शव 3 घंटे तक पीएम के इंतजार में रखा रहा। डॉ. प्रदीपकुमार मौके पर पहुंचे, तब जाकर उन्होंने महिला के शव का पीएम किया। 
 


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