इंदौर में पटवारी नहीं बन पाया तो कियोस्क सेंटर की आड़ चलाने लगा फर्जी कलेक्ट्रेट

टीम भारत दीप |

कियोस्क सेंटर के पीछे सरकारी काम करने लगा आरोपी।
कियोस्क सेंटर के पीछे सरकारी काम करने लगा आरोपी।

मध्य प्रदेश के इंदौर जिला से एक सरकारी विभागों में सेंधमारी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। यह गिरोह कियोस्क सेंटर खोलकर वह सारे काम आसानी से निपटा लेता था, जिसे कराने में लोगों को सरकारी कार्यालयों के कई चक्कर काटने पड़ते है।

इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिला से एक सरकारी विभागों में सेंधमारी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। यह गिरोह कियोस्क सेंटर खोलकर वह सारे काम आसानी से निपटा लेता था।

इंदौर प्रशासन को शिकायत मिली थी कि बंसी ट्रेड सेंटर के दूसरी मंजिल पर एमपी ऑनलाइन की आड़ में फर्जी दस्तावेज बनाने और शासकीय दस्तावेजों की हेराफेरी की जा रही है।

 टीम ने बताए गए स्थान पर दबिश दी तो अधिकारियों की आंखे फटी की फटी रह गई। यहां किसी सरकारी कार्यालय जैसा नजारा था। यहां पर जमीन संबंधित विभागों की फाइलों का जखीरा मिला। ​

शुभम ने हर काम के रेट तय कर रखे थे। सीमांकन, बंटाकन, नजूल की एनओसी का आवेदन जमीन मालिक की ओर से लगाने के लिए 10 हजार रुपए लिए जाते थे।

एक हेक्टेयर से कम जमीन हो तो अनापत्ति दिलाने, नामांतरण, बंटाकन करवाने के 50 हजार रुपए लेते थे। अधिकारियों को पैसा देने के नाम पर जमीन मालिकों से यह मांग की जाती थी। इसी तरह नगर निगम और टीएंडसीपी से नक्शे पास कराने के एवज में रेट बना रखे हैं।

मालूम हो कि कियोस्क सेंटर का संचालक पटवारी बनना चाहता था, इसके लिए उसने काफी तैयारी भी की, लेकिन जब उसका सलेक्शन नहीं हुआ तो वह कियोस्क सेंटर चलाने लगा। धीरे-धीरे वह यहां से वह सारे काम निपटाने लगा जिसे कराने में सबके पसीने छूट जाते है।

कमाई होने लगी तो उसने इस काम के लिए  स्टाफ भी रख लिया। शिकायतकर्ता ने बताया था कि शुभम दलाली में लिप्त है। उसने इस काम के लिए कुछ लड़के भी रख रखे हैं।

उसके दफ्तर पर कई विभागों की नोटशीट, अनापत्ति प्रमाण पत्र सहित कई सरकार दस्तावेज मिल जाएंगे। इनमें से कई दस्तावेज तो वह अपने दफ्तर में ही तैयार कर लेता है।

टीम ने यहां पर दबिश, तो टेबल से लेकर अलमारी तक में फाइलें रखी थीं। कम्प्यूटर खंगाला, तो नोटशीट सहित कई प्रकार के आदेश टाइप किए हुए मिले। इतना ही नहीं, कई सील भी इसके पास मौजूद थीं।

जांच में यह खुलासा हुआ कि वह यह धंधा काफी समय से कर रहा था।पकड़  में न आए इसलिए जगह बदलता रहता था। एमपी ऑनलाइन के काम तो वह महीने में एक-दो ही करता था।

बाकी समय वह इसी में लगा रहता था। शुभम लोक निर्माण, जल संसाधन, सहकारिता विभाग सहित कई सरकारी दफ्तरों से अनापत्ति लाने का काम किया करता था।प्रशासन ने जब शुभम के ठीकाने पर छापा मारा तो वहां से काफी दस्तावेज बंटाकन, सीमांकन के भी मिले हैं।

यह दस्तावेज तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक व पटवारी से सबंधित हैं। प्रशासन ने डायवर्शन, नजूल, सीमांकन, बंटाकन के आदेश देने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की है। सीधे आदेश को किसी को नहीं मिलता। प्रशासन के सिस्टम से आवेदन क्रमांक हासिल कर इन लोगों ने आदेश कैसे निकाल लिए, इसकी जांच की जा रही है।
 


संबंधित खबरें