लापरवाही: अस्पताल के गेट पर इलाज के लिए तड़पती रही मासूम बच्ची ने यूं तोड़ा दम

टीम भारत दीप |

मामले में  प्रयागराज के जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित कर दी है।
मामले में प्रयागराज के जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित कर दी है।

यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल से अधूरे इलाज के दौरान निकाली गई तीन वर्षीय मासूम बच्ची ने शुक्रवार को अस्पताल के गेट पर ही तड़प—तड़पकर दम दोड़ दिया। वहीं परिजनों ने इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए आक्रोश जताया है। बताया गया कि इससे पहले प्रयागराज के एक अस्पताल द्वारा इलाज से इन्कार करने पर परिजन बच्ची को वापस यूनाइटेड मेडिसिटी ले आए थे।

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से दर्दनाक—शर्मनाक घटना सामने आई है। यहां रावतपुर स्थित यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल से अधूरे इलाज के दौरान निकाली गई तीन वर्षीय मासूम बच्ची ने शुक्रवार को अस्पताल के गेट पर ही तड़प—तड़पकर दम दोड़ दिया। वहीं परिजनों ने इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए आक्रोश जताया है।

बताया गया कि इससे पहले प्रयागराज के एक अस्पताल द्वारा इलाज से इन्कार करने पर परिजन बच्ची को वापस यूनाइटेड मेडिसिटी ले आए थे। आरोप है कि वहां अस्पताल कर्मियों ने गेट बंद कर लिया। वहीं मामले में  प्रयागराज के जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित कर दी है। बताया गया कि एडीएम सिटी और सीएमओ इस मामले की जांच करेंगे।

जानकारी के मुताबिक करेली थानांतर्गत करेंहदा निवासी मुकेश मिश्र की बेटी खुशी मिश्रा के पेट में 15 फरवरी को दर्द हुआ था। वह उसे यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल रावतपुर ले गया। यहां डाक्टरों ने उसे भर्ती करते हुए 10 दिन में ठीक होने की बात कही। डाक्टरों ने आंत में इन्फेक्शन बताया और ऑपरेशन की बात कही। आपरेशन हुआ लेकिन चार-पांच दिनों बाद टांके वाले स्थान पर पस आ गया।

फिर डाक्टरों ने उसी स्थान पर दूसरा ऑपरेशन कर दिया। परिजनों के मुताबिक  तीन मार्च को अस्पताल प्रशासन ने खुशी की हालत गंभीर बताते हुए उसे चिल्ड्रेन अस्पताल ले जाने की सलाह दी और रेफर करते हुए अपने यहां से डिस्चार्ज कर दिया। परिजनों के मुताबिक दो दिनों तक खुशी को लेकर इधर-उधर भटकते रहे। शुक्रवार को वह उसे लेकर फिर यूनाइटेड मेडिसिटी पहुंचे थे।

मुकेश तो बेटी की मौत के गम में बीमार हो गया और बात करने की स्थिति में नहीं रहा लेकिन उसके चचेरे भाई सूरज मिश्रा ने बताया कि डाक्टरों ने गेट बंद कर लिया था। अंतत: बच्ची का वहीं दम निकल गया। बच्ची की मौत के बाद परिजनों व अन्य ग्रामीण वहीं हंगामा करने लगे। सूचना मिलने पर पिपरी के सीओ श्यामकांत कई थानों की पुलिस लेकर पहुंच गए। लोगों को शांत कराया गया।

सीओ का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत का कारण स्पष्ट होगा। मुकेश के चचेरे भाई सूरज मिश्रा के मुताबिक बेटी के इलाज के लिए पैसे नहीं थे, मुकेश ने अपने हिस्से का दो बिस्वा खेत बेच दिया था। रिश्तेदारों और अन्य जान पहचान के लोगों से उधार पैसे लिए लेकिन बेटी की जान नहीं बचा सका। वहीं यूनाइटेड मेडिसिटी के निदेशक प्रमोद कुमार के मुताबिक अस्पताल पर लगे आरोप गलत हैं।

बच्ची के माता पिता से दो लाख रुपये लिए जाने का आरोप भी निराधार है। कहा गया कि बच्ची गंभीर हालत में लायी गई थी। उसका आपरेशन किया जाना जरूरी था। माता—पिता की सहमति से 24 फरवरी को आपरेशन किया गया। आगे उपचार के लिए तीन मार्च को बच्ची को एसआरएन के लिए रेफर किया गया था लेकिन परिजन उसे लेकर चिल्ड्रेन अस्पताल पहुंच गए।

निदेशक के मुताबिक चिल्ड्रेन अस्पताल में बच्ची की मौत हुई। कहा कि बच्ची के इलाज का खर्च 1.25  लाख रुपये हुए थे। परिजनों से महज छह हजार रुपये ही लिए गए थे। उधर सीएमओ डा. पीएन चतुर्वेदी के मुताबिक मामला संज्ञान में है। जो आरोप लगाए गए हैं उसकी जांच कराई होगी। दोष साबित होने पर दोषियों के विरुद्ध सख्त एक्शन लिया जायेगा। 


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