कुशीनगर में पिता का शव देने के लिए नर्स गिड़गिड़ाती रही,अस्पताल ने कहा- पहले बिल भरो

टीम भारत दीप |

रामप्रसाद का 13 दिन तक चले इलाज के बाद सोमवार को मौत हो गई।
रामप्रसाद का 13 दिन तक चले इलाज के बाद सोमवार को मौत हो गई।

कुशीनगर के हनुमानगढ़ क्षेत्र के बेलवनियां गांव निवासी राम प्रसाद कुशवाहा को बीते दिनों बुखार आया था, जब परिवार के लोग उन्हें लेकर जिला अस्पताल गए तो यहां कोरोना की जांच हुई तो वह संक्रमित पाए गए। जिला अस्पताल में इलाज के दौरान हालत में सुधार न होने पर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। वहां भी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में कोरोना संक्रमित होने के चलते एक व्यक्ति की मौत के बाद उसकी नर्स बेटी शव के लिए गिड़गिड़ाती रही लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कहा, पहले बिल भरो तब शव देंगे। मामला विधायक तक पहुंचा तो उन्होंने बातचीत करके शव दिलवाया।

मालूम हो कि युवती उसी अस्पताल में नर्स का काम कर रही थी, जहां पर इलाज के दौरान उसके पिता की मौत हो हुई। इसके बाद भी अस्पतला प्रबंधन ने मनवीयता खोते हुए नर्स को ​उसके पिता का शव देने से इन्कार कर दिया।   ऐसे में अंदाजा लगाना कितना आसान है कि अस्पताल प्रंबधन किस तरह लोगों को परेशान कर रहे है। 

कुशीनगर के हनुमानगढ़ क्षेत्र के बेलवनियां गांव निवासी राम प्रसाद कुशवाहा को बीते दिनों बुखार आया था, जब परिवार के लोग उन्हें लेकर जिला अस्पताल गए तो यहां कोरोना की जांच हुई तो वह संक्रमित पाए गए।

जिला अस्पताल में इलाज के दौरान हालत में सुधार न होने पर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। वहां भी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। राम प्रसाद कुशवाहा की बड़ी बेटी प्रतिमा ने एक निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया, वह उसी अस्पताल में नर्स हैं। 

13 दिन तक चला इलाज

रामप्रसाद का 13 दिन तक चले इलाज के बाद सोमवार को मौत हो गई।मृतक के बेटे अखिलेश के मुताबिक अस्पताल प्रशासन ने कहा कि शव तभी देंगे जब बेड चार्ज व अन्य खर्चा मिलाकर 1.95 लाख रुपये मेडिकल का 28 हजार रुपया जमा करोगे।

अखिलेश के ने जब बिल भरने असमर्थता जताई तो अस्पाताल ने शव देेने स इनकार कर दिया। अखिलेश ने बताया कि पिता के इलाज के लिए पहले ही खेत गिरवी रख दिया है और पत्नी के भी गहने बेच चुके हैं। ऐसे में और पैसे का व्यवस्था करना मुश्किल था।

इसके अलावा बेटी ने भी अस्पताल प्रबंधन से शव देने के लिए गिड़गिड़ाती रही लेकिन प्रबंधन उसकी नहीं सुनी। इस मामले में विधायक जटाशंकर त्रिपाठी तक बात पहुंची तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन से बात करके शव दिलवाया।


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