तैनाती का पता नहीं तो कहां जा रहा वेतन: कोर्ट ने रेलवे से मांगी 115 कर्मचारियों की सूची

टीम भारत दीप |

याचिका की सुनवाई अब 3 अगस्त को होगी।
याचिका की सुनवाई अब 3 अगस्त को होगी।

उत्तर मध्य रेलवे को यह पता नहीं है कि 1996 में नियमित हुए 115 दैनिक कर्मचारी कौन-कौन हैं और उनकी तैनाती कहां है। इसको लेकर जवाब दाखिल करने के लिए उत्तर मध्य रेलवे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक हफ्ते का और समय मांगा है।

प्रयागराज। बड़ा ही हैरान करने वाला मामला सामने आया है। उत्तर मध्य रेलवे को यह पता नहीं है कि 1996 में नियमित हुए 115 दैनिक कर्मचारी कौन-कौन हैं और उनकी तैनाती कहां है। इसको लेकर जवाब दाखिल करने के लिए उत्तर मध्य रेलवे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक हफ्ते का और समय मांगा है। बताया गया कि याचिका की सुनवाई अब 3 अगस्त को होगी।

जानकारी के मुताबिक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने प्रदीप कुमार द्विवेदी की जनहित याचिका पर दिया है।

बताया गया कि इस याचिका में उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारियों पर कई वास्तविक दैनिक कर्मियों को नियमित न कर अपने चहेतों को फर्जी तरीके से नियुक्ति दिखाकर नियमित करने का आरोप लगाया गया है। बताया गया कि ऐसे दैनिक कर्मचारी जिनको नियमित नहीं किया गया है। वे न्याय की आस लगाए बैठे हैं।

वहीं हाईकोर्ट ने नियमित ऐसे 115 कर्मियों की सूची मांगी तो रेलवे ने एक सप्ताह का और समय मांगा है। वहीं विजिलेंस जांच के मुताबिक नियमित होने के बाद कौन कहां तैनात हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। सूचना आयुक्त तथा सांसदों के निर्देश कार्यालय में पड़े हैं। इधर याची के मुताबिक  रेलवे को जब अपने कर्मचारियों का पता नहीं है तो आखिर उनकी तनख्वाह कहां जा रही है।

बताया गया कि दैनिक कर्मियों को नियमित करने के घोटाले पर पर्दा डालने के लिए सूची का खुलासा नहीं किया जा रहा है। वहीं इससे पहले भी रेलवे के वकील ने जवाब दाखिल करने का समय मांगा था, मगर अब फिर एक हफ्ते का समय मांगा गया है। बताया गया कि अब इस मामले में सुनवाई 3 अगस्त को होगी।


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