हम हिंदू हैं, हिंद देश है, हिंदी मेरी भाषा है, विश्वपटल पर हिंदी गूंजे ये मेरी अभिलाषा है

टीम भारत दीप |
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काव्यपाठ करते कवि शिव सिंह चौहान निसंकोच।
काव्यपाठ करते कवि शिव सिंह चौहान निसंकोच।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि कवि वासुदेव मिश्र ‘लालबत्ती‘ और परिषद के अध्यक्ष श्रीकृष्ण मिश्र ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।

साहित्य डेस्क। हिंदी दिवस के अवसर पर सोमवार को मैनपुरी के होली पब्लिक स्कूल में काव्य गोष्ठी एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। सरस्वती साधना परिषद के तत्वावधान में हुए आयोजन में हिंदी के मूर्धन्य कवि एवं साहित्यकार शामिल हुए। कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिग का पूरा ध्यान रखते हुए कोरोना संबंधी स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर का पूरा पालन किया गया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि कवि वासुदेव मिश्र ‘लालबत्ती‘ और परिषद के अध्यक्ष श्रीकृष्ण मिश्र ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। सर्वप्रथम कवयित्री उर्मिला पांडेय ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की। कवि धर्मेंद्र सिंह धरम ने पढ़ा कि- 

हिंदी गाकर हैं अमर, तुलसी, सूर, कबीर। 
जो लिखकर के दे गए पोर-पोर की पीर।। 

कवि संकल्प दुबे ने पढ़ा-  
भाषाओं की रानी है, बोली की महारानी है, 
हिंदी मात्र भाषा नही, हिंद की निशानी है।।

कवयित्री उर्मिला पांडेय ने हिंदी है भाषा हमारी, देश हिंदुस्तान है पढ़कर तालियां बटोरीं। कवि डा. मनोज सक्सेना ने मां की लोरी भी है हिंदी, मीठी-मीठी बोली भी है हिंदी कविता पढ़ी। 

 

कवि शिव सिंह चौहान निसंकोच ने इस प्रकार कविता पढ़कर श्रोताओं में जोश का संचार किया-   

हम हिंदू हैं, हिंद देश है, हिंदी मेरी भाषा है। 
विश्वपटल पर हिंदी गूंजे ये मेरी अभिलाषा है।
 

साहित्यकार श्रीकृष्ण मिश्र ने हिंदी के बारे में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी एक सशक्त भाषा है जो राजनीति के पंख मरोड़ती है और देश की एकता को अक्षुण्ण रखती है। विशिष्ट अतिथि विद्यासागर शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। कवि वासुदेव मिश्र लालबत्ती ने भी काव्य पाठ किया। 

कार्यक्रम में डा. आशा सक्सेना ने भी हिंदी पर जोर दिया। अभय शर्मा, अर्पित माहेश्वरी, संजय शर्मा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन सरस्वती साधना परिषद के महामंत्री विनोद माहेश्वरी ने किया।


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